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भूकंप के मुहाने पर MP के ये जिले, धार का संकेत धरती के भीतर टैक्टोनिक एक्टिविटी जारी

मध्यप्रदेश के तीन से चार जिलों में बीते दिन भूकंप के झटके महसूस हुए. जहां धार जिले में भूकंप की तीव्रता 3.0 रही. भूकंप को लेकर एमपी में कितना खतरा है इस पर भूगर्भ शास्त्री डॉ दीपक राज तिवारी ने ईटीवी भारत से बात कर बताया.

districts of mp near narmada are earthquake
भूकंप के मुहाने पर
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Published : Feb 20, 2023, 7:22 PM IST

नर्मदा किनारे इन हिस्सो में भूकंप की आशंका

भोपाल। मध्यप्रदेश के धार जिले में आया करीब 3.0 तीव्रता का भूकंप क्या संकेत दे रहा है. कैसे ये भूकंप नर्मदा घाटी के किनारे बसे जिलों के लिए अलर्ट है. इंदौर के तीन जिलो में भूकंप के झटके लेकिन क्या वजह है कि इंदौर बाकी शहरों के मुकाबले सुरक्षित बचा हुआ है. क्यों नर्मदा के दक्षिणी हिस्से के लिए ये ज्यादा सतर्क हो जाने का वक्त है. देश भर में आए भूकंप का गहन अध्ययन करने वाले भूगर्भ शास्त्री डॉ दीपक राज तिवारी ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि धार में जो भूकंप आया है, वो बता रहा है कि सब कुछ ठीक नहीं है. फिर नर्मदा के दक्षिणी हिस्से में तो फॉल्ट और लिनियामेंट यानि दरारें ज्यादा हैं.

नर्मदा किनारे इन हिस्सो में पहले आएगा भूकंप: नर्मदा घाटी के किनारे बसे शहर भूकंप के लिए खास तौर पर संवेदनशील हैं. उसकी वजह है कि 1312 किलोमीटर तक बहने वाली नर्मदा एक रिफ्ट वैली है, लेकिन भू गर्भ शास्त्री डॉ दीपक राज तिवारी के मुताबिक इनमें भी जो दक्षिणी हिस्सा है. वो ज्यादा संवेदनशील है. इसमें बड़वाह खरगोन खंडवा खरगोन राजपीपला नरसिंहपुर जबलपुर उमरिया तक इसका एक्सटेंशन है. ईटीवी भारत से खास बातचीत में डॉ तिवारी ने बताया कि असल में नर्मदा वैली का जो दक्षिणी हिस्सा है, यहां पर फॉल्ट और लिनियामेंट ज्यादा है. यानि इस हिस्से में ज्यादा दरारे हैं. यही वजह है कि भूकंप के लिहाज से ये ज्यादा एक्टिव इलाके माने गए हैं. डॉ तिवारी कहते हैं अभी पूरी धरती पर ही अनइस्टेबिलिटी का दौर है. ऐसे में खास अलर्ट की जरुरत मध्यप्रदेश के नर्मदा घाटी किनारे बसे इलाकों में है.

MP के 4 जिलों में महसूस हुए भूकंप के झटके, रिक्टर पैमाने पर मापी गई 3.0 की तीव्रता, NCS ने ट्वीट कर दी जानकारी

डैम बढ़ाते हैं भूकंप की संभावना: नर्मदा नदी पर अभी 30 बड़े डैम 2025 तक बनने हैं. इसके अलावा 135 मीडियम और 3000 छोटे डैम हैं. इनमें सरदार सरोवर से लेकर इंदिरा सागर औंकारेश्वर महेश्वर तो चर्चित बांध हैं. भूगर्भ शास्त्री डॉ दीपक राज तिवारी कहते हैं असल में डैम भी भूकंप को वजह देते हैं. जब डैम का पानी रिस रिस कर गहराई तक जाएगा, तो घातक स्टीम बनाता है. इसे सी टैक्टोनिक प्लेट्स डिस्टर्ब होंगी और भूकंप की संभावना बनेगी. फिर जो नर्मदा का दक्षिणी हिस्सा है, वहां यूं भी टैक्टोनिक एक्टिविटी की आशंका ज्यादा है.

क्यों भूकंप से बच सकता है इंदौर: इंदौर संभाग के तीन जिलों में भूकंप आया, लेकिन इंदौर जिला सुरक्षित रहा, उसकी भी वजह है. डॉ तिवारी बताते हैं इसकी वजह ये है कि इंदौर काले पत्थर पर है. डैक्कन ट्रैप पर इंदौर इंदौर है. इसीलिए वहां भूकंप की संभावना बहुत कम है.

नर्मदा घाटी के जिलों में भूकंप रोधी मकान जरुरी: डॉ दीपक राज तिवारी के मुताबिक धार के भूकंप ने ये बता दिया है कि भीतर टैक्टोनिक एक्टिविटी है. सब कुछ ठीक नहीं कहा जा सकता है. इसीलिए ये बेहद जरुरी है कि भूकंप को लेकर खास तौर पर नर्मदा किनारे के जिले अलर्ट मोड पर रहे. यहां मकान बनवाने की अनुमति के साथ भूकंप रोधी मकान की एक शर्त भी जोड़ी जाए. दूसरी तरफ मल्टी स्टोरीज का जो ट्रेंड आया है. दस बीस मंजिला स्टोरी का ये सबसे बड़ा जोखिम है. इस पर काबू किया जाए. लोगों में निरंतर इसे लेकर जागरुकता भी जरुरी है.

