नई दिल्ली : साकेत कोर्ट ने 27 हिंदू और जैन मंदिरों को तोड़कर कुतुब मीनार परिसर में बनी कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद पर दावा करने वाली याचिका खारिज कर दी है. सिविल जज नेहा शर्मा ने ये आदेश दिया है.
24 दिसंबर 2020 को कोर्ट ने याचिकाकर्ता को ये बताने का निर्देश दिया था कि भक्त की हैसियत से याचिका दाखिल करने का क्या औचित्य है. कोर्ट ने पूछा था कि ये बताइए कि क्या कोर्ट ट्रस्ट के गठन का आदेश दे सकता है.
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील हरिशंकर जैन ने कोर्ट से कहा था कि इस मामले में इस बात को लेकर कोई विवाद नहीं है कि मंदिरों को ध्वस्त किया गया था. लिहाजा इसको साबित करने की जरूरत नहीं है. पिछले 800 से ज्यादा सालों से हम पीड़ित हैं. अब पूजा का अधिकार मांग रहे हैं, जो कि हमारा मूल अधिकार है.
जैन ने कहा था कि वहां पिछले 800 साल से नमाज नहीं पढ़ी गई है. मस्जिद के तौर पर इसका इस्तेमाल ही नहीं हुआ है. हरिशंकर जैन ने अपनी दलीलों के समर्थन में वहां मौजूद लौह स्तम्भ, भगवान विष्णु और दूसरे आराध्य देवी देवताओं की खण्डित मूर्तियों का हवाला दिया था.
सुनवाई के दौरान वकील विष्णु जैन ने कहा था कि ये राष्ट्रीय शर्म का विषय है. देशी विदेशी तमाम लोग वहां पहुचते हैं, देखते हैं कि कैसे खण्डित मूर्तियां वहां पर हैं. हमारा मकसद अब वहां किसी विध्वंस के लिए कोर्ट को आश्वस्त करना नहीं है. हम सिर्फ अपना पूजा का अधिकार चाहते हैं.
तब जज नेहा शर्मा ने पूछा था कि आप पूजा का अधिकार मांग रहे हैं. अभी जगह एएसआई के कब्जे में है, तो एक दूसरे तरीके से आप जमीन पर कब्जा मांग रहे हैं. तब हरिशंकर जैन ने कहा था कि हम जमीन पर अपना मालिकाना हक नहीं मांग रहे हैं. बिना मालिकाना हक दिए भी पूजा का अधिकार दिया जा सकता है.
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पूछा था कि आपके इस याचिका को दायर करने का क्या औचित्य है. किस हक से आप याचिका दायर कर रहे हैं. तब याचिकाकर्ता ने कहा था हमने देवता और भक्त दोनों ओर से याचिका दायर की है. एक भक्त की याचिका दायर करने के अधिकार को सुप्रीम कोर्ट ने भी मान्यता दी है. आप मेरे अधिकार को खारिज नहीं कर सकते हैं.
याचिका पहले जैन तीर्थंकर भगवान ऋषभ देव, भगवान विष्णु की ओर से हरिशंकर जैन, रंजना अग्निहोत्री और जितेंद्र सिंह बिसेन ने दायर की है. इसमें कहा गया है कि दिल्ली सल्तनत के पहले मुस्लिम शासक कुतुबद्दीन ऐबक ने 27 हिन्दू और जैन मंदिरों की जगह कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद बना दी. ऐबक मंदिरों को पूरी तरह से नष्ट नहीं कर सका और मंदिरों के मलबे से ही मस्जिद का निर्माण किया गया.
याचिका में कहा गया है कि कुतुब मीनार परिसर के दीवारों, खंभों और छतों पर हिन्दू और जैन देवी-देवताओं के चित्र बने हुए हैं. इन पर भगवान गणेश, विष्णु, यक्ष, यक्षिणी. द्वारपाल. भगवान पार्श्वनाथ.
भगवान महावीर, नटराज के चित्रों के अलावा मंगल कलश, शंख, गदा, कमल, श्रीयंत्र, मंदिरों के घंटे इत्यादि के चिह्न मौजूद हैं. ये सभी बताते हैं कि कुतुब मीनार परिसर में हिन्दू और जैन मंदिर थे. याचिका में कुतुब मीनार को ध्रुव स्तंभ बताया गया है.
याचिका में आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) के उस संक्षिप्त इतिहास का जिक्र किया गया है, जिसमें कहा गया है कि 27 मंदिरों को गिराकर उनके ही मलबे से कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद का निर्माण किया गया है. याचिका में मांग की गई है कि इन 27 मंदिरों क पुनर्स्थापित करने का आदेश दिया जाए और कुतुब मीनार परिसर में हिन्दू रीति-रिवाज से पूजा करने की इजाजत दी जाए.