ETV Bharat / bharat

बच्चों को गोद लेने संबंधी पोस्ट की मांगी डिटेल, दी कड़ी चेतावनी - बच्चों को गोद

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने रविवार को ट्विटर और फेसबुक सहित सोशल मीडिया मंच से कोविड के कारण अनाथ हुए बच्चों को सीधे गोद लेने संबंधी पोस्टों की उत्पत्ति को साझा करने को कहा तथा निर्देशों का पालन नहीं करने पर कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी.

बच्चों
बच्चों
author img

By

Published : Jun 14, 2021, 9:29 AM IST

नई दिल्ली : राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने कहा कि कोरोना वायरस की दूसरी लहर के दौरान, उसे इस तरह की शिकायतें मिली थीं जिसमें कहा गया था कि सोशल मीडिया पर कई ऐसे पेजों और पोस्टों के जरिये उन बच्चों को गोद लेने के बारे में विज्ञापन दिया गया था जिन्होंने संक्रमण के कारण अपने माता-पिता को खो दिया है.

बिना नियम किसी बच्चे को गोद लेने की अनुमति नहीं

एनसीपीसीआर ने ट्विटर, फेसबुक, व्हाट्सएप और टेलीग्राम को लिखे एक पत्र में कहा कि किशोर न्याय अधिनियम की प्रक्रियाओं का पालन किए बिना इस तरह से किसी बच्चे को गोद लेना अवैध और कानून का उल्लंघन है. आयोग ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि किशोर न्याय अधिनियम 2015 के प्रावधानों के विपरीत जाकर प्रभावित बच्चों को गोद लेने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए और राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को उन गैर सरकारी संगठनों या अवैध रूप से बच्चों को गोद लेने वाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया था. एनसीपीसीआर ने सोशल मीडिया मंचों से कहा कि अगर इस तरह की पोस्ट डाली जाती है तो इसकी सूचना कानून प्रवर्तन अधिकारियों या एनसीपीसीआर या राज्यों या केंद्र शासित प्रदेशों के आयोगों को दी जानी चाहिए.

निर्देशों का पालन नहीं ताे हाेगी कार्रवाई

शीर्ष बाल अधिकार निकाय ने अपने पत्र में कहा कि सोशल मीडिया मंच को इंटरनेट प्रोटोकॉल (आईपी) पता, पोस्ट की उत्पत्ति और अन्य प्रासंगिक विवरण देने चाहिए, ताकि एनसीपीसीआर मामले में आवश्यक कार्रवाई के लिए सिफारिश कर सके. आयोग ने सोशल मीडिया कंपनियों से कहा है कि इन निर्देशों का पालन नहीं करने पर आयोग उनके खिलाफ कार्रवाई करने पर मजबूर होगा.

इसे भी पढ़ें : कोरोना काल में अनाथ हुए 9,346 बच्चाें काे है देखभाल की जरूरत : एनसीपीसीआर

आयोग के अनुसार, महामारी के दौरान 3,621 बच्चे अनाथ हुए हैं और 26,000 से अधिक बच्चों ने अपने माता या पिता में से एक को खोया है.
(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने कहा कि कोरोना वायरस की दूसरी लहर के दौरान, उसे इस तरह की शिकायतें मिली थीं जिसमें कहा गया था कि सोशल मीडिया पर कई ऐसे पेजों और पोस्टों के जरिये उन बच्चों को गोद लेने के बारे में विज्ञापन दिया गया था जिन्होंने संक्रमण के कारण अपने माता-पिता को खो दिया है.

बिना नियम किसी बच्चे को गोद लेने की अनुमति नहीं

एनसीपीसीआर ने ट्विटर, फेसबुक, व्हाट्सएप और टेलीग्राम को लिखे एक पत्र में कहा कि किशोर न्याय अधिनियम की प्रक्रियाओं का पालन किए बिना इस तरह से किसी बच्चे को गोद लेना अवैध और कानून का उल्लंघन है. आयोग ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि किशोर न्याय अधिनियम 2015 के प्रावधानों के विपरीत जाकर प्रभावित बच्चों को गोद लेने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए और राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को उन गैर सरकारी संगठनों या अवैध रूप से बच्चों को गोद लेने वाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया था. एनसीपीसीआर ने सोशल मीडिया मंचों से कहा कि अगर इस तरह की पोस्ट डाली जाती है तो इसकी सूचना कानून प्रवर्तन अधिकारियों या एनसीपीसीआर या राज्यों या केंद्र शासित प्रदेशों के आयोगों को दी जानी चाहिए.

निर्देशों का पालन नहीं ताे हाेगी कार्रवाई

शीर्ष बाल अधिकार निकाय ने अपने पत्र में कहा कि सोशल मीडिया मंच को इंटरनेट प्रोटोकॉल (आईपी) पता, पोस्ट की उत्पत्ति और अन्य प्रासंगिक विवरण देने चाहिए, ताकि एनसीपीसीआर मामले में आवश्यक कार्रवाई के लिए सिफारिश कर सके. आयोग ने सोशल मीडिया कंपनियों से कहा है कि इन निर्देशों का पालन नहीं करने पर आयोग उनके खिलाफ कार्रवाई करने पर मजबूर होगा.

इसे भी पढ़ें : कोरोना काल में अनाथ हुए 9,346 बच्चाें काे है देखभाल की जरूरत : एनसीपीसीआर

आयोग के अनुसार, महामारी के दौरान 3,621 बच्चे अनाथ हुए हैं और 26,000 से अधिक बच्चों ने अपने माता या पिता में से एक को खोया है.
(पीटीआई-भाषा)

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.