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केंद्र सरकार पर पंजाब में किसानों की खुदकुशी के आंकड़ों में हेरफेर करने का आरोप

केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कांग्रेस सांसद सुरेश नारायण धनोरकर का जवाब देते हुए कहा है कि साल 2000 से 2018 के बीच पंजाब में 1,805 किसानों ने खुदकुशी की. इससे पहले कांग्रेस नेता ने कहा था कि साल 2000 से 2018 के बीच 9,291 किसानों ने खुदकुशी की.

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Published : Jul 28, 2022, 9:35 PM IST

Congress MP Suresh Narayan Dhanorkar
कांग्रेस नेता सुरेश नारायण धनोरकर

चंडीगढ़: केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कांग्रेस सांसद सुरेश नारायण धनोरकर का जवाब देते हुए लोकसभा में कहा कि साल 2000 से 2018 के बीच 1,805 किसानों ने आत्महत्या की. उन्होंने राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए यह बात कही. उन्होंने यह भी कहा कि एनसीआरबी, केवल किसानों और खेतिहर मजदूरों के संदर्भ में डेटा रखता है.

इससे पहले कांग्रेस सांसद ने लोकसभा में पंजाब कृषि विश्वविद्यालय, लुधियाना के एक अध्ययन को सामने रखा था, जिसमें यह कहा गया था कि 2000 से 2018 के बीच यानी 18 सालों में पंजाब में 9,291 किसानों की आत्महत्या से मौत हुई. उन्होंने यह भी बताया था कि पंजाब के 6 जिलों संगरूर, बठिंडा, लुधियाना, मानसा, मोगा और बरनाला में किए गए सर्वे में यह डेटा सामने निकलकर आया था.

केंद्रीय आंकड़ों पर सवाल उठाते हुए भारतीय किसान यूनियन के एक नेता ने कहा कि केंद्र सरकार किसानों की खस्ताहालत को कम करके दिखाने की कोशिश कर रही है. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के आंकड़े विश्वसनीय जान पड़ते हैं जबकि केंद्रीय मंत्री के आंकड़ों में हेरफेर लगती है.

यह भी पढ़ें- पंजाब में 14 किसानों की खुदकुशी पर घिरी मान सरकार, विपक्ष ने केजरीवाल को याद दिलाया चुनावी वादा

चंडीगढ़: केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कांग्रेस सांसद सुरेश नारायण धनोरकर का जवाब देते हुए लोकसभा में कहा कि साल 2000 से 2018 के बीच 1,805 किसानों ने आत्महत्या की. उन्होंने राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए यह बात कही. उन्होंने यह भी कहा कि एनसीआरबी, केवल किसानों और खेतिहर मजदूरों के संदर्भ में डेटा रखता है.

इससे पहले कांग्रेस सांसद ने लोकसभा में पंजाब कृषि विश्वविद्यालय, लुधियाना के एक अध्ययन को सामने रखा था, जिसमें यह कहा गया था कि 2000 से 2018 के बीच यानी 18 सालों में पंजाब में 9,291 किसानों की आत्महत्या से मौत हुई. उन्होंने यह भी बताया था कि पंजाब के 6 जिलों संगरूर, बठिंडा, लुधियाना, मानसा, मोगा और बरनाला में किए गए सर्वे में यह डेटा सामने निकलकर आया था.

केंद्रीय आंकड़ों पर सवाल उठाते हुए भारतीय किसान यूनियन के एक नेता ने कहा कि केंद्र सरकार किसानों की खस्ताहालत को कम करके दिखाने की कोशिश कर रही है. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के आंकड़े विश्वसनीय जान पड़ते हैं जबकि केंद्रीय मंत्री के आंकड़ों में हेरफेर लगती है.

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