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किडनी ट्रांसप्लांट के नाम पर डॉक्टर को ठगा, ऐसे बनाया था शातिर प्लान

दिल्ली पुलिस ने ऐसे दो शातिर बदमाशों को गिरफ्तार किया है, जिन्होंने किडनी ट्रांसप्लांट के मामले पर दो डॉक्टरों से ठगी किया है. शातिर अब तक पांच लोगों से ठगी कर चुके हैं.

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Published : Oct 27, 2021, 4:24 PM IST

नई दिल्ली : फेसबुक के जरिये दो युवकों ने किडनी ट्रांसप्लांट करवाने का विज्ञापन जारी किया. उनके झांसे में आकर मुंबई के एक सर्जन ने अपनी किडनी ट्रांसप्लांट कराने के लिए दस लाख रुपये एडवांस दे दिए. यह रकम लेकर जालसाज फरार हो गए. पीड़ित की शिकायत पर पुलिस ने आरोपियों विपिन कुमार और रोहित कुमार को गिरफ्तार किया है. आरोपी अभी तक पांच लोगों से ठगी कर चुके थे, जबकि 50 से ज्यादा लोग ट्रांसप्लांट के लिए उनके संपर्क में थे.

संयुक्त आयुक्त आलोक कुमार के अनुसार डॉक्टर राजीव चंद्रा एक सर्जन हैं और मुंबई में प्रैक्टिस करते हैं. उन्हें किडनी से संबंधित बीमारी है, जिसके चलते उन्हें किडनी ट्रांसप्लांट की सलाह दी गई थी. उनके पास कोई नजदीकी रिश्तेदार नहीं था जो उन्हें किडनी दे सके. इस दौरान विज्ञापन के माध्यम से वह करण के संपर्क में आए, जिसने उन्हें मिलने के लिए दिल्ली बुलाया था. बीते 27 अगस्त को वह दिल्ली में मिले जहां पर करण ने उनसे छह लाख रुपये एडवांस मांगा. बातचीत करने के बाद राजीव ने उसे 3.5 लाख रुपये दे दिए. बीते सितंबर माह में करण को उन्होंने एक लाख रुपये ऑनलाइन ट्रांसफर कर दिए. उन्हें बताया गया कि दिल्ली के अस्पताल में 17 सितंबर को उनका ऑपरेशन होना है.

बीते 16 अक्टूबर को करण ने उन्हें कॉल कर दक्षिण दिल्ली के एक नामी अस्पताल के बाहर बुलाया. वहां उनसे 5 लाख रुपये लेकर उसने डॉक्टर को अंदर जाने के लिए कहा और खुद फरार हो गया. डॉक्टर जब वहां पर गए तो पता चला कि उनके नाम पर कोई बुकिंग नहीं थी. तब उन्हें पता चला कि उनके साथ ठगी हो गई है. उनकी शिकायत पर क्राइम ब्रांच में मामला दर्ज किया गया था. इंस्पेक्टर प्रदीप पालीवाल की देखरेख में एसआई संजीव गुप्ता की टीम ने छानबीन शुरू की. पुलिस को जांच में पता चला कि करण का असली नाम विपिन है और वह यूपी के अलीगढ़ का रहने वाला है. इस जानकारी पर पुलिस टीम ने छापा मारकर कानपुर से उसे गिरफ्तार कर लिया. उसकी निशानदेही पर दूसरे आरोपी को प्रतापगढ़ से गिरफ्तार किया गया.

पूछताछ में पता चला की विपिन कुमार 12वीं कक्षा तक पढ़ा हुआ है. वह संगम विहार में अकाउंटेंट की नौकरी करता था. कोविड-19 आने पर उसकी नौकरी चली गई थी. वह कटवारिया सराय निवासी रोहित यादव से उसी समय मिला. वह भी बेरोजगार था. दोनों ने मिलकर एक फेसबुक आईडी बनाई जिस पर उन्होंने किडनी के डोनर और मरीजों की जानकारी डाली. इसके लिए उन्होंने विजय पांडे के नाम से फर्जी फेसबुक पेज बनाया था और किडनी से संबंधित पोस्ट इस पर डालने लगे. राहुल नामक शख्स ने उनसे मैसेंजर पर चैट किया और बताया कि उसके पास किडनी के डोनर और मरीज दोनों हैं. उन्होंने बताया कि वह सर्जरी करवा देंगे.

राहुल से रिजवी (डॉक्टर का दोस्त) ने संपर्क किया और बताया कि उनके दोस्त राजीव रमेशचंद्र को किडनी की आवश्यकता है. उनके पास डोनर नहीं है. राहुल ने 22 लाख रुपये में सर्जरी कराने की बात कही, जिसमें दो लाख रुपये उसे कमीशन मिलना था. उन्होंने डॉक्टर राजीव से रोहित को डॉक्टर संदीप गुलेरिया का ड्राइवर बना कर मिलाया. उन्होंने 10 लाख रुपये डॉक्टर से ले लिए और फरार हो गए. इस फर्जीवाड़े के अन्य किरदारों की पुलिस तलाश कर रही है. पुलिस के अनुसार उनके द्वारा किए गए चैट के अनुसार अब तक वह पांच लोगों से ठगी कर चुके थे, जबकि 50 से ज्यादा लोग उनके संपर्क में थे. इनको वह आने वाले समय में ठगने वाले थे.

