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गणतंत्र दिवस हिंसा : अभियोजक पैनल बनाने का प्रस्ताव खारिज करने संबंधी फाइल गृह मंत्रालय को भेजी गई- सूत्र

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Published : Jul 24, 2021, 5:42 PM IST

Updated : Jul 25, 2021, 9:04 AM IST

दिल्ली में हुई ट्रैक्टर हिंसा में लोक अभियोजकों का पैनल बनाने संबंधी पुलिस के प्रस्ताव को खारिज करने से जुड़ी फाइल केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजी गई है.

गणतंत्र दिवस हिंसा
गणतंत्र दिवस हिंसा

नई दिल्ली : दिल्ली में गणतंत्र दिवस पर किसानों के प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा और पिछले साल हुए दंगों के मामलों में लोक अभियोजकों का पैनल बनाने संबंधी पुलिस के प्रस्ताव को खारिज करने के दिल्ली मंत्रिमंडल के निर्णय से जुड़ी फाइल उपराज्यपाल कार्यालय ने मत भिन्नता की वजह से केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेज दी है.

सूत्रों ने शनिवार को यह दावा किया.

पिछले सप्ताह दिल्ली की आम आदमी पार्टी (आप) सरकार ने पुलिस के प्रस्ताव को खारिज कर दिया था, जिससे केंद्र और उपराज्यपाल कार्यालय के साथ उसके टकराव की एक और वजह उत्पन्न हो गई.

घटनाक्रम से अवगत एक सूत्र ने कहा, उपराज्यपाल कार्यालय और आप सरकार के बीच मत भिन्नता की वजह से मामला भारत के राष्ट्रपति के विचार के लिए सुरक्षित रखा गया है. उपराज्यपाल कार्यालय को प्राप्त हुई मंत्रिमंडल के निर्णय से संबंधित फाइल आगे की कार्रवाई के लिए शुक्रवार को गृह मंत्रालय को भेज दी गई.

उन्होंने कहा, दिल्ली पुलिस के प्रस्ताव पर सिफारिश की गई है कि गणतंत्र दिवस के दिन हुई हिंसक घटनाओं के मामले में 11 तथा उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों के मामलों में तीन और विशेष लोक अभियोजक, दोनों मामलों की गंभीरता के मद्देनजर, तत्काल नियुक्त किए जाएं.

सूत्रों ने कहा कि इस साल अप्रैल में दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र शासन (संशोधन) अधिनियम 2021 प्रभाव में आने के बाद यह पहली बार है जब उपराज्यपाल ने दिल्ली सरकार के साथ मत भिन्नता की वजह से किसी मामले को राष्ट्रपति के विचार के लिए सुरक्षित रखा है.

पढ़ें :- गणतंत्र दिवस हिंसा : अदालत ने सिद्धू, अन्य आरोपियों को नए समन जारी किए

पिछले साल उपराज्यपाल अनिल बैजल ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली में दंगों के मामले में दिल्ली पुलिस के विशेष अभियोजकों की नियुक्ति को प्रभावी बनाने के लिए अपनी विशेष शक्तियों का इस्तेमाल किया था.

मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल की अध्यक्षता में गत 16 जुलाई को हुई दिल्ली मंत्रिमंडल की बैठक में दिल्ली पुलिस द्वारा सुझाए गए विशेष लोक अभियोजकों की नियुक्ति की उपराज्यपाल की सिफारिश को खारिज कर दिया गया था और कहा गया था कि इन मामलों में पुलिस द्वारा खुद ही चुने गए वकीलों के पैनल के माध्यम से स्वतंत्र एवं निष्पक्ष मुकदमा संभव नहीं होगा.

दिल्ली सरकार ने जुलाई 2020 में भी दंगा मामलों में विशेष अभियोजकों की नियुक्ति के दिल्ली पुलिस के प्रस्ताव को खारिज कर दिया था. तब उपराज्यपाल ने दिल्ली सरकार के फैसले को पलट दिया था और इसके गृह विभाग को वकीलों के पैनल संबंधी दिल्ली पुलिस के प्रस्ताव को स्वीकृति देने का निर्देश दिया था.

