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Disaster resilience : वैश्विक, राष्ट्रीय विकास के केंद्रीय विमर्श में आया आपदा प्रतिरोध: पी के मिश्रा - कोएलिशन फॉर डिजास्टर रेजिलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर

प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव पी के मिश्रा ने आज 'कोएलिशन फॉर डिजास्टर रेजिलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर’ 2023 पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित किया. इस मौके पर उन्होंने कहा कि तकनीकी नवाचार पर ध्यान दिया जाना चाहिए.

Etv BharatDisaster resilience has become central to global, national development discourse: PK Mishra
Etv Bharatवैश्विक, राष्ट्रीय विकास के केंद्रीय विमर्श में आया आपदा प्रतिरोध: पी के मिश्रा
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Published : Apr 4, 2023, 2:21 PM IST

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव पी के मिश्रा ने उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिए वहनीयता, मापनीयता और स्थिरता पर ध्यान केंद्रित करने पर जोर देते हुए मंगलवार को कहा कि आपदा प्रतिरोध वैश्विक और राष्ट्रीय विकास विमर्श के केंद्र में आ गया है. आधिकारिक सूत्रों ने उनके हवाले से बताया कि 'कोएलिशन फॉर डिजास्टर रेजिलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर’ (सीडीआरआई), 2023 पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए मिश्रा ने कहा कि संस्थागत नवाचार पर उतना ही ध्यान दिया जाना चाहिए जितना कि तकनीकी नवाचार पर.

उन्होंने कहा, 'अगर भविष्य अनिश्चित है, तो हम खुद को काम करने के केवल एक तरीके में सीमित नहीं कर सकते .' उन्होंने कहा कि हमारे संस्थानों के आधुनिकीकरण, वैकल्पिकता को बनाए रखने, बहु-अनुशासनात्मक क्षमताओं का निर्माण करके, उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिए क्या अनुरूप है, और लोगों को केंद्र में रखकर, आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रतिरोधी बुनियादी ढांचे के मार्ग विकसित किए जा सकते हैं. इस वर्ष के आईसीडीआरआई का विषय ‘प्रतिरोधी और समावेशी बुनियादी ढांचा प्रदान करना: जोखिम-सूचित प्रणालियों, प्रथाओं और निवेश के लिए मार्ग’ है.

मिश्रा ने कहा, 'आपदा प्रतिरोध अब एक विशिष्ट विषय नहीं है. यह वैश्विक और राष्ट्रीय विकास विमर्श के केंद्र में आ गया है.' बुनियादी ढांचा प्रणालियों के परस्पर संबंध और वंचित समुदायों की आवश्यकताओं को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि इस विमर्श की स्वाभाविक प्रगति समस्या का वर्णन करने से परे समाधान खोजने के लिए होगी. उन्होंने पांच विषयों पर प्रकाश डाला जो समाधान की खोज को रेखांकित करने वाले होने चाहिए.

इस संबंध में, उन्होंने संस्थानों द्वारा प्रणालीगत सोच को आत्मसात करने और 21 वीं सदी की समस्याओं को हल करने के लिए 20 वीं शताब्दी के संस्थागत दृष्टिकोण को छोड़ने की वकालत की। इस कड़ी में उन्होंने परियोजनाओं की समग्र और एकीकृत योजना के उदाहरण के रूप में 'पीएम गतिशक्ति मास्टरप्लान' का हवाला दिया. उन्होंने बुनियादी ढांचा प्रणालियों में वैकल्पिकता के महत्व और पुनरावृत्ति दृष्टिकोण की आवश्यकता पर जोर दिया और साथ ही संस्थानों के आधुनिकीकरण और कुशल होने की आवश्यकता पर भी बल दिया.

ये भी पढ़ें- आपदा के मौके पर प्रतिक्रिया एकीकृत होनी चाहिए, अलग-थलग नहीं: पीएम मोदी

