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हेट स्पीच केस : हाईकोर्ट से बोला आरोपी, हिंदू राष्ट्र की मांग धार्मिक समूहों के बीच शत्रुता बढ़ाना नहीं

कथित सांप्रदायिक भाषण करने के मामले में एक आरोपी ने कहा कि 'हिंदू राष्ट्र' की मांग करना धार्मिक समूहों के बीच शत्रुता बढ़ाना नहीं है. पढ़ें पूरी खबर...

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Published : Sep 15, 2021, 10:09 PM IST

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नई दिल्ली : किसी लोकतांत्रिक व्यवस्था में 'हिंदू राष्ट्र' की मांग करना धार्मिक समूहों के बीच शत्रुता बढ़ाना नहीं होता है. जंतर-मंतर पर आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान कथित सांप्रदायिक भाषण करने के मामले में एक आरोपी ने बुधवार को दिल्ली उच्च न्यायालय में यह दलील दी.

कार्यक्रम के आयोजक प्रीत सिंह ने न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता की एकल पीठ से कहा कि अगर अदालत का विचार इसके विपरीत है तो वह जमानत का आग्रह नहीं करेंगे. सिंह वर्तमान में न्यायिक हिरासत में हैं.

सिंह के वकील और उनकी रिहाई का विरोध करने वाले दिल्ली पुलिस के वकील की जिरह सुनने के बाद न्यायाधीश ने सिंह की जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया.

सिंह का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा, 'मैं जिम्मेदारी से कहता हूं कि अगर अदालत मानती है कि मांग (हिंदू राष्ट्र की) भादंसं की धारा 153 के तहत आती है तो मैं जमानत याचिका को जारी रखने का दबाव नहीं बनाऊंगा. किसी भी लोकतांत्रिक व्यवस्था के तहत अगर यह (मांग) शत्रुता को बढ़ावा देता है तो मैं जमानत की मांग नहीं करूंगा.'

वकील ने स्वीकार किया कि आरोपी ने इस मांग पर मीडिया को साक्षात्कार दिया लेकिन कहा कि वह कथित सांप्रदायिक नारेबाजी का हिस्सा नहीं थे.

पढ़ें :- भड़काऊ भाषण मामले में हाईकोर्ट ने काफिल खान के खिलाफ दर्ज FIR रद्द कीं

उन्होंने कहा, 'मेरे मुवक्किल ने ऐसा कुछ नहीं कहा कि उनके खिलाफ भादंसं की धारा 153ए लगाई जाए. वे भादंसं की धारा 34 (साझी मंशा) लगा रहे हैं लेकिन कार्यक्रम पूर्वाह्न 11 बजकर 45 मिनट पर समाप्त हो गया और नारेबाजी शाम पौने चार बजे हुई. उस वक्त मेरे मुवक्किल वहां मौजूद नहीं थे.'

अदालत को सूचित किया गया कि मुख्य आयोजक वकील अश्विनी उपाध्याय को जमानत दी जा चुकी है.

अभियोजन का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील तरंग श्रीवास्तव ने कहा कि सभी आरोपियों ने समन्वय के साथ काम किया और कथित सांप्रदायिक नारेबाजी के समय सिंह की अनुपस्थिति के कारण उन्हें इस जिम्मेदारी से मुक्त नहीं किया जा सकता है.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : किसी लोकतांत्रिक व्यवस्था में 'हिंदू राष्ट्र' की मांग करना धार्मिक समूहों के बीच शत्रुता बढ़ाना नहीं होता है. जंतर-मंतर पर आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान कथित सांप्रदायिक भाषण करने के मामले में एक आरोपी ने बुधवार को दिल्ली उच्च न्यायालय में यह दलील दी.

कार्यक्रम के आयोजक प्रीत सिंह ने न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता की एकल पीठ से कहा कि अगर अदालत का विचार इसके विपरीत है तो वह जमानत का आग्रह नहीं करेंगे. सिंह वर्तमान में न्यायिक हिरासत में हैं.

सिंह के वकील और उनकी रिहाई का विरोध करने वाले दिल्ली पुलिस के वकील की जिरह सुनने के बाद न्यायाधीश ने सिंह की जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया.

सिंह का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा, 'मैं जिम्मेदारी से कहता हूं कि अगर अदालत मानती है कि मांग (हिंदू राष्ट्र की) भादंसं की धारा 153 के तहत आती है तो मैं जमानत याचिका को जारी रखने का दबाव नहीं बनाऊंगा. किसी भी लोकतांत्रिक व्यवस्था के तहत अगर यह (मांग) शत्रुता को बढ़ावा देता है तो मैं जमानत की मांग नहीं करूंगा.'

वकील ने स्वीकार किया कि आरोपी ने इस मांग पर मीडिया को साक्षात्कार दिया लेकिन कहा कि वह कथित सांप्रदायिक नारेबाजी का हिस्सा नहीं थे.

पढ़ें :- भड़काऊ भाषण मामले में हाईकोर्ट ने काफिल खान के खिलाफ दर्ज FIR रद्द कीं

उन्होंने कहा, 'मेरे मुवक्किल ने ऐसा कुछ नहीं कहा कि उनके खिलाफ भादंसं की धारा 153ए लगाई जाए. वे भादंसं की धारा 34 (साझी मंशा) लगा रहे हैं लेकिन कार्यक्रम पूर्वाह्न 11 बजकर 45 मिनट पर समाप्त हो गया और नारेबाजी शाम पौने चार बजे हुई. उस वक्त मेरे मुवक्किल वहां मौजूद नहीं थे.'

अदालत को सूचित किया गया कि मुख्य आयोजक वकील अश्विनी उपाध्याय को जमानत दी जा चुकी है.

अभियोजन का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील तरंग श्रीवास्तव ने कहा कि सभी आरोपियों ने समन्वय के साथ काम किया और कथित सांप्रदायिक नारेबाजी के समय सिंह की अनुपस्थिति के कारण उन्हें इस जिम्मेदारी से मुक्त नहीं किया जा सकता है.

(पीटीआई-भाषा)

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