सहारनपुर: विश्वविख्यात इस्लामिक शिक्षण संस्थान दारुल उलूम में अंग्रेजी मामले को लेकर संस्थान प्रबंधन बैक फुट पर आया है. दारुल उलूम ने न सिर्फ अंग्रेजी बैन पर अपनी सफाई पेश की है बल्कि टाइपिंग त्रुटि को इसकी वजह बताई है. राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग और यूपी अल्पसंख्यक आयोग के हस्तक्षेप के बाद जवाब दिया है. प्रबंधन ने आयोग के सामने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि टाइपिंग त्रुटि की वजह से भ्रम के हालात पैदा हुए. संस्था द्वारा अंग्रेजी भाषा और अन्य आधुनिक विषयों के पढ़ने पर रोक नही लगाई बल्कि छात्रों के कक्षा के वक्त बाहर जाने पर रोक लगाई गई थी.
बता दें कि विश्वविख्यात इस्लामिक शिक्षण संस्थान एवं फतवों की नगरी दारुल उलूम देवबंद में अंग्रेजी और आधुनिक विषयों के साथ अन्य भाषाओं की पढ़ाई करने पर रोक लगाने का मामला सामने आया था. दारुल उलूम के शिक्षा विभाग ने ऐसा करने वाले छात्रों को निष्काषित करने की चेतावनी दी थी. यह मामला पिछले दिनों मीडिया की सुर्खियां बना तो यूपी अल्पसंख्यक आयोग और राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग ने मामले को संज्ञान लिया और 21 जून तक जवाब मांगा था. आयोग का नोटिस मिलने के बाद दारुल उलूम के शिक्षा विभाग ने आयोग के सामने अपना पक्ष रखा. अब संस्था की ओर से जवाब में कहा गया कि टाइपिंग त्रुटि की वजह से भ्रम हुआ है. मीडिया ने मामले को बढ़ा- ढ़ा कर पेश किया है जबकि दारुल उलूम संस्थान किसी भी छात्र को अंग्रेजी एवं अन्य विषयों की आधुनिक शिक्षा हासिल करने से नहीं रोकती और न ही इसकी विरोधी है. हालांकि यह सब विषय दारुल उलूम में भी पढ़ाए जाते हैं.
गौरतलब है कि दारुल उलूम के शिक्षा विभाग की ओर से 13 जून को एक आदेश जारी किया गया था जिसमें स्पष्ट शब्दों में लिखा गया था कि संस्था में तालीम हासिल करने वाले छात्र अंग्रेजी या अन्य किसी भाषा के विषयों की पढ़ाई नहीं करेंगे. ऐसे में कोई छात्र अंग्रेजी की पढ़ाई करता मिलता है तो उसके विरुद्ध निष्कासन की कार्रवाई की जाएगी. राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग व अल्पसंख्यक आयोग ने मामले में संस्था को नोटिस भेजकर मामले में 21 जून तक अपना पक्ष रखने का आदेश दिया था. आयोग के आदेशानुसार दारुल उलूम के शिक्षा विभाग के प्रभारी मौलाना हुसैन हरिद्वारी ने लिखित में जवाब दिया है. जवाब में कहा गया कि दारुल उलूम में कंप्यूटर, साइंस, गणित, इंग्लिश और हिंदी सहित अन्य विषय छात्रों को पहले से ही पढ़ाए जाते हैं. संस्था में किसी भी भाषा के सीखने पर कोई पाबंदी नहीं है.
मौलाना हुसैन हरिद्वारी ने कहा कि संस्था में पढ़ने वाले छात्र डिग्री हासिल करने के लिए किसी दूसरे संस्थान में प्रवेश नहीं लेंगे. कानून भी इसकी इजाजत नहीं देता है. मौलाना हुसैन हरिद्वारी ने बताया कि जवाब में बताया गया है कि टाइपिंग त्रुटि होने से भ्रम के हालात पैदा हुए. उनके द्वारा दिए गए जवाब पर आयोग ने संतुष्टि जताई है.
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