उन्होंने कहा कि इसके लिए उस तरह की क्षमताओं की आवश्यकता होगी, जिसकी दुनिया में वर्तमान में दक्षिण और उत्तर दोनों में कमी है. मिश्रा ने कहा, 'हम उत्तर-दक्षिण, दक्षिण-दक्षिण, उत्तर-उत्तर एक्सचेंज की सुविधा देना चाहते हैं, लेकिन बुनियादी ढांचा सेवाओं का एक बड़ा हिस्सा दक्षिण में पहुंचाना होगा। इसलिए, समाधान की हमारी खोज में हमें उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिए सामर्थ्य, मापनीयता और स्थिरता पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए.' इससे पहले, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने वीडियो संबोधन में आपदाओं के लिए एकीकृत प्रतिक्रिया की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए कहा कि एक क्षेत्र में आपदा का निकटता से जुड़े विश्व में अलग क्षेत्र पर बड़ा प्रभाव पड़ सकता है.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव पी के मिश्रा ने उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिए वहनीयता, मापनीयता और स्थिरता पर ध्यान केंद्रित करने पर जोर देते हुए मंगलवार को कहा कि आपदा प्रतिरोध वैश्विक और राष्ट्रीय विकास विमर्श के केंद्र में आ गया है. आधिकारिक सूत्रों ने उनके हवाले से बताया कि 'कोएलिशन फॉर डिजास्टर रेजिलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर’ (सीडीआरआई), 2023 पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए मिश्रा ने कहा कि संस्थागत नवाचार पर उतना ही ध्यान दिया जाना चाहिए जितना कि तकनीकी नवाचार पर.

उन्होंने कहा, 'अगर भविष्य अनिश्चित है, तो हम खुद को काम करने के केवल एक तरीके में सीमित नहीं कर सकते .' उन्होंने कहा कि हमारे संस्थानों के आधुनिकीकरण, वैकल्पिकता को बनाए रखने, बहु-अनुशासनात्मक क्षमताओं का निर्माण करके, उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिए क्या अनुरूप है, और लोगों को केंद्र में रखकर, आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रतिरोधी बुनियादी ढांचे के मार्ग विकसित किए जा सकते हैं. इस वर्ष के आईसीडीआरआई का विषय ‘प्रतिरोधी और समावेशी बुनियादी ढांचा प्रदान करना: जोखिम-सूचित प्रणालियों, प्रथाओं और निवेश के लिए मार्ग’ है.

मिश्रा ने कहा, 'आपदा प्रतिरोध अब एक विशिष्ट विषय नहीं है. यह वैश्विक और राष्ट्रीय विकास विमर्श के केंद्र में आ गया है.' बुनियादी ढांचा प्रणालियों के परस्पर संबंध और वंचित समुदायों की आवश्यकताओं को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि इस विमर्श की स्वाभाविक प्रगति समस्या का वर्णन करने से परे समाधान खोजने के लिए होगी. उन्होंने पांच विषयों पर प्रकाश डाला जो समाधान की खोज को रेखांकित करने वाले होने चाहिए.

इस संबंध में, उन्होंने संस्थानों द्वारा प्रणालीगत सोच को आत्मसात करने और 21 वीं सदी की समस्याओं को हल करने के लिए 20 वीं शताब्दी के संस्थागत दृष्टिकोण को छोड़ने की वकालत की। इस कड़ी में उन्होंने परियोजनाओं की समग्र और एकीकृत योजना के उदाहरण के रूप में 'पीएम गतिशक्ति मास्टरप्लान' का हवाला दिया. उन्होंने बुनियादी ढांचा प्रणालियों में वैकल्पिकता के महत्व और पुनरावृत्ति दृष्टिकोण की आवश्यकता पर जोर दिया और साथ ही संस्थानों के आधुनिकीकरण और कुशल होने की आवश्यकता पर भी बल दिया.

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उन्होंने कहा कि इसके लिए उस तरह की क्षमताओं की आवश्यकता होगी, जिसकी दुनिया में वर्तमान में दक्षिण और उत्तर दोनों में कमी है. मिश्रा ने कहा, 'हम उत्तर-दक्षिण, दक्षिण-दक्षिण, उत्तर-उत्तर एक्सचेंज की सुविधा देना चाहते हैं, लेकिन बुनियादी ढांचा सेवाओं का एक बड़ा हिस्सा दक्षिण में पहुंचाना होगा। इसलिए, समाधान की हमारी खोज में हमें उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिए सामर्थ्य, मापनीयता और स्थिरता पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए.' इससे पहले, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने वीडियो संबोधन में आपदाओं के लिए एकीकृत प्रतिक्रिया की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए कहा कि एक क्षेत्र में आपदा का निकटता से जुड़े विश्व में अलग क्षेत्र पर बड़ा प्रभाव पड़ सकता है.

(पीटीआई-भाषा)

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