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हम 'एक देश, एक चुनाव' की अवधारणा से असहमत : ममता बनर्जी

Mamata Banerjee : टीएमसी की प्रमुख और पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने एक देश, एक चुनाव पर उच्च स्तरीय समिति को पत्र लिखा है. उन्होंने कहा कि हम आपके सूत्रीकरण और प्रस्ताव से असहमत हैं. पढ़िए पूरी खबर... One Nation, One Election

West Bengal CM Mamata Banerjee
पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी
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By PTI

Published : Jan 11, 2024, 4:30 PM IST

Updated : Jan 11, 2024, 6:08 PM IST

नई दिल्ली : तृणमूल कांग्रेस (TMC) की प्रमुख ममता बनर्जी ने लोकसभा व विधानसभा चुनाव एक साथ कराने की अवधारणा पर असहमति जताते हुए गुरुवार को 'एक देश, एक चुनाव' पर उच्च स्तरीय समिति को पत्र लिखकर कहा कि यह भारत के संवैधानिक बुनियादी ढांचे के खिलाफ होगा. समिति के सचिव को लिखे पत्र में ममता ने कहा कि 1952 में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के एक साथ पहली बार आम चुनाव कराए गए थे.

उन्होंने कहा, 'कुछ वर्षों तक इस तरह से चला लेकिन बाद में यह प्रक्रिया टूट गई.' उन्होंने पत्र में लिखा, 'मुझे खेद है कि मैं आपके द्वारा तैयार 'एक देश, एक चुनाव' की अवधारणा से सहमत नहीं हूं. हम आपके प्रारूप और प्रस्ताव से असहमत हैं.' उन्होंने कहा कि समिति के साथ सहमत होने को लेकर कुछ वैचारिक कठिनाइयां हैं और इसकी अवधारणा स्पष्ट नहीं है. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने 'एक देश एक चुनाव' के मतलब को लेकर सवाल किया और कहा, 'मैं ऐतिहासिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक परिपेक्ष्य में एक राष्ट्र का अर्थ समझती हूं, लेकिन मैं इस मामले में इस शब्द के सटीक संवैधानिक व संरचनात्मक निहितार्थ को नहीं समझ पा रही हूं. क्या भारतीय संविधान 'एक देश, एक सरकार' की अवधारणा का पालन करता है? मुझे डर है, ऐसा नहीं होगा.'

उन्होंने कहा कि जब तक यह अवधारणा कहां से आई इसकी 'बुनियादी पहेली' का समाधान नहीं हो जाता तब तक इस मुद्दे पर किसी ठोस राय पर पहुंचना मुश्किल है. उन्होंने कहा कि कुछ राज्यों में हाल-फिलहाल में विधानसभा चुनाव नहीं होने वाले इसलिए सिर्फ और सिर्फ एक पहल के नाम पर उन्हें समयपूर्व आम चुनाव के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए, जो उस जनता के चुनावी विश्वास का मूल उल्लंघन होगा, जिन्होंने पांच वर्षों के लिए अपने विधानसभा प्रतिनिधियों को चुनाव है.

ममता ने कहा, 'केंद्र या राज्य सरकार विभिन्न कारणों से अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाती हैं जैसे अविश्वास प्रस्ताव पर गठबंधन का टूटना.' उन्होंने कहा कि पिछले 50 वर्षों के दौरान लोकसभा में कई बार समय से पहले सरकार को टूटते हुए देखा है. उन्होंने कहा कि इस तरह की स्थिति में नये सिरे से चुनाव ही एकमात्र विकल्प है. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने कहा, 'शासन की 'वेस्टमिंस्टर' प्रणाली में संघ और राज्य चुनाव एक साथ न होना एक बुनियादी विशेषता है, जिसे बदला नहीं जाना चाहिए. संक्षेप में कहें तो एक साथ चुनाव नहीं होना भारतीय संवैधानिक व्यवस्था की मूल संरचना का हिस्सा है.'

पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली उच्च स्तरीय समिति ने राजनीतिक दलों से इस मुद्दे पर अपनी-अपनी राय रखने के लिए एक पत्र लिखा था. पिछले साल सितंबर में गठित समिति की दो बैठकें हो चुकी हैं. समिति ने इस मुद्दे पर जनता से विचार मांगे हैं और राजनीतिक दलों को भी पत्र लिखकर एक साथ चुनाव कराने के मुद्दे पर उनके विचार करने की मांग की है.

