चेन्नई: आईआईटी मद्रास के निदेशक वी कामकोटि ने बताया कि रक्षा विभाग ने एयरबस विमान के डिजाइन की अनुमति दे दी है, जिसे आईआईटी मद्रास अनुसंधान संस्थान के सहयोग से विकसित किया जा रहा है. वी कामकोटि ने बताया कि केंद्र सरकार के Remedial Teaching Programme के तहत 15 अनुसंधान केंद्र संचालित करने के लिए विभाग के प्रमुखों को अनुमति प्रदान कर दी गई है. मीडिया से बात करते हुए कामकोटि ने कहा कि साल 2018 में केंद्र सरकार ने IIT मद्रास को एक अभिनव शैक्षणिक संस्थान के रूप में चुना और अनुसंधान करने के लिए एक हजार करोड़ रुपये का फंड आवंटित किया. उसके आधार पर अनुसंधान केंद्र विकसित करने की योजनाएं प्राप्त की गईं और 100 से अधिक शोध पत्र आईआईटी में जमा किए गए.
उनमें से एक परियोजना में 21 तकनीकी सहित 68 अनुसंधान परियोजनाओं को मंजूरी दी गई थी. इसके अलावा, हमने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अनुसंधान करने और चयनित अनुसंधान परियोजनाओं के लिए विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों की एक समिति बनाई है. उसके आधार पर 15 केंद्रों में शोध किया जाना है. इसके जरिए आईआईटी मद्रास अपने शोध को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लागू करेगा.
उन्होंने कहा आगे कहा कि 15 क्षेत्रों में अनुसंधान किया जा रहा है, जिसमें निर्माण, बिजली भंडारण, चिकित्सा नवाचारों और ओलंपिक प्रशिक्षण के लिए कृत्रिम उपकरण में कार्बन उत्सर्जन को कम करना शामिल है. उन्होंने कहा कि इसके जरिए आईआईटी चेन्नई के शोध निष्कर्ष अंतरराष्ट्रीय स्तर के होंगे. इन 15 शोधों में से 10 शोध अंतरराष्ट्रीय स्तर के होंगे. इसके जरिए आईआईटी मद्रास के शोध पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा होगी.
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आईआईटी मद्रास में कृषि से जुड़े क्षेत्रों के अलावा शोध किया जा रहा है. बिना कीटनाशकों के जैविक खेती पर भी शोध हो रहे हैं. रक्षा मंत्रालय ने कल आईआईटी अनुसंधान संस्थान, मद्रास द्वारा विकसित किए जा रहे विमान के डिजाइन को मंजूरी दी थी. उसके बाद आगे के विभिन्न परीक्षण किए जाते हैं. इसे विनियमित करने की आवश्यकता है जैसे ड्रोन विनियमित होते हैं और चल रहे काम को पूरा करने में दो से तीन साल लग सकते हैं.
उन्होंने कहा कि इसे व्यावसायिक उपयोग में लाया जाएगा. केंद्र सरकार ने आईआईटी, मद्रास में शोध के माध्यम से सिंथेटिक हीरे के उत्पादन के लिए 249 करोड़ रुपये प्रदान किए हैं. शुरुआती काम होने और अनुसंधान शुरू होने में 18 महीने लगेंगे.