नई दिल्ली : राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की विशेष अदालत ने आतंकवाद से जुड़े एक मामले में हिजबुल मुजाहिदीन के दो लोगों को 12 साल की सजा, जबकि दो अन्य को 10 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है.
आरोपी मोहम्मद शफी शाह को 12 साल के कठोर कारावास और 15000 रुपये के जुर्माने की सजा दी गई है. वहीं तालिब लाली को 10 साल कारावास के साथ 10,000 रुपये जुर्माना की सजा दी गई है. मुजफ्फर अहमद डार को 12 साल कारावास और 15,000 रुपये जुर्माना की सजा सुनाई गई है. मुश्ताक अहमद लोन को भी 10 साल और 10,000 रुपये जुर्माना की सजा सुनाई गई है.
यह मामला एनआईए द्वारा नई दिल्ली में 25.10.2011 को मोहम्मद यूसुफ शाह उर्फ सैयद सलाहुद्दीन और अन्य, जो हिजबुल मुजाहिदीन (एचएम) के सदस्य के रूप में भारत में आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम दे रहे थे और नियमित रूप से पड़ोसी क्षेत्राधिकार से धन प्राप्त कर रहे थे, के खिलाफ दर्ज किया गया था.
एचएम द्वारा जम्मू कश्मीर एफेक्टर्स रिलीफ ट्रस्ट (जेकेएआरटी), एक गैर सरकारी संगठन और एचएम के फ्रंटल संगठन के माध्यम से एकत्र की गई धनराशि को सक्रिय आतंकवादियों और जम्मू-कश्मीर में एचएम के मारे गए आतंकवादियों के परिवारों को दिया जा रहा था.
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एनआईए ने कहा कि जांच के बाद, इस मामले में 12 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई थी जिसमें से चार को दोषी ठहराया गया और सजा सुनाई गई. शेष 8 आरोपी फरार हैं और जानकारी के अनुसार फिलहाल पाकिस्तान में रह रहे हैं.