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दिल्ली हाई कोर्ट ने खारिज की बैलेट पेपर और ईवीएम से चुनाव चिह्न हटाने की याचिका

दिल्ली हाईकोर्ट ने आगामी नगर निगम चुनावों में बैलेट पेपर और EVM मशीनों से चुनाव चिह्न को हटाने की मांग करने वाली याचिका खारिज कर दी है. अलका गहलोत की ओर से दायर याचिका में दिल्ली में होने वाले नगरपालिका चुनावों में बैलेट पेपर और इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) से चुनाव चिह्न हटाने के लिए राज्य चुनाव आयोग को निर्देश देने की मांग की गई थी.

Delhi High court
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Published : Apr 18, 2022, 9:39 PM IST

नई दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट ने आगामी नगर निगम चुनावों में बैलेट पेपर और EVM मशीनों से चुनाव चिह्न को हटाने की मांग करने वाली याचिका खारिज कर दी है. कार्यकारी चीफ जस्टिस विपिन सांघी की अध्यक्षता वाली बेंच ने याचिका खारिज करने का आदेश दिया.

याचिका 2017 में दिल्ली नगर निगम का चुनाव लड़ चुकी अलका गहलोत ने दायर किया था. याचिका में कहा गया था कि उम्मीदवार की तस्वीरों की उपस्थिति के बाद बैलेट पेपर और इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन पर चुनाव चिह्न की आवश्यकता नहीं है. चुनाव चिह्न आरक्षित करना भ्रष्टाचार का बड़ा कारण है. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से वकील एच एस गहलोत ने कहा कि संविधान और दिल्ली नगर निगम (डीएमसी), अधिनियम 1957 में निहित कानून के प्रावधान हैं. प्रावधानों के मुताबिक, पार्षदों का चुनाव बिना किसी राजनीतिक दल को वरीयता दिए हुए सीधे बालिग मताधिकार के जरिये किया जाता है. इसमें राजनीतिक दलों के उम्मीदवारों को कोई वरीयता नहीं दी जाती है. ऐसे में राज्य निर्वाचन आयोग को राजनीतिक दलों को दरकिनार कर सीधे-सीधे पार्षदों का चुनाव कराने का निर्देश जारी करना चाहिए.

याचिका में कहा गया था कि मतपत्र पर चुनाव चिह्न को आरक्षित करना लोगों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है. याचिकाकर्ता ने 2019 में भी हाईकोर्ट में याचिका दायर किया था. 2019 में हाईकोर्ट ने दिल्ली राज्य निर्वाचन आयोग को याचिकाकर्ता के प्रतिवेदन पर विचार करने का आदेश दिया था.

पढ़ें : जहांगीरपुरी हिंसा : गोली चलाने वाला सोनू शेख गिरफ्तार

नई दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट ने आगामी नगर निगम चुनावों में बैलेट पेपर और EVM मशीनों से चुनाव चिह्न को हटाने की मांग करने वाली याचिका खारिज कर दी है. कार्यकारी चीफ जस्टिस विपिन सांघी की अध्यक्षता वाली बेंच ने याचिका खारिज करने का आदेश दिया.

याचिका 2017 में दिल्ली नगर निगम का चुनाव लड़ चुकी अलका गहलोत ने दायर किया था. याचिका में कहा गया था कि उम्मीदवार की तस्वीरों की उपस्थिति के बाद बैलेट पेपर और इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन पर चुनाव चिह्न की आवश्यकता नहीं है. चुनाव चिह्न आरक्षित करना भ्रष्टाचार का बड़ा कारण है. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से वकील एच एस गहलोत ने कहा कि संविधान और दिल्ली नगर निगम (डीएमसी), अधिनियम 1957 में निहित कानून के प्रावधान हैं. प्रावधानों के मुताबिक, पार्षदों का चुनाव बिना किसी राजनीतिक दल को वरीयता दिए हुए सीधे बालिग मताधिकार के जरिये किया जाता है. इसमें राजनीतिक दलों के उम्मीदवारों को कोई वरीयता नहीं दी जाती है. ऐसे में राज्य निर्वाचन आयोग को राजनीतिक दलों को दरकिनार कर सीधे-सीधे पार्षदों का चुनाव कराने का निर्देश जारी करना चाहिए.

याचिका में कहा गया था कि मतपत्र पर चुनाव चिह्न को आरक्षित करना लोगों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है. याचिकाकर्ता ने 2019 में भी हाईकोर्ट में याचिका दायर किया था. 2019 में हाईकोर्ट ने दिल्ली राज्य निर्वाचन आयोग को याचिकाकर्ता के प्रतिवेदन पर विचार करने का आदेश दिया था.

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