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दिल्ली दंगे के आरोपी शरजील इमाम की जमानत याचिका पर सुनवाई टली

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Published : Aug 6, 2021, 6:25 PM IST

कड़कड़डूमा कोर्ट में शुक्रवार को दिल्ली दंगा के मामले में जेल में बंद शरजील इमाम की जमानत याचिका पर सुनवाई टल गई है. पढ़िए पूरी खबर...

शरजील इमाम
शरजील इमाम

नई दिल्ली : कड़कड़डूमा कोर्ट में शुक्रवार को दिल्ली दंगा के मामले में जेल में बंद शरजील इमाम की जमानत याचिका पर सुनवाई टल गई है. एडिशनल सेशंस जज अमिताभ रावत के उपलब्ध नहीं होने की वजह से सुनवाई टाली गई है.

गौरतलब है कि पिछले 15 जुलाई को सुनवाई के दौरान शरजील इमाम ने पूछा था कि क्या राजनैतिक नारों का विरोध करना राजद्रोह है. शरजील इमाम की ओर से वकील तनवीर अहमद मीर ने कहा था कि कोई संविधान की आलोचना करता है, कोई सरकारी की नीतियों का विरोध करता है और कोई राजनैतिक नारों का विरोध करता है, तो क्या उसे राजद्रोह के तहत जेल में डाल दिया जाएगा. शरजील के साथ ऐसा ही हुआ है. जांच एजेंसी ने शरजील इमाम के भाषणों के चुनिंदा वाक्यों को और पंक्तियों को पेश किया है.

यह भी पढ़ें-दिल्ली दंगा: उमर खालिद समेत यूएपीए के सभी आरोपियों की न्यायिक हिरासत 8 अप्रैल तक बढ़ी

मीर ने कहा था कि जहां तक जानकारी है भारतीय दंड संहिता की धारा 124ए और यूएपीए की धारा 13 को लेकर सुप्रीम कोर्ट और कई हाईकोर्ट यह कह चुकी है कि किसी व्यक्ति के खिलाफ यह मामले चलाने के पहले, उसके पूरे भाषण पर गौर करना चाहिए.

मीर ने सुप्रीम कोर्ट के केदारनाथ केस और विनोद दुआ के केस के फैसले को उद्धृत किया था. मीर ने कहा था कि शरजील पर आरोप है कि उसने हिंसा के लिए भड़काया, लेकिन उसका भाषण नागरिकता संशोधन कानून को लेकर था.

उन्होंने कहा था कि शरजील ने कहा कि अगर आप रोड ब्लॉक नहीं करते हैं, तो आप सरकार को नहीं हिला सकते हैं. क्या यह भाषण राजद्रोह है. क्या इसका मतलब यह है कि लोग हथियारों के साथ आएं और हिंसा करें.

कोर्ट ने पिछले 28 जनवरी को जांच अधिकारी को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था. 24 नवंबर 2020 को कोर्ट ने उमर खालिद, शरजील इमाम और फैजान खान के खिलाफ दायर पूरक चार्जशीट पर संज्ञान लिया था.

दिल्ली पुलिस की स्पेशल ने उमर खालिद, शरजील इमाम और फैजान खान के खिलाफ 22 नवंबर 2020 को पूरक चार्जशीट दाखिल किया था. चार्जशीट में स्पेशल सेल ने यूएपीए की धारा 13, 16, 17, और 18 के अलावा भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी, 109, 124ए, 147,148,149, 153ए, 186, 201, 212, 295, 302, 307, 341, 353, 395,419,420,427,435,436,452,454, 468, 471 और 43 के अलावा आर्म्स एक्ट की धारा 25 और 27 और प्रिवेंशन आफ डेमेज टू पब्लिक प्रोपर्टी एक्ट की धारा 3 और 4 के तहत आरोप लगाए हैं.

चार्जशीट में कहा गया है कि शरजील इमाम ने केंद्र सरकार के खिलाफ घृणा फैलाने और हिंसा भड़काने के लिए भाषण दिया, जिसकी वजह से दिसंबर 2019 में हिंसा हुई. दिल्ली पुलिस ने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून के विरोध की आड़ में गहरी साजिश रची गई थी. इस कानून के खिलाफ मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में प्रचार किया गया. यह प्रचार किया गया कि मुस्लिमों की नागरिकता चली जाएगी और उन्हें डिटेंशन कैंप में रखा जाएगा. बता दें कि शरजील को बिहार से गिरफ्तार किया गया था.

