मुंबई: बैंकों के निदेशक मंडल में शामिल निदेशकों को संबोधित करते हुए दास ने कहा कि इस प्रकार की खामियां कुछ हद तक अस्थिरता पैदा कर सकती हैं. उन्होंने खाते के स्तर पर दबाव को छिपाने और बढ़ा-चढ़ाकर वित्तीय प्रदर्शन दिखाने के लिये ‘स्मार्ट अकाउंटिंग’ की भी आलोचना की.
आरबीआई की तरफ से बुलायी गयी बैठक को संबोधित करते हुए दास ने कहा, ‘‘यह चिंता का विषय है कि कंपनी संचालन पर दिशानिर्देशों के बावजूद, हमने कुछ बैंकों में इस स्तर पर कुछ कमियां पायीं है. इससे बैंकों में कुछ हद तक अस्थिरता पैदा हो सकती है.’’ उन्होंने कहा कि बैंकों के निदेशक मंडल और प्रबंधन को इस प्रकार की खामियों की अनुमति नहीं देनी चाहिए. पूर्व में बैंकों के साथ व्यक्तिगत स्तर पर इस मामले को उठाया गया है.
गवर्नर ने कहा कि बैंकों में मजबूत संचालन व्यवस्था निदेशक मंडल के साथ पूर्णकालिक और गैर-कार्यकारी या अंशकालिक निदेशकों समेत सभी की संयुक्त जिम्मेदारी है. दास के अनुसार, आरबीआई ने यह पाया है कि बैंक कृत्रिम तरीके से वित्तीय प्रदर्शन को बेहतर दिखाने के लिये ‘स्मार्ट अकाउंटिंग’ के तौर-तरीके अपना रहे हैं.
उन्होंने कहा कि बैंक दबाव वाले कर्ज को लेकर वास्तविक स्थिति छिपाने की कोशिश करते हैं. इसके लिये वे दूसरे बैंकों का भी सहारा लेते हैं. इसके तहत एक-दूसरे के कर्ज को बेहतर दिखाने के लिये उसकी बिक्री और पुनर्खरीद का सहारा लिया जाता है. अच्छे कर्जदारों को दबाव में फंसे कर्जदारों के साथ ऋण को पुनर्गठित करने के लिये प्रोत्साहित किया जाता है. इस सबका मकसद दबाव को छिपाना होता है.
दास ने किसी खास मामले का नाम लिये बिना कहा कि निदेशक मंडल में मुख्य कार्यपालक अधिकारियों के चर्चा और निर्णय लेने में दबदबे की स्थिति पायी गयी है. ऐसे मामलों में पाया गया कि निदेशक मंडल अपनी बातों को रखने को लेकर मुखर नहीं हैं. उन्होंने कहा, ‘‘हम नहीं चाहेंगे कि ऐसी स्थिति बने. साथ ही ऐसी स्थिति भी नहीं होनी चाहिए जिसमें सीईओ को अपने कार्यों को निभाने से रोका जाए.’’
दास ने बैंकों के निदेशक मंडल से संपत्ति गुणवत्ता विसंगति जैसी बुनियादी पहलुओं को लेकर चौकन्ना रहने को कहा, क्योंकि इस मामले में खामी से नकदी के स्तर पर जोखिम के साथ बैंकों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है. उन्होंने बैंकों को वृद्धि रणनीति, कीमत निर्धारण आदि को लेकर सतर्क रहने की भी सलाह दी.
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