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'डिजिटल युग' की सच्चाई, ऑनलाइन परीक्षा के लिए जाते हैं 16 किमी. दूर

भारत के कई ऐसे राज्य हैं जहां आज भी सेलुलर नेटवर्क के लिए लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. तमिलनाडु में भी ऐसा ही एक गांव है जहां के लोगों को नेटवर्क के लिए 16 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है. यही नहीं आपात स्थिति में एंबुलेंस बुलाने के लिए भी जद्दोजहद करनी पड़ती है.

डिजिटल डिवाइड
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Published : Jun 29, 2021, 3:50 PM IST

तिरुनेलवेली (तमिलनाडु) : कोविड महामारी (Covid Pandemic) ने छात्रों की शिक्षा व्यवस्था (education system) को प्रभावित किया है. जहां बच्चों ने महामारी में घर पर रहकर ऑनलाइन क्लास का लाभ लिया, वहीं, कुछ ऐसे बच्चे भी हैं जिन्हें ऐसी व्यवस्था पाने के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ती है.

तमिलनाडु के तिरुनेलवी जिले (Tirunelvi district) में पश्चिम घाट में मुंडनथुरई टाइगर रिजर्व (Mundanthurai Tiger Reserve) में स्थित एक गांव है सर्वलारु. यहां किसी प्रकार का सेलुलर नेटवर्क उपलब्ध नहीं है. इस गांव में रहने वाली कानी आदिवासी समुदाय की छात्रा राम्या रोजाना अपने अंतिम सेमेस्टर की ऑनलाइन परीक्षा के लिए 16 किमी पैदल चलकर इंटरनेट नेटवर्क रेंज तक जाती है. वह तिरुनेलवेली (Tirunelveli) में तिरुवल्लुवर विश्वविद्यालय (Thiruvalluvar University) से कला में स्नातक कर रही है.

पढ़ें : न्यूट्रिनो प्रदर्शनकारियों के खिलाफ दर्ज केस वापस होंगे : स्टॉलिन

चूंकि, महामारी के कारण कॉलेज बंद है और ऑनलाइन पढ़ाई चल रही है, इसलिए राम्या अपनी पढ़ाई को जारी रखने के लिए कुछ इस तरह से संघर्ष कर रही है. कोविड लॉकडाउन के बाद दिन में दो बार मिलने वाली बस सेवा भी अब बंद कर दी गई है. ऐसे में ऑनलाइन परीक्षा देने के लिए राम्या को 16 किमी की दूरी पैदल ही तय करनी पड़ती है.

भले ही पिता अमलराज और भाई एसाकी राज राम्या को सेलुलर नेटवर्क तक पहुंचाने में मदद करते हैं, लेकिन जंगल में जानवरों का भी डर रहता है. लेकिन दूसरा विकल्प नहीं होने के कारण राम्या के लिए यह अब मजबूरी बन गई है. गांव में राम्या की तरह अन्य़ कई छात्र-छात्राएं हैं जो संघर्ष के चलते अब ऑनलाइन शिक्षा को भी छोड़ने को मजबूर हैं. अमलराज ने सरकार से अपने गांव के बच्चों को ऑनलाइन शिक्षा प्राप्त करने में मदद करने का अनुरोध किया है.

तिरुनेलवेली (तमिलनाडु) : कोविड महामारी (Covid Pandemic) ने छात्रों की शिक्षा व्यवस्था (education system) को प्रभावित किया है. जहां बच्चों ने महामारी में घर पर रहकर ऑनलाइन क्लास का लाभ लिया, वहीं, कुछ ऐसे बच्चे भी हैं जिन्हें ऐसी व्यवस्था पाने के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ती है.

तमिलनाडु के तिरुनेलवी जिले (Tirunelvi district) में पश्चिम घाट में मुंडनथुरई टाइगर रिजर्व (Mundanthurai Tiger Reserve) में स्थित एक गांव है सर्वलारु. यहां किसी प्रकार का सेलुलर नेटवर्क उपलब्ध नहीं है. इस गांव में रहने वाली कानी आदिवासी समुदाय की छात्रा राम्या रोजाना अपने अंतिम सेमेस्टर की ऑनलाइन परीक्षा के लिए 16 किमी पैदल चलकर इंटरनेट नेटवर्क रेंज तक जाती है. वह तिरुनेलवेली (Tirunelveli) में तिरुवल्लुवर विश्वविद्यालय (Thiruvalluvar University) से कला में स्नातक कर रही है.

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चूंकि, महामारी के कारण कॉलेज बंद है और ऑनलाइन पढ़ाई चल रही है, इसलिए राम्या अपनी पढ़ाई को जारी रखने के लिए कुछ इस तरह से संघर्ष कर रही है. कोविड लॉकडाउन के बाद दिन में दो बार मिलने वाली बस सेवा भी अब बंद कर दी गई है. ऐसे में ऑनलाइन परीक्षा देने के लिए राम्या को 16 किमी की दूरी पैदल ही तय करनी पड़ती है.

भले ही पिता अमलराज और भाई एसाकी राज राम्या को सेलुलर नेटवर्क तक पहुंचाने में मदद करते हैं, लेकिन जंगल में जानवरों का भी डर रहता है. लेकिन दूसरा विकल्प नहीं होने के कारण राम्या के लिए यह अब मजबूरी बन गई है. गांव में राम्या की तरह अन्य़ कई छात्र-छात्राएं हैं जो संघर्ष के चलते अब ऑनलाइन शिक्षा को भी छोड़ने को मजबूर हैं. अमलराज ने सरकार से अपने गांव के बच्चों को ऑनलाइन शिक्षा प्राप्त करने में मदद करने का अनुरोध किया है.

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