नर्मदा किनारे इन हिस्सो में भूकंप की आशंका

भोपाल। मध्यप्रदेश के धार जिले में आया करीब 3.0 तीव्रता का भूकंप क्या संकेत दे रहा है. कैसे ये भूकंप नर्मदा घाटी के किनारे बसे जिलों के लिए अलर्ट है. इंदौर के तीन जिलो में भूकंप के झटके लेकिन क्या वजह है कि इंदौर बाकी शहरों के मुकाबले सुरक्षित बचा हुआ है. क्यों नर्मदा के दक्षिणी हिस्से के लिए ये ज्यादा सतर्क हो जाने का वक्त है. देश भर में आए भूकंप का गहन अध्ययन करने वाले भूगर्भ शास्त्री डॉ दीपक राज तिवारी ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि धार में जो भूकंप आया है, वो बता रहा है कि सब कुछ ठीक नहीं है. फिर नर्मदा के दक्षिणी हिस्से में तो फॉल्ट और लिनियामेंट यानि दरारें ज्यादा हैं.

नर्मदा किनारे इन हिस्सो में पहले आएगा भूकंप: नर्मदा घाटी के किनारे बसे शहर भूकंप के लिए खास तौर पर संवेदनशील हैं. उसकी वजह है कि 1312 किलोमीटर तक बहने वाली नर्मदा एक रिफ्ट वैली है, लेकिन भू गर्भ शास्त्री डॉ दीपक राज तिवारी के मुताबिक इनमें भी जो दक्षिणी हिस्सा है. वो ज्यादा संवेदनशील है. इसमें बड़वाह खरगोन खंडवा खरगोन राजपीपला नरसिंहपुर जबलपुर उमरिया तक इसका एक्सटेंशन है. ईटीवी भारत से खास बातचीत में डॉ तिवारी ने बताया कि असल में नर्मदा वैली का जो दक्षिणी हिस्सा है, यहां पर फॉल्ट और लिनियामेंट ज्यादा है. यानि इस हिस्से में ज्यादा दरारे हैं. यही वजह है कि भूकंप के लिहाज से ये ज्यादा एक्टिव इलाके माने गए हैं. डॉ तिवारी कहते हैं अभी पूरी धरती पर ही अनइस्टेबिलिटी का दौर है. ऐसे में खास अलर्ट की जरुरत मध्यप्रदेश के नर्मदा घाटी किनारे बसे इलाकों में है.

MP के 4 जिलों में महसूस हुए भूकंप के झटके, रिक्टर पैमाने पर मापी गई 3.0 की तीव्रता, NCS ने ट्वीट कर दी जानकारी

डैम बढ़ाते हैं भूकंप की संभावना: नर्मदा नदी पर अभी 30 बड़े डैम 2025 तक बनने हैं. इसके अलावा 135 मीडियम और 3000 छोटे डैम हैं. इनमें सरदार सरोवर से लेकर इंदिरा सागर औंकारेश्वर महेश्वर तो चर्चित बांध हैं. भूगर्भ शास्त्री डॉ दीपक राज तिवारी कहते हैं असल में डैम भी भूकंप को वजह देते हैं. जब डैम का पानी रिस रिस कर गहराई तक जाएगा, तो घातक स्टीम बनाता है. इसे सी टैक्टोनिक प्लेट्स डिस्टर्ब होंगी और भूकंप की संभावना बनेगी. फिर जो नर्मदा का दक्षिणी हिस्सा है, वहां यूं भी टैक्टोनिक एक्टिविटी की आशंका ज्यादा है.

क्यों भूकंप से बच सकता है इंदौर: इंदौर संभाग के तीन जिलों में भूकंप आया, लेकिन इंदौर जिला सुरक्षित रहा, उसकी भी वजह है. डॉ तिवारी बताते हैं इसकी वजह ये है कि इंदौर काले पत्थर पर है. डैक्कन ट्रैप पर इंदौर इंदौर है. इसीलिए वहां भूकंप की संभावना बहुत कम है.

नर्मदा घाटी के जिलों में भूकंप रोधी मकान जरुरी: डॉ दीपक राज तिवारी के मुताबिक धार के भूकंप ने ये बता दिया है कि भीतर टैक्टोनिक एक्टिविटी है. सब कुछ ठीक नहीं कहा जा सकता है. इसीलिए ये बेहद जरुरी है कि भूकंप को लेकर खास तौर पर नर्मदा किनारे के जिले अलर्ट मोड पर रहे. यहां मकान बनवाने की अनुमति के साथ भूकंप रोधी मकान की एक शर्त भी जोड़ी जाए. दूसरी तरफ मल्टी स्टोरीज का जो ट्रेंड आया है. दस बीस मंजिला स्टोरी का ये सबसे बड़ा जोखिम है. इस पर काबू किया जाए. लोगों में निरंतर इसे लेकर जागरुकता भी जरुरी है.

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