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बिहार : जिस स्कूल को नक्सली बालेश्वर कोड़ा ने बम से उड़ाया था, उसी स्कूल में बहू बनीं टीचर - प्राथमिक विद्यालय चोरमारा जमुई

बिहार के जमुई में एक गांव ऐसा है, जहां नक्सलियों के डर से लोग अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेजते थे. लेकिन आज यहां की तस्वीर बिल्कुल बदल चुकी है. बड़ी संख्या में बच्चे स्कूल आते हैं. सभी इसका श्रेय दुर्दांत नक्सली बालेश्वर कोड़ा की बहू रंजू देवी (Jamui Inspirational Story) को दे रहे हैं. पढ़ें पूरी खबर..

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Published : Oct 1, 2022, 7:51 PM IST

Updated : Oct 1, 2022, 9:57 PM IST

जमुई: बिहार के जमुई में नक्सली बालेश्वर कोड़ा (Naxalite Baleshwar Koda) का नाम लेते ही लोग थर्रा जाते थे. इसने कई बड़ी घटनाओं को अंजाम देकर पूरे इलाके में हड़कंप मचा दिया था. आतंक और दहशत का पर्याय बन चुके बालेश्वर कोड़ा ने कई स्कूलों को भी बम से उड़ा दिया था. लेकिन आज उन्हीं स्कूलों में से एक में नक्सली की बहू (Bahu of Naxalite became teacher in Jamui) शिक्षा का अलख जगा रही है. वरहट थाना क्षेत्र का अति नक्सल प्रभावित इलाका चोरमारा के सरकारी विद्यालय (Prathmik Vidyalaya Chormara Jamui) में रंजू देवी टीचर हैं और बच्चों के बीच ज्ञान का प्रकाश फैला रही हैं.

पढ़ें- औरंगाबाद में भाकपा माओवादी संगठन का जोनल कमांडर गिरफ्तार, 18 आपराधिक मामले में अभियुक्त

ससुर ने स्कूल को बम से उड़ाया, वहां बहू बनी टीचर: साल 2007 में रंजू देवी (Baleshwar Koda Daughter In Law Ranju In Jamui) के ससुर दुर्दांत नक्सली बालेश्वर कोड़ा ने प्राथमिक विद्यालय चोरमारा को विस्फोट कर उड़ा दिया था. सब कुछ तबाह हो गया था. उस दौर में यहां नक्सलियों की तूती बोलती थी. लेकिन आज यहां की तस्वीर बदल चुकी है. सरकारी स्कूल के भवन को दोबारा से निर्माण किया गया. अब इस स्कूल में नक्सली बालेश्वर कोड़ा की बहू और जेल में बंद संजय कोड़ा की पत्नी रंजू देवी शिक्षिका हैं. रंजू पूरी शिद्दत से बच्चों को पढ़ाती हैं और सही रास्ते पर चलने की सीख दे रही हैं.

"मैं अब बच्चों को पढ़ाती हूं और मुझे इसमें अच्छा लग रहा है. समाज में मेरी प्रतिष्ठा भी बढ़ी है. मैं चाहती हूं कि युवा पढ़ाई करें और अपने जीवन में आगे बढ़ें. शिक्षा बहुत जरूरी है. स्थानीय भाषा में पढ़ाने से बच्चों के अंदर सीखने की, आगे बढ़ने की ललक भी बढ़ी है."- रंजू देवी, नक्सली बालेश्वर कोड़ा की बहू

Ranju Devi
स्कूल में बच्चों को पढ़ाती बालेश्वर कोड़ा की बहू

बालेश्वर कोड़ा ने 2022 में सरेंडर किया था: दरअसल बालेश्वर कोड़ा ने जून 2022 में अपने दो साथियों के साथ पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था. उसके सरेंडर करने से लोगों ने राहत की सांस ली और बच्चों को स्कूल भेजने के लिए राजी हुए. बालेश्वर के आत्मसमर्पण में भी रंजू देवी ने बड़ी भूमिका निभाई थी. उसी ने अपने ससुर को सरेंडर करके मुख्यधारा में लौटने के लिए राजी किया था.

कभी नक्सलियों का गढ़ था चोरमारा गांव: एक समय था जब भीमबांध जंगल के अंदर सबसे ज्यादा नक्सल प्रभावित चोरमारा गांव को माना जाता था. कुख्यात नक्सली बालेश्वर कोड़ा का जबदस्त दहशत था. उस समय मुंगेर के तत्कालीन एसपी केसी सुरेंद्र बाबू की गांव से कुछ दूरी पर हत्या कर दी थी. लेकिन अब सबकुछ बदल चुका है. बच्चे पढ़ना चाहते है आगे बढ़ना चाहते है. महिलाएं काम काज के साथ सम्मान पाना चाहती हैं. चोरमारा में इसी साल सीआरपीएफ कैंप स्थापित किया गया है.

