झज्जर: 1 अक्टूबर 2023 से दिल्ली एनसीआर में डीजल जनरेटर बैन हो जाएंगे. वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने जून महीने में इसकी घोषणा की थी. इस बार ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान यानी ग्रेप 1 अक्टूबर से शुरू हो रहा है. ग्रेप पीरियड के दौरान दिल्ली एनसीआर में डीजल जनरेटर बैन रहेंगे. पिछले साल केवल इंडस्ट्रियल जनरेटर पर ही बैन लगा था. इस बार इमरजेंसी सर्विस यानी अस्पताल, रेलवे या मेट्रो और बैंक में कहीं भी डीजल जनरेटर से बिजली आपूर्ति नहीं की जा सकेगी.
हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण विभाग के एसडीओ अमित दहिया ने बताया कि ऐसा नहीं है कि दिल्ली एनसीआर में जनरेटर चल ही नहीं पाएंगे. उन्होंने कहा कि अगर जनरेटर चलाना है तो उसे ड्यूल फ्यूल मोड में परिवर्तित करना होगा. इसके लिए आरईसीडी किट (Retrofit Emission control device) लगवानी होगी और जनरेटर को 70 प्रतिशत गैस और 30 प्रतिशत डीजल में परिवर्तन करवा कर बिजली जाने के बाद 2 घंटे के लिए चलाया जा सकता है.
अस्पताल संचालकों ने की छूट की मांग: जैसे ही झज्जर अस्पताल संचालकों को डीजल जनरेटर बैन होने की सूचना मिली तो हड़कंप मच गया. संजय अस्पताल के डायरेक्टर डॉक्टर संजय सिंह ने कहा कि अगर बीच ऑपरेशन में बिजली चली जाती है, तो जनरेटर चलाना उनकी मजबूरी हो जाती है, क्योंकि एक जीवन बचाना ज्यादा महत्वपूर्ण होता है. इसलिए उन्होंने सरकार और आयोग से अस्पताल को इस बैन से छूट देने की मांग की.
उद्योग संगठन बहादुरगढ़ इंडस्ट्री के प्रधान प्रवीन गर्ग ने सरकार से 24 घंटे बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने की मांग की है. उन्होंने कहा कि अगर सरकार बिजली नहीं दे पा रही है, तो बिजली कट की अवधि में उन्हें जनरेटर चलाने की अनुमति मिलनी ही चाहिए. उन्होंने कहा कि अभी सभी उद्योगों तक गैस पाइप लाइन नहीं पहुंची है और आरईसीडी किट भी काफी महंगी है. जिसके कारण ड्यूल फ्यूल मोड में सभी जरनेटर नहीं बदल पाए हैं.
असल ये सारी बंदिशे इसलिए लगाई गई हैं ताकि दिल्ली एनसीआर की हवा सांस लेने लायक रह सके. अक्टूबर महीने से ग्रेप पीरियड की शुरुआत हो रही है. क्योंकि इसी महीने से हवा में प्रदूषण का स्तर बढ़ने लगता है और जहरीली होती हवा में लोगों का दम घुटने लगता है. इसलिए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने इस बार बंदिशे और भी ज्यादा सख्त कर दी हैं. जिन्हें सख्ती से लागू करने के लिए संबंधित विभागों को दिशा निर्देश भी जारी कर दिए हैं.
ड्यूल फ्यूल मोड पर शिफ्ट करना होगा जनरेटर: इसलिए जिन इंडस्ट्री, कमर्शियल, रिहायशी, ऑफिस और शैक्षणिक संस्थानों को जनरेटर चलाना है. उन्हें 30 सितंबर तक डीजल जनरेटर को ड्यूल फ्यूल मोड में परिवर्तन करना ही होगा. जहां पीएनजी की सप्लाई लाइन नहीं है. वहां आरईसीडी किट को पोर्टेबल गैस सिलेंडर के साथ जोड़कर जनरेटर चलाने की अनुमति मिल सकती है.
क्या है GRAP: ग्रेप का मतलब ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान है. जो इमरजेंसी उपायों के लिए इस्तेमाल किया जाता है. ये दिल्ली-एनसीआर में एयर क्वालिटी को बेहतर करने के लिए लागू किया जा रहा है. इसे सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के बाद साल 2017 में नोटिफाई किया गया था.