नई दिल्ली: भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने शुक्रवार को वकीलों से मामलों में स्थगन की मांग न करने का आग्रह किया. उन्होंने कहा कि जब तक वास्तव में आवश्यक न हो किसी मामले में स्थगन की मांग न करें. मुख्य न्यायाधीश ने सितंबर और अक्टूबर के दो महीने 3688 स्थगन और वकीलों के स्थगन की मांग वाली पर्चियों की ओर इशारा करते हुए कहा कि इस तरह तारिक पे तारिक अदालत नहीं बन सकते हैं.
सीजेआई ने कहा कि वह मामलों की पहली सुनवाई तक इसकी निगरानी करते हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि अवधि कम से कम हो. मुख्य न्यायाधीश ने कहा, 'आंकड़े खुद बोलते हैं. मैं नहीं चाहता कि यह अदालत तारीख पे तारीख अदालत बने. हम नागरिकों को कैसे न्यायोचित ठहराएंं...इससे हमारी अदालत के बारे में अच्छी छवि नहीं बनती है. वकीलों को विचार करना चाहिए और सुधारात्मक कदम उठाने चाहिए.'
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि बार के सदस्यों से मेरा एक अनुरोध है कि आज के लिए 177 स्थगन पर्चियां हैं और मैं स्थगन पर्चियों पर नजर रख रहा हूं और मुझे कुछ डेटा मिला है. बार के सदस्यों द्वारा एक सितंबर 2023 से 3 नवंबर 2023 तक औसतन प्रति दिन 154 स्थगन पत्र दिए गए. मुख्य न्यायाधीश ने कहा, 'सितंबर और अक्टूबर में इन दो महीनों के दौरान 3688 स्थगन पर्चियां मांगी गई हैं. मेरा मानना है कि यह वास्तव में दाखिल करने से लेकर लिस्टिंग तक की प्रक्रिया में तेजी लाने के उद्देश्य को विफल कर देगा.'
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मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि एक तरफ मामलों को तुरंत सूचीबद्ध करने के लिए कहा जाता है और फिर इसके विपरीत 3688 स्थगन पर्चियां हैं. मुझे एक सितंबर 2023 से 2361 मामलों का उल्लेख मिलता है. इसमें लगभग 15-20 प्रतिशत नए स्थगित मामले शामिल हैं. एक सितंबर से 3 नवंबर तक प्रति दिन औसतन 59 मामले शामिल किए गए. विडंबना यह है कि इन मामलों को स्थगन पर्ची देकर स्थगित कर दिया गया. हर कोई मामलों को त्वरित आधार पर सूचीबद्ध करने के लिए दबाव डालते हैं. वे बोर्ड पर आते हैं. उनका उल्लेख किया जाता है और फिर इसे स्थगित करवा दिया जाता है.' मुख्य न्यायाधीश ने अधिवक्ताओं से कहा कि वे तब तक स्थगन की मांग न करें जब तक कि यह वास्तव में आवश्यक न हो.