Chormara School
चोरमारा का सरकारी विद्यालय

रंजू ने बदल दी चोरमारा स्कूल की तस्वीर: फिलहाल चोरमारा प्राथमिक विद्यालय में 186 बच्चे नामांकित हैं. बच्चे रोज स्कूल भी आते हैं और इसका पूरा श्रेय लोग रंजू देवी के प्रयासों को देते हैं. आज से कुछ महीने पहले तक यहां की तस्वीर ऐसी नहीं थी. चोरमारा, गुरमाहा सहित अन्य नक्सल प्रभावित गांवो के लोगों ने बताया कि वे बच्चों को पढ़ाना चाहते थे, लेकिन नक्सलियों के डर से बच्चों को स्कूल नहीं भेजते थे. विद्यालय में दो शिक्षक पदस्थापित भी थे, लेकिन नक्सलियों के भय से वे भी स्कूल नहीं आते थे. लिहाजा महीनें में एक- दो बार ही स्कूल खुलता था.

रंजू के कारण मिली इतनी बड़ी सफलता - SP : वहीं जमुई एसपी शौर्य सुमन ने भी रंजू की तारीफ करते हुए कहा कि नक्सलियों को सरेंडर कराने के लिए लगातार प्रशासन परिवारवालों के भी संपर्क में था. बालेश्वर की बहू लगातार प्रयास कर रही थी, जिसके कारण हमें इतनी बड़ी सफलता मिली. पहले हमारी कोशिश रहती है कि जिला पुलिस और सीआरपीएफ एरिया को नक्सल मुक्त बना दे और फिर विकास किया जाता हैं.

"नक्सल मुक्त एरिया होते जाएगा तो विकास होता जाएगा. जमुई की महिलाओं ने बहुत अच्छा काम किया है. इसकी जितनी भी प्रशंसा की जाए कम है. यह दोहरी उपलब्धि है. एक तरफ पुलिस सुरक्षा प्रदान करती है दूसरी तरफ प्रशासन अन्य सुविधा और योजनाओं का लाभ देती है."- शौर्य सुमन, जमुई एसपी

कौन है बालेश्वर कोड़ा ? : पूर्वी-बिहार पूर्वोत्तर झारखंड सीमावर्ती इलाके सहित जमुई, मुंगेर और लखीसराय के सीमावर्ती इलाकों में बालेश्वर कोड़ा का आतंक था. इनके नाम से कभी यह इलाका थर-थर कांपता था. दो महीने पहले परिवार के समझाने बुझाने के बाद इसने सरेंडर कर दिया, जिसके बाद लोगों ने राहत की सांस ली. 14 जुलाई 2017 को जिले बरहट थाना क्षेत्र के कुकुरझप डेम में नक्सली बालेश्वर कोड़ा-अर्जुन कोड़ा और उसके पूरे गिरोह ने एक ही परिवार के तीन लोगों की हत्या कर दी थी. मुंगेर के तत्कालीन एसपी केसी सुरेंद्र बाबू को उड़ा दिया गया था, इस मामले में भी बालेश्वर का नाम सामने आया था.

जमुई: बिहार के जमुई में नक्सली बालेश्वर कोड़ा (Naxalite Baleshwar Koda) का नाम लेते ही लोग थर्रा जाते थे. इसने कई बड़ी घटनाओं को अंजाम देकर पूरे इलाके में हड़कंप मचा दिया था. आतंक और दहशत का पर्याय बन चुके बालेश्वर कोड़ा ने कई स्कूलों को भी बम से उड़ा दिया था. लेकिन आज उन्हीं स्कूलों में से एक में नक्सली की बहू (Bahu of Naxalite became teacher in Jamui) शिक्षा का अलख जगा रही है. वरहट थाना क्षेत्र का अति नक्सल प्रभावित इलाका चोरमारा के सरकारी विद्यालय (Prathmik Vidyalaya Chormara Jamui) में रंजू देवी टीचर हैं और बच्चों के बीच ज्ञान का प्रकाश फैला रही हैं.

पढ़ें- औरंगाबाद में भाकपा माओवादी संगठन का जोनल कमांडर गिरफ्तार, 18 आपराधिक मामले में अभियुक्त

ससुर ने स्कूल को बम से उड़ाया, वहां बहू बनी टीचर: साल 2007 में रंजू देवी (Baleshwar Koda Daughter In Law Ranju In Jamui) के ससुर दुर्दांत नक्सली बालेश्वर कोड़ा ने प्राथमिक विद्यालय चोरमारा को विस्फोट कर उड़ा दिया था. सब कुछ तबाह हो गया था. उस दौर में यहां नक्सलियों की तूती बोलती थी. लेकिन आज यहां की तस्वीर बदल चुकी है. सरकारी स्कूल के भवन को दोबारा से निर्माण किया गया. अब इस स्कूल में नक्सली बालेश्वर कोड़ा की बहू और जेल में बंद संजय कोड़ा की पत्नी रंजू देवी शिक्षिका हैं. रंजू पूरी शिद्दत से बच्चों को पढ़ाती हैं और सही रास्ते पर चलने की सीख दे रही हैं.