पढ़ेः यूपी एटीएस ने म्यांमार व बाांग्लादेश के चार संदिग्धों को पकड़ा, रोहिंग्या रैकेट से जुड़ रहे तार

नई दिल्ली : फेसबुक के जरिये दो युवकों ने किडनी ट्रांसप्लांट करवाने का विज्ञापन जारी किया. उनके झांसे में आकर मुंबई के एक सर्जन ने अपनी किडनी ट्रांसप्लांट कराने के लिए दस लाख रुपये एडवांस दे दिए. यह रकम लेकर जालसाज फरार हो गए. पीड़ित की शिकायत पर पुलिस ने आरोपियों विपिन कुमार और रोहित कुमार को गिरफ्तार किया है. आरोपी अभी तक पांच लोगों से ठगी कर चुके थे, जबकि 50 से ज्यादा लोग ट्रांसप्लांट के लिए उनके संपर्क में थे.

संयुक्त आयुक्त आलोक कुमार के अनुसार डॉक्टर राजीव चंद्रा एक सर्जन हैं और मुंबई में प्रैक्टिस करते हैं. उन्हें किडनी से संबंधित बीमारी है, जिसके चलते उन्हें किडनी ट्रांसप्लांट की सलाह दी गई थी. उनके पास कोई नजदीकी रिश्तेदार नहीं था जो उन्हें किडनी दे सके. इस दौरान विज्ञापन के माध्यम से वह करण के संपर्क में आए, जिसने उन्हें मिलने के लिए दिल्ली बुलाया था. बीते 27 अगस्त को वह दिल्ली में मिले जहां पर करण ने उनसे छह लाख रुपये एडवांस मांगा. बातचीत करने के बाद राजीव ने उसे 3.5 लाख रुपये दे दिए. बीते सितंबर माह में करण को उन्होंने एक लाख रुपये ऑनलाइन ट्रांसफर कर दिए. उन्हें बताया गया कि दिल्ली के अस्पताल में 17 सितंबर को उनका ऑपरेशन होना है.

बीते 16 अक्टूबर को करण ने उन्हें कॉल कर दक्षिण दिल्ली के एक नामी अस्पताल के बाहर बुलाया. वहां उनसे 5 लाख रुपये लेकर उसने डॉक्टर को अंदर जाने के लिए कहा और खुद फरार हो गया. डॉक्टर जब वहां पर गए तो पता चला कि उनके नाम पर कोई बुकिंग नहीं थी. तब उन्हें पता चला कि उनके साथ ठगी हो गई है. उनकी शिकायत पर क्राइम ब्रांच में मामला दर्ज किया गया था. इंस्पेक्टर प्रदीप पालीवाल की देखरेख में एसआई संजीव गुप्ता की टीम ने छानबीन शुरू की. पुलिस को जांच में पता चला कि करण का असली नाम विपिन है और वह यूपी के अलीगढ़ का रहने वाला है. इस जानकारी पर पुलिस टीम ने छापा मारकर कानपुर से उसे गिरफ्तार कर लिया. उसकी निशानदेही पर दूसरे आरोपी को प्रतापगढ़ से गिरफ्तार किया गया.

पूछताछ में पता चला की विपिन कुमार 12वीं कक्षा तक पढ़ा हुआ है. वह संगम विहार में अकाउंटेंट की नौकरी करता था. कोविड-19 आने पर उसकी नौकरी चली गई थी. वह कटवारिया सराय निवासी रोहित यादव से उसी समय मिला. वह भी बेरोजगार था. दोनों ने मिलकर एक फेसबुक आईडी बनाई जिस पर उन्होंने किडनी के डोनर और मरीजों की जानकारी डाली. इसके लिए उन्होंने विजय पांडे के नाम से फर्जी फेसबुक पेज बनाया था और किडनी से संबंधित पोस्ट इस पर डालने लगे. राहुल नामक शख्स ने उनसे मैसेंजर पर चैट किया और बताया कि उसके पास किडनी के डोनर और मरीज दोनों हैं. उन्होंने बताया कि वह सर्जरी करवा देंगे.

राहुल से रिजवी (डॉक्टर का दोस्त) ने संपर्क किया और बताया कि उनके दोस्त राजीव रमेशचंद्र को किडनी की आवश्यकता है. उनके पास डोनर नहीं है. राहुल ने 22 लाख रुपये में सर्जरी कराने की बात कही, जिसमें दो लाख रुपये उसे कमीशन मिलना था. उन्होंने डॉक्टर राजीव से रोहित को डॉक्टर संदीप गुलेरिया का ड्राइवर बना कर मिलाया. उन्होंने 10 लाख रुपये डॉक्टर से ले लिए और फरार हो गए. इस फर्जीवाड़े के अन्य किरदारों की पुलिस तलाश कर रही है. पुलिस के अनुसार उनके द्वारा किए गए चैट के अनुसार अब तक वह पांच लोगों से ठगी कर चुके थे, जबकि 50 से ज्यादा लोग उनके संपर्क में थे. इनको वह आने वाले समय में ठगने वाले थे.

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