बैजल ने संविधान के अनुच्छेद 239 एए (4) के तहत अपनी विशेष शक्ति का इस्तेमाल कर लोक अभियोजकों की नियुक्ति से जुड़े मामले को राष्ट्रपति के विचार के लिए सुरक्षित रखते हुए मंत्रिमंडल के फैसले को खारिज कर दिया था.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : दिल्ली में गणतंत्र दिवस पर किसानों के प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा और पिछले साल हुए दंगों के मामलों में लोक अभियोजकों का पैनल बनाने संबंधी पुलिस के प्रस्ताव को खारिज करने के दिल्ली मंत्रिमंडल के निर्णय से जुड़ी फाइल उपराज्यपाल कार्यालय ने मत भिन्नता की वजह से केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेज दी है.

सूत्रों ने शनिवार को यह दावा किया.

पिछले सप्ताह दिल्ली की आम आदमी पार्टी (आप) सरकार ने पुलिस के प्रस्ताव को खारिज कर दिया था, जिससे केंद्र और उपराज्यपाल कार्यालय के साथ उसके टकराव की एक और वजह उत्पन्न हो गई.

घटनाक्रम से अवगत एक सूत्र ने कहा, उपराज्यपाल कार्यालय और आप सरकार के बीच मत भिन्नता की वजह से मामला भारत के राष्ट्रपति के विचार के लिए सुरक्षित रखा गया है. उपराज्यपाल कार्यालय को प्राप्त हुई मंत्रिमंडल के निर्णय से संबंधित फाइल आगे की कार्रवाई के लिए शुक्रवार को गृह मंत्रालय को भेज दी गई.

उन्होंने कहा, दिल्ली पुलिस के प्रस्ताव पर सिफारिश की गई है कि गणतंत्र दिवस के दिन हुई हिंसक घटनाओं के मामले में 11 तथा उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों के मामलों में तीन और विशेष लोक अभियोजक, दोनों मामलों की गंभीरता के मद्देनजर, तत्काल नियुक्त किए जाएं.

सूत्रों ने कहा कि इस साल अप्रैल में दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र शासन (संशोधन) अधिनियम 2021 प्रभाव में आने के बाद यह पहली बार है जब उपराज्यपाल ने दिल्ली सरकार के साथ मत भिन्नता की वजह से किसी मामले को राष्ट्रपति के विचार के लिए सुरक्षित रखा है.

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पिछले साल उपराज्यपाल अनिल बैजल ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली में दंगों के मामले में दिल्ली पुलिस के विशेष अभियोजकों की नियुक्ति को प्रभावी बनाने के लिए अपनी विशेष शक्तियों का इस्तेमाल किया था.

मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल की अध्यक्षता में गत 16 जुलाई को हुई दिल्ली मंत्रिमंडल की बैठक में दिल्ली पुलिस द्वारा सुझाए गए विशेष लोक अभियोजकों की नियुक्ति की उपराज्यपाल की सिफारिश को खारिज कर दिया गया था और कहा गया था कि इन मामलों में पुलिस द्वारा खुद ही चुने गए वकीलों के पैनल के माध्यम से स्वतंत्र एवं निष्पक्ष मुकदमा संभव नहीं होगा.

दिल्ली सरकार ने जुलाई 2020 में भी दंगा मामलों में विशेष अभियोजकों की नियुक्ति के दिल्ली पुलिस के प्रस्ताव को खारिज कर दिया था. तब उपराज्यपाल ने दिल्ली सरकार के फैसले को पलट दिया था और इसके गृह विभाग को वकीलों के पैनल संबंधी दिल्ली पुलिस के प्रस्ताव को स्वीकृति देने का निर्देश दिया था.

बैजल ने संविधान के अनुच्छेद 239 एए (4) के तहत अपनी विशेष शक्ति का इस्तेमाल कर लोक अभियोजकों की नियुक्ति से जुड़े मामले को राष्ट्रपति के विचार के लिए सुरक्षित रखते हुए मंत्रिमंडल के फैसले को खारिज कर दिया था.

(पीटीआई-भाषा)

Last Updated : Jul 25, 2021, 9:04 AM IST
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