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फर्जी टीकाकरण मामले में हाईकोर्ट की टिप्पणी 'नहीं बचनी चाहिए बड़ी मछली'

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Published : Jun 29, 2021, 3:48 PM IST

बम्बई उच्च न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि शहर में फर्जी कोविड-19 टीकाकरण शिविरों की जांच कर रही मुंबई पुलिस को ऐसे मामलों में शामिल बड़ी मछली की पहचान करनी चाहिए और उन्हें नहीं छोड़ना चाहिए. वहीं एक अन्य मामले में कलकत्ता उच्च न्यायालय ने नकली वैक्सीन मामले की सीबीआई जांच की मांग वाली जनहित याचिका को स्वीकार कर लिया. कल सुनवाई होनी है.

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मुंबई : हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति जीएस कुलकर्णी की पीठ ने बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) को भी निर्देश दिया कि वह अदालत को उन कदमों के बारे में सूचित करे. जो नगर निकाय ने एंटीबॉडी के लिए ऐसे शिविरों द्वारा ठगे गए लोगों और नकली टीके के कारण उनके स्वास्थ्य पर किसी भी प्रतिकूल प्रभाव की जांच करने के वास्ते प्रस्तावित किए हैं.

अदालत कोविड-19 के खिलाफ टीकाकरण अभियान की नागरिकों तक पहुंच बढ़ाने पर कई जनहित याचिकाओं (पीआईएल) पर सुनवाई कर रही थी. राज्य के वकील, अधिवक्ता दीपक ठाकरे ने उच्च न्यायालय को बताया कि इस मामले में सात प्राथमिकी दर्ज की गई हैं और 13 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. उन्होंने कहा कि मामले की जांच अभी जारी है. बीएमसी के वकील, वरिष्ठ अधिवक्ता अनिल सखारे ने अदालत को बताया कि आवास समितियों और कार्यालयों के लिए निजी कोविड-19 टीकाकरण शिविरों के लिए मानक संचालन प्रक्रियाओं (एसओपी) को बुधवार तक अंतिम रूप दिया जाएगा.

इसके बाद उच्च न्यायालय ने कहा कि अधिवक्ता ठाकरे को मामले में जांच अधिकारियों से कहना चाहिए कि वे घोटाले में शामिल पाए जाने वाले किसी भी व्यक्ति को नहीं बख्शें. अदालत ने कहा कि हो सकता है कि बड़ी मछली की पहचान की जानी बाकी हो. उनकी पहचान की जानी चाहिए और उन्हें बख्शा नहीं जाना चाहिए. पुलिस को कहा जाये कि जांच सही होनी चाहिए और किसी भी दोषी व्यक्ति को छूटने नहीं देना चाहिए.

अदालत ने कहा कि बीएमसी को पीड़ितों की जांच करने के लिए उठाए जाने वाले कदमों के बारे में अदालत को सूचित करना चाहिए. अदालत ने पूछा कि बीएमसी और राज्य के अधिकारी अब तक यह निर्धारित करने में असमर्थ क्यों हैं कि पीड़ितों को कोविड-19 रोधी टीके के नाम पर क्या लगाया गया है. उच्च न्यायालय ने कहा कि यह राज्य की विफलता प्रतीत होती है. निगम जांच के बारे में क्यों नहीं सोचता? आप दुर्भाग्यपूर्ण लोगों के लिए क्या करने की सोच रहे हैं, आप हमें बृहस्पतिवार को बताएं.

यह भी पढ़ें-सेंट्रल विस्टा निर्माण : दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील रद्द

राज्य और बीएमसी ने इससे पहले उच्च न्यायालय को बताया था कि शहर भर में कुल 2,053 लोग फर्जी टीकाकरण शिविरों के शिकार हुए हैं. उच्च न्यायालय एक जुलाई को इन जनहित याचिकाओं पर सुनवाई जारी रखेगा.

(पीटीआई-भाषा)

मुंबई : हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति जीएस कुलकर्णी की पीठ ने बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) को भी निर्देश दिया कि वह अदालत को उन कदमों के बारे में सूचित करे. जो नगर निकाय ने एंटीबॉडी के लिए ऐसे शिविरों द्वारा ठगे गए लोगों और नकली टीके के कारण उनके स्वास्थ्य पर किसी भी प्रतिकूल प्रभाव की जांच करने के वास्ते प्रस्तावित किए हैं.

अदालत कोविड-19 के खिलाफ टीकाकरण अभियान की नागरिकों तक पहुंच बढ़ाने पर कई जनहित याचिकाओं (पीआईएल) पर सुनवाई कर रही थी. राज्य के वकील, अधिवक्ता दीपक ठाकरे ने उच्च न्यायालय को बताया कि इस मामले में सात प्राथमिकी दर्ज की गई हैं और 13 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. उन्होंने कहा कि मामले की जांच अभी जारी है. बीएमसी के वकील, वरिष्ठ अधिवक्ता अनिल सखारे ने अदालत को बताया कि आवास समितियों और कार्यालयों के लिए निजी कोविड-19 टीकाकरण शिविरों के लिए मानक संचालन प्रक्रियाओं (एसओपी) को बुधवार तक अंतिम रूप दिया जाएगा.

इसके बाद उच्च न्यायालय ने कहा कि अधिवक्ता ठाकरे को मामले में जांच अधिकारियों से कहना चाहिए कि वे घोटाले में शामिल पाए जाने वाले किसी भी व्यक्ति को नहीं बख्शें. अदालत ने कहा कि हो सकता है कि बड़ी मछली की पहचान की जानी बाकी हो. उनकी पहचान की जानी चाहिए और उन्हें बख्शा नहीं जाना चाहिए. पुलिस को कहा जाये कि जांच सही होनी चाहिए और किसी भी दोषी व्यक्ति को छूटने नहीं देना चाहिए.

अदालत ने कहा कि बीएमसी को पीड़ितों की जांच करने के लिए उठाए जाने वाले कदमों के बारे में अदालत को सूचित करना चाहिए. अदालत ने पूछा कि बीएमसी और राज्य के अधिकारी अब तक यह निर्धारित करने में असमर्थ क्यों हैं कि पीड़ितों को कोविड-19 रोधी टीके के नाम पर क्या लगाया गया है. उच्च न्यायालय ने कहा कि यह राज्य की विफलता प्रतीत होती है. निगम जांच के बारे में क्यों नहीं सोचता? आप दुर्भाग्यपूर्ण लोगों के लिए क्या करने की सोच रहे हैं, आप हमें बृहस्पतिवार को बताएं.

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राज्य और बीएमसी ने इससे पहले उच्च न्यायालय को बताया था कि शहर भर में कुल 2,053 लोग फर्जी टीकाकरण शिविरों के शिकार हुए हैं. उच्च न्यायालय एक जुलाई को इन जनहित याचिकाओं पर सुनवाई जारी रखेगा.

(पीटीआई-भाषा)

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