बेंगलुरु: कर्नाटक में दो वरिष्ठ महिला अधिकारियों की लड़ाई में नया मोड़ आया है. आईएएस अधिकारी रोहिणी सिंधुरी द्वारा दायर आपराधिक मानहानि के मामले में समन जारी किए जाने के बाद आईपीएस अधिकारी डी रूपा मौदगिल सिटी मजिस्ट्रेट की अदालत में पेश हुईं और उन्हें सशर्त जमानत मिल गई. मामले को लेकर शहर के 24वें एडिशनल मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट में सुनवाई में रूपा मोदगिल शामिल हुईं. अदालत ने पेशी दर्ज की और 25,000 रुपये के निजी मुचलके पर उन्हें जमानत दे दी.
रोहिणी सिंधुरी का कहना है कि डी रूपा मौदगिल ने 18 व 19 फरवरी 2023 को अपने फेसबुक अकाउंट पर मुझ पर अशोभनीय आरोप लगाए हैं. सिंधुरी ने कहा कि रूपा ने इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में भी बयान दिया है. आरोपों से मेरे व्यक्तित्व को नुकसान पहुंचा. रोहिणी सिंधुरी ने 3 मार्च को अधीनस्थ अदालत में एक निजी शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि रूपा ने उसे मारने के दुर्भावनापूर्ण इरादे से यह कृत्य किया था. इससे मेरा निजी, सामाजिक और पेशेवर जीवन गंभीर रूप से प्रभावित हुआ और मुझे मानसिक पीड़ा हुई.
साथ ही मानहानि और मानसिक पीड़ा देने के लिए डी. रूपा से मुआवजे के रूप में एक करोड़ रुपये का भुगतान किया जाए. उनकी मांग है कि उनके खिलाफ उचित दंडात्मक कार्रवाई की जाए. मजिस्ट्रेट की अदालत ने इस पर विचार करते हुए रूपा के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मामला दर्ज करने का आदेश दिया. साथ ही रूपा को समन जारी किया गया था.
बता दें कि दोनों अधिकारियों के बीच विवाद बढ़ने पर 21 फरवरी को उनका तबादला कर दिया गया था. इसके बाद रोहिणी सिंधुरी ने डी रूपा के खिलाफ उनकी टिप्पणी के लिए नोटिस दिया था. पेश मामले में डी रूपा ने रोहिणी सिंधुरी की कुछ निजी तस्वीरे सोशल मीडिया पर शेयर कर दिया था. साथ ही आरोप लगाया था कि रोहिणी सिंधुरी ने पुरुष आईएएस अधिकारियों के साथ अपनी तस्वीरों को शेयर किया, जो गलत है. इसके बाद रोहिणी सिंधुरी ने डी रूपा के खिलाफ उन्हें बदनाम करने का आरोप लगाया और फिर दोनों के बीच विवाद बढ़ा.