ये भी पढ़ें - राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह के जरिए भाजपा ‘नौटंकी’ कर रही है : ममता बनर्जी

नई दिल्ली : तृणमूल कांग्रेस (TMC) की प्रमुख ममता बनर्जी ने लोकसभा व विधानसभा चुनाव एक साथ कराने की अवधारणा पर असहमति जताते हुए गुरुवार को 'एक देश, एक चुनाव' पर उच्च स्तरीय समिति को पत्र लिखकर कहा कि यह भारत के संवैधानिक बुनियादी ढांचे के खिलाफ होगा. समिति के सचिव को लिखे पत्र में ममता ने कहा कि 1952 में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के एक साथ पहली बार आम चुनाव कराए गए थे.

उन्होंने कहा, 'कुछ वर्षों तक इस तरह से चला लेकिन बाद में यह प्रक्रिया टूट गई.' उन्होंने पत्र में लिखा, 'मुझे खेद है कि मैं आपके द्वारा तैयार 'एक देश, एक चुनाव' की अवधारणा से सहमत नहीं हूं. हम आपके प्रारूप और प्रस्ताव से असहमत हैं.' उन्होंने कहा कि समिति के साथ सहमत होने को लेकर कुछ वैचारिक कठिनाइयां हैं और इसकी अवधारणा स्पष्ट नहीं है. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने 'एक देश एक चुनाव' के मतलब को लेकर सवाल किया और कहा, 'मैं ऐतिहासिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक परिपेक्ष्य में एक राष्ट्र का अर्थ समझती हूं, लेकिन मैं इस मामले में इस शब्द के सटीक संवैधानिक व संरचनात्मक निहितार्थ को नहीं समझ पा रही हूं. क्या भारतीय संविधान 'एक देश, एक सरकार' की अवधारणा का पालन करता है? मुझे डर है, ऐसा नहीं होगा.'

उन्होंने कहा कि जब तक यह अवधारणा कहां से आई इसकी 'बुनियादी पहेली' का समाधान नहीं हो जाता तब तक इस मुद्दे पर किसी ठोस राय पर पहुंचना मुश्किल है. उन्होंने कहा कि कुछ राज्यों में हाल-फिलहाल में विधानसभा चुनाव नहीं होने वाले इसलिए सिर्फ और सिर्फ एक पहल के नाम पर उन्हें समयपूर्व आम चुनाव के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए, जो उस जनता के चुनावी विश्वास का मूल उल्लंघन होगा, जिन्होंने पांच वर्षों के लिए अपने विधानसभा प्रतिनिधियों को चुनाव है.

ममता ने कहा, 'केंद्र या राज्य सरकार विभिन्न कारणों से अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाती हैं जैसे अविश्वास प्रस्ताव पर गठबंधन का टूटना.' उन्होंने कहा कि पिछले 50 वर्षों के दौरान लोकसभा में कई बार समय से पहले सरकार को टूटते हुए देखा है. उन्होंने कहा कि इस तरह की स्थिति में नये सिरे से चुनाव ही एकमात्र विकल्प है. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने कहा, 'शासन की 'वेस्टमिंस्टर' प्रणाली में संघ और राज्य चुनाव एक साथ न होना एक बुनियादी विशेषता है, जिसे बदला नहीं जाना चाहिए. संक्षेप में कहें तो एक साथ चुनाव नहीं होना भारतीय संवैधानिक व्यवस्था की मूल संरचना का हिस्सा है.'

पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली उच्च स्तरीय समिति ने राजनीतिक दलों से इस मुद्दे पर अपनी-अपनी राय रखने के लिए एक पत्र लिखा था. पिछले साल सितंबर में गठित समिति की दो बैठकें हो चुकी हैं. समिति ने इस मुद्दे पर जनता से विचार मांगे हैं और राजनीतिक दलों को भी पत्र लिखकर एक साथ चुनाव कराने के मुद्दे पर उनके विचार करने की मांग की है.

ये भी पढ़ें - राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह के जरिए भाजपा ‘नौटंकी’ कर रही है : ममता बनर्जी

Last Updated : Jan 11, 2024, 6:08 PM IST
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