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'चीन से कोरोना वायरस की उत्पत्ति की एनआईए जांच वाली याचिका खारिज' - Delhi court dismisses plea seeking NIA probe into origin of coronavirus from China

दिल्ली की एक अदालत ने पूर्व स्वास्थ्य एवं सेवा महानिदेशक की याचिका खारिज कर दी है जिसमें चीन से कोरोना वायरस की कथित उत्पत्ति और उसके बाद इसके प्रसार की जांच का अनुरोध किया गया था.

कोरोना वायरस
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Published : Aug 12, 2021, 10:53 PM IST

नई दिल्ली : दिल्ली की एक अदालत ने पूर्व स्वास्थ्य एवं सेवा महानिदेशक की वह याचिका खारिज कर दी है जिसमें चीन से कोरोना वायरस की कथित उत्पत्ति और उसके बाद इसके प्रसार की जांच का अनुरोध किया गया था.

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश प्रवीण सिंह ने डॉ जगदीश प्रसाद की याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी कि शिकायत पढ़ने मात्र से लग रहा है कि यह मीडिया की खबरों, विचारों, अनुमानों, आशंकाओं और संभावनाओं पर आधारित है.

न्यायाधीश ने कहा,कोई स्पष्ट तथ्य नहीं हैं जिनके आधार पर आरोप लगाया गया है और केवल आशंकाएं हैं कि सार्स-सीओवी-2 को वुहान प्रयोगशालाओं में आनुवंशिक रूप से तैयार किया गया हो सकता है और वह भी तथ्यों के आधार पर नहीं बल्कि विशेषज्ञों के दृष्टिकोण के आधार पर, अदालत ने कहा कि विचार कभी भी तथ्यों की जगह नहीं ले सकते हैं और अपराध होने के लिए,अपराध के कुछ तथ्यों का खुलासा करने की आवश्यकता होती है, न कि केवल संभावनाएं जैसा कि वर्तमान मामले में किया गया था.

इसे भी पढ़े-बंगाल ने कोविड प्रतिबंध बढ़ाया, लोकल ट्रेन सेवाएं 31 अगस्त तक निलंबित

इसलिए, अदालत ने कहा कि शिकायत में किसी जांच की जरूरी नहीं है क्योंकि यह सिद्धांतों पर आधारित है जिसे व्यक्तियों ने अनुमानों एवं विश्लेषणों के आधार पर स्थापित किया है. जो किसी भी तरह से एक स्थापित तथ्य नहीं माना जा सकता है. न्यायाधीश ने सात अगस्त को पारित आदेश में कहा, मुझे मौजूदा शिकायत सुनवाई योग्य नहीं लगती है. इसलिए इसको खारिज किया जाता है

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : दिल्ली की एक अदालत ने पूर्व स्वास्थ्य एवं सेवा महानिदेशक की वह याचिका खारिज कर दी है जिसमें चीन से कोरोना वायरस की कथित उत्पत्ति और उसके बाद इसके प्रसार की जांच का अनुरोध किया गया था.

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश प्रवीण सिंह ने डॉ जगदीश प्रसाद की याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी कि शिकायत पढ़ने मात्र से लग रहा है कि यह मीडिया की खबरों, विचारों, अनुमानों, आशंकाओं और संभावनाओं पर आधारित है.

न्यायाधीश ने कहा,कोई स्पष्ट तथ्य नहीं हैं जिनके आधार पर आरोप लगाया गया है और केवल आशंकाएं हैं कि सार्स-सीओवी-2 को वुहान प्रयोगशालाओं में आनुवंशिक रूप से तैयार किया गया हो सकता है और वह भी तथ्यों के आधार पर नहीं बल्कि विशेषज्ञों के दृष्टिकोण के आधार पर, अदालत ने कहा कि विचार कभी भी तथ्यों की जगह नहीं ले सकते हैं और अपराध होने के लिए,अपराध के कुछ तथ्यों का खुलासा करने की आवश्यकता होती है, न कि केवल संभावनाएं जैसा कि वर्तमान मामले में किया गया था.

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इसलिए, अदालत ने कहा कि शिकायत में किसी जांच की जरूरी नहीं है क्योंकि यह सिद्धांतों पर आधारित है जिसे व्यक्तियों ने अनुमानों एवं विश्लेषणों के आधार पर स्थापित किया है. जो किसी भी तरह से एक स्थापित तथ्य नहीं माना जा सकता है. न्यायाधीश ने सात अगस्त को पारित आदेश में कहा, मुझे मौजूदा शिकायत सुनवाई योग्य नहीं लगती है. इसलिए इसको खारिज किया जाता है

(पीटीआई-भाषा)

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