नई दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने शिवसेना पार्टी के नाम और चुनाव चिह्न (Uddhav Thackeray) के इस्तेमाल पर रोक लगाने के निर्वाचन आयोग के अंतरिम आदेश के खिलाफ दायर महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की याचिका मंगलवार को खारिज कर दी.
न्यायमूर्ति संजीव नरूला ने कहा कि यह शिवसेना के दोनों गुटों और आम लोगों के हित में होगा कि शिवसेना के धनुष और तीर के चुनाव चिह्न और नाम के इस्तेमाल पर आयोग की कार्यवाही जल्द ही समाप्त हो. उच्च न्यायालय ने आयोग से इस मुद्दे पर जल्द से जल्द फैसला करने को कहा.
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Delhi High Court dismisses Shiv Sena chief Uddhav Thackeray's plea challenging the Election Commission of India's (ECI) decision to freeze the election symbol of 'Bow and Arrow'.
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— ANI (@ANI) November 15, 2022
अदालत ने कहा, 'मौजूदा याचिका को खारिज किया जाता है.' इस साल के शुरू में महाराष्ट्र के वर्तमान मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने ठाकरे के खिलाफ विद्रोह का झंडा बुलंद किया था और उनपर कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के साथ 'अप्राकृतिक गठबंधन' करने का आरोप लगाया था. शिवसेना के 55 में से 40 से ज्यादा विधायक शिंदे के साथ चले गए थे जिसके बाद ठाकरे को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था.
इसके बाद शिंदे गुट ने पार्टी के नाम और चुनाव चिह्न पर दावा करते हुए कहा कि वही असली शिवसेना है. आयोग ने आठ अक्टूबर को अपने अंतरिम आदेश में ठाकरे और शिंदे की अगुवाई वाले शिवसेना के दोनों गुटों को मुंबई की अंधेरी सीट के उपचुनाव के दौरान पार्टी का नाम और चुनाव चिह्न इस्तेमाल करने से रोक दिया था.
ठाकरे ने पिछले महीने उच्च न्यायालय का रुख कर आयोग के इस आदेश को रद्द करने की गुजारिश की थी. याचिका में आरोप लगाया गया है कि आयोग ने मौखिक सुनवाई के अनुरोध के ठाकरे के आवेदन के बावजूद सुनवाई का अवसर दिए बिना आदेश पारित करने में अनुचित जल्दबाजी दिखाई.
ठाकरे ने अपनी याचिका में दावा किया है कि पार्टी का चुनाव चिह्न उसकी पहचान है, जिसका इस्तेमाल शिवसेना की स्थापना के बाद से किया गया है. 1966 में उनके पिता बाल ठाकरे ने पार्टी की स्थापना की थी.
पढ़ें- चुनाव चिह्न और नाम को लेकर ठाकरे गुट ने EC को पत्र लिखा, लगाया पक्षपात का आरोप
(पीटीआई-भाषा)