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UPSC प्री एग्जाम का आंसर की सार्वजनिक करने की मांग पर सुनवाई के लिए दिल्ली हाईकोर्ट सहमत - UPSC Civil Services

यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा (2023) की आंसर की का खुलासा करने के मामले में दिल्ली हाईकोर्ट सुनवाई करने पर सहमत हो गया है. इससे पहले हाईकोर्ट ने मामले पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 13, 2023, 3:36 PM IST

Updated : Sep 13, 2023, 4:25 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट अंतिम परिणाम घोषित होने से पहले संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा, 2023 की उत्तर कुंजी का खुलासा करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करने के लिए सहमत हो गया है. न्यायमूर्ति चंद्र धारी सिंह ने कहा कि याचिकाकर्ता, जो प्रारंभिक परीक्षा में उत्तीर्ण नहीं हो सके, वे परीक्षा प्रक्रिया को चुनौती नहीं दे रहे थे, बल्कि पूरी प्रक्रिया पूरी होने से पहले उत्तर कुंजी का खुलासा करने का महज अनुरोध कर रहे थे.

यूपीएमसी ने दिया था तर्क: इससे पहले याचिका की सुनवाई के दौरान यूपीएससी ने तर्क दिया था कि चूंकि मामला नियुक्तियों और भर्ती से संबंधित है, इसलिए इसकी सुनवाई केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) द्वारा की जानी चाहिए, न कि उच्च न्यायालय द्वारा. हालांकि, हाईकोर्ट ने कहा कि यह कैट के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है.

न्यायालय ने कहा कि याचिकाकर्ताओं द्वारा की गई प्रार्थना अनिवार्य रूप से उम्मीदवारों के कानूनी और मौलिक अधिकारों के निर्णय को शामिल कर सकती है, जिसमें जानने का अधिकार शामिल है. कोर्ट ने आगे कहा कि केवल उत्तर कुंजी मांगने से भर्ती की प्रक्रिया में कोई हस्तक्षेप नहीं होगा.

पूर्व की कार्यवाही पर नहीं पड़ेगा प्रभाव: साथ ही तत्काल याचिका पर फैसला देने में भी कोई बाधा नहीं है, इसलिए कोर्ट ने आदेश दिया कि याचिका स्वीकार की जाती है. कोर्ट ने यह भी कहा कि उसके द्वारा की गई टिप्पणियों का पहले की किसी भी अन्य कार्यवाही पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. इससे पहले हाईकोर्ट ने दो अगस्त को याचिका की विचारणीयता पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. अब उसने मामले को गुण-दोष के आधार पर सुनवाई के लिए 26 सितंबर को सूचीबद्ध किया है.

की थी दोबारा परीक्षा कराने की मांग: उल्लेखनीय है कि 12 जून, 2023 को जारी प्रेस विज्ञप्ति को चुनौती देते हुए 17 सिविल सेवा उम्मीदवारों द्वारा हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी. याचिका में शुरू में प्रारंभिक परीक्षा को रद्द करने और उसे दोबारा आयोजित करने की मांग की गई थी. हालांकि बाद में उन मांगों को हटा दिया गया और याचिका, परिणामों की घोषणा से पहले उत्तर कुंजी के प्रकाशन की मांग तक सीमित रह गई थी. याचिका की विचारणीयता पर यूपीएससी की आपत्तियों का जवाब देते हुए, याचिकाकर्ताओं ने कहा कि वे भर्ती की मांग नहीं कर रहे थे.

कैट के पास अधिकार नहीं: याचिकाकर्ताओं ने आगे कहा कि चूंकि अभी तक भर्ती नहीं हुई है, इसलिए यह मामला कैट के अधिकार क्षेत्र में नहीं. याचिकाकर्ता अभ्यर्थियों का प्रतिनिधित्व अधिवक्ता सौरव अग्रवाल, राजीव कुमार दुबे, आशीष तिवारी और साहिब पटेल ने किया. वहीं यूपीएससी का प्रतिनिधित्व अधिवक्ता नरेश कौशिक और शुभम द्विवेदी ने किया. केंद्र सरकार की स्थायी वकील (सीजीएससी) अरुणिमा द्विवेदी, अधिवक्ता आकाश पाठक और पिंकी पवार के साथ पेश हुईं.