"मैं अब बच्चों को पढ़ाती हूं और मुझे इसमें अच्छा लग रहा है. समाज में मेरी प्रतिष्ठा भी बढ़ी है. मैं चाहती हूं कि युवा पढ़ाई करें और अपने जीवन में आगे बढ़ें. शिक्षा बहुत जरूरी है. स्थानीय भाषा में पढ़ाने से बच्चों के अंदर सीखने की, आगे बढ़ने की ललक भी बढ़ी है."- रंजू देवी, नक्सली बालेश्वर कोड़ा की बहू

Ranju Devi
स्कूल में बच्चों को पढ़ाती बालेश्वर कोड़ा की बहू

बालेश्वर कोड़ा ने 2022 में सरेंडर किया था: दरअसल बालेश्वर कोड़ा ने जून 2022 में अपने दो साथियों के साथ पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था. उसके सरेंडर करने से लोगों ने राहत की सांस ली और बच्चों को स्कूल भेजने के लिए राजी हुए. बालेश्वर के आत्मसमर्पण में भी रंजू देवी ने बड़ी भूमिका निभाई थी. उसी ने अपने ससुर को सरेंडर करके मुख्यधारा में लौटने के लिए राजी किया था.

कभी नक्सलियों का गढ़ था चोरमारा गांव: एक समय था जब भीमबांध जंगल के अंदर सबसे ज्यादा नक्सल प्रभावित चोरमारा गांव को माना जाता था. कुख्यात नक्सली बालेश्वर कोड़ा का जबदस्त दहशत था. उस समय मुंगेर के तत्कालीन एसपी केसी सुरेंद्र बाबू की गांव से कुछ दूरी पर हत्या कर दी थी. लेकिन अब सबकुछ बदल चुका है. बच्चे पढ़ना चाहते है आगे बढ़ना चाहते है. महिलाएं काम काज के साथ सम्मान पाना चाहती हैं. चोरमारा में इसी साल सीआरपीएफ कैंप स्थापित किया गया है.

Chormara School
चोरमारा का सरकारी विद्यालय

रंजू ने बदल दी चोरमारा स्कूल की तस्वीर: फिलहाल चोरमारा प्राथमिक विद्यालय में 186 बच्चे नामांकित हैं. बच्चे रोज स्कूल भी आते हैं और इसका पूरा श्रेय लोग रंजू देवी के प्रयासों को देते हैं. आज से कुछ महीने पहले तक यहां की तस्वीर ऐसी नहीं थी. चोरमारा, गुरमाहा सहित अन्य नक्सल प्रभावित गांवो के लोगों ने बताया कि वे बच्चों को पढ़ाना चाहते थे, लेकिन नक्सलियों के डर से बच्चों को स्कूल नहीं भेजते थे. विद्यालय में दो शिक्षक पदस्थापित भी थे, लेकिन नक्सलियों के भय से वे भी स्कूल नहीं आते थे. लिहाजा महीनें में एक- दो बार ही स्कूल खुलता था.

रंजू के कारण मिली इतनी बड़ी सफलता - SP : वहीं जमुई एसपी शौर्य सुमन ने भी रंजू की तारीफ करते हुए कहा कि नक्सलियों को सरेंडर कराने के लिए लगातार प्रशासन परिवारवालों के भी संपर्क में था. बालेश्वर की बहू लगातार प्रयास कर रही थी, जिसके कारण हमें इतनी बड़ी सफलता मिली. पहले हमारी कोशिश रहती है कि जिला पुलिस और सीआरपीएफ एरिया को नक्सल मुक्त बना दे और फिर विकास किया जाता हैं.

"नक्सल मुक्त एरिया होते जाएगा तो विकास होता जाएगा. जमुई की महिलाओं ने बहुत अच्छा काम किया है. इसकी जितनी भी प्रशंसा की जाए कम है. यह दोहरी उपलब्धि है. एक तरफ पुलिस सुरक्षा प्रदान करती है दूसरी तरफ प्रशासन अन्य सुविधा और योजनाओं का लाभ देती है."- शौर्य सुमन, जमुई एसपी

कौन है बालेश्वर कोड़ा ? : पूर्वी-बिहार पूर्वोत्तर झारखंड सीमावर्ती इलाके सहित जमुई, मुंगेर और लखीसराय के सीमावर्ती इलाकों में बालेश्वर कोड़ा का आतंक था. इनके नाम से कभी यह इलाका थर-थर कांपता था. दो महीने पहले परिवार के समझाने बुझाने के बाद इसने सरेंडर कर दिया, जिसके बाद लोगों ने राहत की सांस ली. 14 जुलाई 2017 को जिले बरहट थाना क्षेत्र के कुकुरझप डेम में नक्सली बालेश्वर कोड़ा-अर्जुन कोड़ा और उसके पूरे गिरोह ने एक ही परिवार के तीन लोगों की हत्या कर दी थी. मुंगेर के तत्कालीन एसपी केसी सुरेंद्र बाबू को उड़ा दिया गया था, इस मामले में भी बालेश्वर का नाम सामने आया था.

Last Updated : Oct 1, 2022, 9:57 PM IST
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