नई दिल्ली : संसद के शीतकालीन सत्र का आज चौथा दिन है. लोक सभा में नियम 193 के तहत कोविड-19 के ओमीक्रोन वेरिएंट और कोरोना महामारी से उपजे हालात पर चर्चा (Discussion on Covid in Lok Sabha) की गई. चर्चा के दौरान कांग्रेस ने कोरोना को लेकर सरकार की गंभीरता पर सवाल खड़े किए हैं.
कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने कहा कि दुर्भाग्य की बात है कि सरकार को जो प्राथमिकता दिखानी चाहिए थी, ऐसा नहीं हुआ. उन्होंने कहा कि लोक सभा में कोरम की घंटी बजाए जाने के बाद सत्ता पक्ष के सांसद सदन में पहुंचे. यह दिखाता है कि सरकार कोरोना संकट के विषय को लेकर कितना गंभीर है.
उन्होंने कहा कि भारत की 130 करोड़ की आबादी के लिए कोविड केवल महामारी या आंकड़ा नहीं है. गोगोई ने कहा कि कोविड जीवन का हिस्सा बन चुका है. भारत के हर नागरिक ने किसी न किसी प्रकार से कोविड को अपने जीवन में अनुभव किया है.
गोगोई ने कहा कि पीड़ित परिवारों के बारे में सोचने पर खास तौर से बच्चों को लेकर दुख होता है.
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गौरतलब है कि शीतकालीन सत्र के पहले तीन दिनों के दौरान भी कई ऐसे मौके आए, जब विपक्ष ने सरकार की गंभीरता पर सवाल खड़े किए गए. शीतकालीन सत्र में तीसरे दिन की कार्यवाही के दौरान कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने कहा था कि बिल पर चर्चा के दौरान मंत्रियों की गैरहाजिरी उनकी गंभीरता स्पष्ट करती है.
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अधीर रंजन चौधरी की टिप्पणी पर स्पीकर ओम बिरला ने भी कहा था कि मंत्रियों को सदन में मौजूद रहना ही चाहिए, इससे पहले दूसरे दिन की कार्यवाही के दौरान केंद्रीय राज्य मंत्री प्रतिमा भौमिक सदन से नदारद रहीं थी. इस पर स्पीकर बिरला ने नाराजगी जताते हुए कहा था कि आसन किसी का इंतजार नहीं करेगा.