यह भी पढ़ें-रेप के आरोपी आध्यात्मिक उपदेशक वीरेंद्र देव दीक्षित का बैंक खाता हो सकता है फ्रीज, दिल्ली हाईकोर्ट ने दी मंजूरी

यह भी पढ़ें-कल्कि धाम मंदिर के निर्माण को इलाहाबाद हाईकोर्ट से हरी झंडी मिलने पर आचार्य प्रमोद कृष्णम ने फैसले का किया स्वागत

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट अंतिम परिणाम घोषित होने से पहले संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा, 2023 की उत्तर कुंजी का खुलासा करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करने के लिए सहमत हो गया है. न्यायमूर्ति चंद्र धारी सिंह ने कहा कि याचिकाकर्ता, जो प्रारंभिक परीक्षा में उत्तीर्ण नहीं हो सके, वे परीक्षा प्रक्रिया को चुनौती नहीं दे रहे थे, बल्कि पूरी प्रक्रिया पूरी होने से पहले उत्तर कुंजी का खुलासा करने का महज अनुरोध कर रहे थे.

यूपीएमसी ने दिया था तर्क: इससे पहले याचिका की सुनवाई के दौरान यूपीएससी ने तर्क दिया था कि चूंकि मामला नियुक्तियों और भर्ती से संबंधित है, इसलिए इसकी सुनवाई केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) द्वारा की जानी चाहिए, न कि उच्च न्यायालय द्वारा. हालांकि, हाईकोर्ट ने कहा कि यह कैट के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है.

न्यायालय ने कहा कि याचिकाकर्ताओं द्वारा की गई प्रार्थना अनिवार्य रूप से उम्मीदवारों के कानूनी और मौलिक अधिकारों के निर्णय को शामिल कर सकती है, जिसमें जानने का अधिकार शामिल है. कोर्ट ने आगे कहा कि केवल उत्तर कुंजी मांगने से भर्ती की प्रक्रिया में कोई हस्तक्षेप नहीं होगा.

पूर्व की कार्यवाही पर नहीं पड़ेगा प्रभाव: साथ ही तत्काल याचिका पर फैसला देने में भी कोई बाधा नहीं है, इसलिए कोर्ट ने आदेश दिया कि याचिका स्वीकार की जाती है. कोर्ट ने यह भी कहा कि उसके द्वारा की गई टिप्पणियों का पहले की किसी भी अन्य कार्यवाही पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. इससे पहले हाईकोर्ट ने दो अगस्त को याचिका की विचारणीयता पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. अब उसने मामले को गुण-दोष के आधार पर सुनवाई के लिए 26 सितंबर को सूचीबद्ध किया है.

की थी दोबारा परीक्षा कराने की मांग: उल्लेखनीय है कि 12 जून, 2023 को जारी प्रेस विज्ञप्ति को चुनौती देते हुए 17 सिविल सेवा उम्मीदवारों द्वारा हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी. याचिका में शुरू में प्रारंभिक परीक्षा को रद्द करने और उसे दोबारा आयोजित करने की मांग की गई थी. हालांकि बाद में उन मांगों को हटा दिया गया और याचिका, परिणामों की घोषणा से पहले उत्तर कुंजी के प्रकाशन की मांग तक सीमित रह गई थी. याचिका की विचारणीयता पर यूपीएससी की आपत्तियों का जवाब देते हुए, याचिकाकर्ताओं ने कहा कि वे भर्ती की मांग नहीं कर रहे थे.

कैट के पास अधिकार नहीं: याचिकाकर्ताओं ने आगे कहा कि चूंकि अभी तक भर्ती नहीं हुई है, इसलिए यह मामला कैट के अधिकार क्षेत्र में नहीं. याचिकाकर्ता अभ्यर्थियों का प्रतिनिधित्व अधिवक्ता सौरव अग्रवाल, राजीव कुमार दुबे, आशीष तिवारी और साहिब पटेल ने किया. वहीं यूपीएससी का प्रतिनिधित्व अधिवक्ता नरेश कौशिक और शुभम द्विवेदी ने किया. केंद्र सरकार की स्थायी वकील (सीजीएससी) अरुणिमा द्विवेदी, अधिवक्ता आकाश पाठक और पिंकी पवार के साथ पेश हुईं.

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Last Updated : Sep 13, 2023, 4:25 PM IST
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