नई दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली में डेंगू (Dengue Case In Delhi) के बढ़ते मामले पर नगर निगमों और दिल्ली सरकार को फटकार लगाई है. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि प्रशासन को पूरी तरह लकवा मार गया (Delhi High Court reprimands Delhi government) है. शहर में बड़े पैमाने पर मच्छरों के प्रजनन का मुद्दा है. यह जरूरी है कि मच्छरों की ब्रीडिंग के मामले की मॉनिटरिंग की जाए. कोर्ट ने कहा कि तीनों नगर निगम, नई दिल्ली नगर परिषद और दिल्ली कैंट बोर्ड और दिल्ली सरकार इस समस्या पर स्थायी नजर रखें. इसके लिए एमिकस क्यूरी (Amicus curiae) की नियुक्ति जरूरी है.
'एमिकस क्यूरी' (Amicus curiae) का मतलब 'न्याय मित्र' होता है. यह व्यावहारिक रूप से किसी पक्ष का प्रतिनिधित्व नहीं करता है, बल्कि न्यायालय की मदद करता है. एक दिसंबर को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि अगर चुनाव असली मुद्दों पर लड़ा जाए तो हमारा शहर पूरी तरह बदल जाएगा, लेकिन चुनाव इन पर लड़ा जा रहा है क्या मुफ्त है. कहा, कि नीतियां लोक लुभावन बनाई जा रही हैं और सरकार डर रही है कि उसके वोट खिसक जाएंगे. सुनवाई के दौरान दक्षिणी दिल्ली नगर निगम ने मांग की थी कि कानून का उल्लंघन करने वालों पर जुर्माने की रकम की सीमा बढ़ाने का दिशानिर्देश जारी किया जाए.
तब कोर्ट ने कहा था कि कुछ रोक होनी चाहिए. हमारे समाज में लोग तब तक नहीं समझते जब तक कोई रोक नहीं हो. हम इस पर कानून नहीं बना सकते हैं. आपको ये डर है कि अगर वे कुछ करेंगे तो लोग आपको वोट नहीं देंगे. कोर्ट ने कहा था कि पूर्वी दिल्ली नगर निगम के अधिकतर नाले खुले हुए हैं और उनसे बदबू आती है, देश की राजधानी दिल्ली के लिए ये दुखद स्थिति है.
23 नवंबर को कोर्ट ने डेंगू की रोकथाम करने में नाकाम रहने पर नगर निगमों को फटकार लगाई थी. कोर्ट ने कहा था कि उसके पहले के आदेश को अनसुना कर दिया गया. कोर्ट ने कहा था कि हर साल डेंगू बढ़ कैसे रहा है, क्या यह नगर निगम का काम नहीं है. मानसून के बाद मच्छर आएंगे. पिछले 15-20 सालों से यही हो रहा है. ना तो कोई इस पर सोचता है और न ही कोई योजना बनाई जाती है. कोर्ट ने सभी नगर निगमों को निर्देश दिया था कि वे सभी इसे लेकर हर हफ्ते बैठक करें.