नई दिल्ली : कड़कड़डूमा कोर्ट में शुक्रवार को दिल्ली दंगा के मामले में जेल में बंद शरजील इमाम की जमानत याचिका पर सुनवाई टल गई है. एडिशनल सेशंस जज अमिताभ रावत के उपलब्ध नहीं होने की वजह से सुनवाई टाली गई है.

गौरतलब है कि पिछले 15 जुलाई को सुनवाई के दौरान शरजील इमाम ने पूछा था कि क्या राजनैतिक नारों का विरोध करना राजद्रोह है. शरजील इमाम की ओर से वकील तनवीर अहमद मीर ने कहा था कि कोई संविधान की आलोचना करता है, कोई सरकारी की नीतियों का विरोध करता है और कोई राजनैतिक नारों का विरोध करता है, तो क्या उसे राजद्रोह के तहत जेल में डाल दिया जाएगा. शरजील के साथ ऐसा ही हुआ है. जांच एजेंसी ने शरजील इमाम के भाषणों के चुनिंदा वाक्यों को और पंक्तियों को पेश किया है.

यह भी पढ़ें-दिल्ली दंगा: उमर खालिद समेत यूएपीए के सभी आरोपियों की न्यायिक हिरासत 8 अप्रैल तक बढ़ी

मीर ने कहा था कि जहां तक जानकारी है भारतीय दंड संहिता की धारा 124ए और यूएपीए की धारा 13 को लेकर सुप्रीम कोर्ट और कई हाईकोर्ट यह कह चुकी है कि किसी व्यक्ति के खिलाफ यह मामले चलाने के पहले, उसके पूरे भाषण पर गौर करना चाहिए.

मीर ने सुप्रीम कोर्ट के केदारनाथ केस और विनोद दुआ के केस के फैसले को उद्धृत किया था. मीर ने कहा था कि शरजील पर आरोप है कि उसने हिंसा के लिए भड़काया, लेकिन उसका भाषण नागरिकता संशोधन कानून को लेकर था.

उन्होंने कहा था कि शरजील ने कहा कि अगर आप रोड ब्लॉक नहीं करते हैं, तो आप सरकार को नहीं हिला सकते हैं. क्या यह भाषण राजद्रोह है. क्या इसका मतलब यह है कि लोग हथियारों के साथ आएं और हिंसा करें.

कोर्ट ने पिछले 28 जनवरी को जांच अधिकारी को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था. 24 नवंबर 2020 को कोर्ट ने उमर खालिद, शरजील इमाम और फैजान खान के खिलाफ दायर पूरक चार्जशीट पर संज्ञान लिया था.

दिल्ली पुलिस की स्पेशल ने उमर खालिद, शरजील इमाम और फैजान खान के खिलाफ 22 नवंबर 2020 को पूरक चार्जशीट दाखिल किया था. चार्जशीट में स्पेशल सेल ने यूएपीए की धारा 13, 16, 17, और 18 के अलावा भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी, 109, 124ए, 147,148,149, 153ए, 186, 201, 212, 295, 302, 307, 341, 353, 395,419,420,427,435,436,452,454, 468, 471 और 43 के अलावा आर्म्स एक्ट की धारा 25 और 27 और प्रिवेंशन आफ डेमेज टू पब्लिक प्रोपर्टी एक्ट की धारा 3 और 4 के तहत आरोप लगाए हैं.

चार्जशीट में कहा गया है कि शरजील इमाम ने केंद्र सरकार के खिलाफ घृणा फैलाने और हिंसा भड़काने के लिए भाषण दिया, जिसकी वजह से दिसंबर 2019 में हिंसा हुई. दिल्ली पुलिस ने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून के विरोध की आड़ में गहरी साजिश रची गई थी. इस कानून के खिलाफ मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में प्रचार किया गया. यह प्रचार किया गया कि मुस्लिमों की नागरिकता चली जाएगी और उन्हें डिटेंशन कैंप में रखा जाएगा. बता दें कि शरजील को बिहार से गिरफ्तार किया गया था.

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