नई दिल्ली : कड़कड़डूमा कोर्ट में सोमवार को दिल्ली दंगा मामले में जेल में बंद शरजील इमाम ने कहा कि विरोध करना, चक्का जाम करना राजद्रोह के तहत नहीं आता है. एडिशनल सेशंस जज अमिताभ रावत ने एक और दो सितंबर को दिल्ली पुलिस की दलीलें सुनने का आदेश दिया.
सुनवाई के दौरान शरजील इमाम की ओर से वकील तनवीर अहमद मीर ने दलील दी कि विरोध करना, चक्का जाम करना और बंद करना मौलिक अधिकार के तहत आता है. ये राजद्रोह नहीं है. उत्तर-पूर्व को भारत से अलग करने संबंधी शरजील इमाम का भाषण राजद्रोह नहीं हो सकता है. भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी का विरोध करना किसी भी तरीके से राजद्रोह नहीं कहा जा सकता. शरजील इमाम ने अगर भाषणों में सरकार से इन कानूनों को वापस लेने की मांग की है, तो ये समझ से बाहर है कि राजद्रोह की धाराएं कैसे लग सकती हैं.
वकील ने दी दलील- कानूनन गलत नहीं ठहराया जा सकता
मीर ने कहा कि शरजील इमाम किसी प्रतिबंधित संगठन का सदस्य नहीं है. वो किसी आतंकवादी संगठन का भी सदस्य नहीं है. केवल इस नाते कि उसने सरकार की नीतियों की आलोचना की है, उसे कानूनन गलत नहीं ठहराया जा सकता है. हमें हमारी देश की एकता पर नाज है बहुसंख्यकवाद पर नहीं. शरजील इमाम को जमानत देने के लिए शर्तें लगाई जा सकती हैं. उन्होंने शरजील के भाषण को उद्धृत किया, जिसमें कहा गया था कि हमें लोगों को पत्थर नहीं मारना, हमें लोगों को चोट नहीं पहुंचानी, हम लोगों को केवल रोड ब्लॉक करना है, ताकि सरकार जो नहीं मान रही है, वो मानने को तैयार हो जाए.
दिल्ली पुलिस की ओर से वकील अमित प्रसाद ने कहा कि मेरी दलील दो तरह की होगी. पहला ये कि राजद्रोह का मामला बनता है कि नहीं. वे जमानत और चार्जशीट दोनों पर एक साथ दलीलें रखेंगे, क्योंकि दोनों के तथ्य समान हैं. उन्होंने दलीलें रखने के लिए समय देने की मांग की. तब कोर्ट ने दलीलें सुनने के लिए 1 और 2 सितंबर की तिथि तय की.
पहले पूरे भाषण पर गौर करना चाहिए
पिछले 15 जुलाई को सुनवाई के दौरान शरजील इमाम ने पूछा था कि क्या राजनैतिक नारों का विरोध करना राजद्रोह है. शरजील इमाम की ओर से वकील तनवीर अहमद मीर ने कहा था कि कोई संविधान की आलोचना करता है, कोई सरकार की नीतियों का विरोध करता है और कोई राजनैतिक नारों का विरोध करता है, तो क्या उसे राजद्रोह के तहत जेल में डाल दिया जाएगा. शरजील के साथ ऐसा ही हुआ है. जांच एजेंसी ने शरजील इमाम के भाषणों को चुनिंदा वाक्यों को और पंक्तियों को पेश किया है.
मीर ने कहा था कि जहां तक मेरी जानकारी है भारतीय दंड संहिता की धारा 124ए और यूएपीए की धारा 13 को लेकर सुप्रीम कोर्ट और कई हाईकोर्ट ये कह चुकी है कि किसी व्यक्ति के खिलाफ ये मामले चलाने के पहले पूरे भाषण पर गौर करना चाहिए. मीर ने सुप्रीम कोर्ट के केदारनाथ केस और विनोद दुआ के केस के फैसले को उद्धृत किया था. मीर ने कहा था कि शरजील पर आरोप है कि उसने हिंसा के लिए भड़काया, लेकिन उसका भाषण नागरिकता संशोधन कानून को लेकर था. उन्होंने कहा था कि शरजील ने कहा कि अगर आप रोड ब्लॉक नहीं करते हैं तो आप सरकार को नहीं हिला सकते हैं. क्या यह भाषण राजद्रोह है. क्या इसका मतलब ये है कि लोग हथियारों के साथ आएं और हिंसा करें.
कोर्ट ने पिछले 28 जनवरी को जांच अधिकारी को जवाब दाखिल करने के निर्देश दिये थे. 24 नवंबर 2020 को कोर्ट ने उमर खालिद, शरजील इमाम और फैजान खान के खिलाफ दायर पूरक चार्जशीट पर संज्ञान लिया था. दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने उमर खालिद, शरजील इमाम और फैजान खान के खिलाफ 22 नवंबर 2020 को पूरक चार्जशीट दाखिल की थी. पूरक चार्जशीट में स्पेशल सेल ने UAPA की धारा 13, 16, 17 और 18 के अलावा भारतीय दंड संहिता की धारा 120 बी, 109, 124ए, 147, 148, 149, 153ए, 186, 201, 212, 295, 302, 307, 341, 353, 395,419,420,427,435,436,452,454, 468, 471 और 43 के अलावा आर्म्स एक्ट की धारा 25 और 27 और प्रिवेंशन ऑफ डेमेज टू पब्लिक प्रॉपर्टी एक्ट की धारा 3 और 4 के तहत आरोप लगाए हैं.
चार्जशीट में कहा गया है कि शरजील इमाम ने केंद्र सरकार के खिलाफ घृणा फैलाने और हिंसा भड़काने के लिए भाषण दिया, जिसकी वजह से दिसंबर 2019 में हिंसा हुई. दिल्ली पुलिस ने कहा है कि नागरिकता संशोधन कानून के विरोध की आड़ में गहरी साजिश रची गई थी. इस कानून के खिलाफ मुस्लिम बहुल इलाकों में प्रचार किया गया. यह प्रचार किया गया कि मुस्लिमों की नागरिकता चली जाएगी और उन्हें डिटेंशन कैंप में रखा जाएगा. बता दें कि शरजील को बिहार से गिरफ्तार किया गया था.
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