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गुरुवार शेयर बाजार क्रैश में निवेशकों के डूबे ₹ 4.73 लाख करोड़ - share market news

गुरुवार सुबह दलाल स्ट्रीट में निवेशकों के लगभग 5 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. क्योंकि वेश्विक मुद्रास्फीति की चिंता में भारतीय शेयर बाजार लहुलुहान का शिकार हुआ. आंकड़ों बताते हैं कि बीएसई का मार्केट कैपिटल बुधवार को ₹ 255.7 लाख करोड़ रुपये जो कि गुरूवार को ₹ 4.73 लाख करोड़ रुपये गिरकर ₹ 251 लाख करोड़ रुपये का रह गया.

गुरुवार शेयर बाजार क्रैश
गुरुवार शेयर बाजार क्रैश
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Published : May 19, 2022, 12:33 PM IST

नई दिल्ली : दलाल स्ट्रीट में निवेशकों को गुरुवार सुबह लगभग ₹ पांच लाख करोड़ का नुकसान हुआ है. क्योंकि वेश्विक मुद्रास्फीति की चिंता से मार्केट लहुलुहान हुआ. आंकड़ों से पता चलता है कि बीएसई का मार्केट कैपिटल एक दिन पहले यानी बुधवार को 255.7 लाख करोड़ रुपये था जो कि गुरूवार को ₹ 4.73 लाख करोड़ रुपये गिरकर 251 लाख करोड़ रुपये हो गया. यह सब कमजोर कॉर्पोरेट आय पर अमेरिकी सूचकांकों में बुधवार रात 3-4 प्रतिशत की गिरावट के कारण हुआ.

बाजार के विश्लेषक के अनुसार, चीनी इंटरनेट दिग्गज Tencent के कमजोर इनकम के कारण एशिया में मूड और मार्केट लहुलुहान का शिकार हुआ. मार्केटमैन आगामी डाउनग्रेड इनकम साइकल से डर रहे हैं, जिसे बाजार ने अब तक नजरअंदाज किया था. मल्टीपल कंप्रेशन का टॉक्सिक ट्राइफेक्टा (पी/ई एडजस्टेड लोअर या मल्टीपल डी-रेटिंग का पी), कॉस्ट-लेड मार्जिन कम्प्रेशन और सेल्स ग्रोथ में आसन्न मंदी, जहां पिछले दो कारकों का घातक संयोजन, अनुमानित कमाई की आशंका हो रही है. या पी/ई (प्राइस/अर्निंग) का 'ई' (अर्निंग) घट रहा है. आज के बाजार में गिरावट के कई कारक हैं-

रिटेलर का वॉल स्ट्रीट पर कब्जा: यूएस रिटेलर टारगेट के कमजोर नतीजों ने वैश्विक स्तर पर कॉरपोरेट आय में मुद्रास्फीति के खात्मे पर चिंता जताई है. अमेरिकी रिटेलर टारगेट के खराब नतीजों और कमेंट्री के बाद एक दिन में 25 फीसदी की गिरावट और बड़े प्रतिद्वंद्वी वॉलमार्ट में लगातार गिरावट एक स्पष्ट मैसेज था मुद्रास्फीति की उपेक्षा करना अब कोई विकल्प नहीं है और वैश्विक स्तर पर इनकम में भारी गिरावट की संभावना प्रबल है.

यूएस फेड ने अतीत में कहा था कि वह अमेरिकी ब्याज दरों में वृद्धि करेगा जब तक कि "स्पष्ट और ठोस" संकेत नहीं मिल जाते है कि मुद्रास्फीति नियंत्रित हो रही है. लेकिन बढ़ती ब्याज दर का अमेरिका की मांग पर भी बुरा असर पड़ सकता है और इससे दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था मंदी की चपेट में आ सकती है. डॉव (Dow) 3.6 फीसदी गिरा जबकि नैस्डैक (Nasdaq) रातोंरात 4.7 फीसदी गिर गया. S&P 500 4.04 फीसदी लुढ़का. तीन सूचकांक कम से कम छह साप्ताहिक नुकसान की एक स्ट्रिंग का विस्तार करने की गति पर थे.

Tencent एशिया के घावों बढ़ाया: अमेरिकी शेयर बाजार में बीते रात की गिरावट खराब रही तो चीन की प्रमुख इंटरनेट कंपनी टेनसेंट के शेयरों में तेज गिरावट ने स्थिति को और भी खराब कर दिया. चीन के Tencent का मार्च तिमाही का लाभ मार्च 2021 की तुलना में आधा हो गया और रेवेन्यु स्थिर हो गया, जो चीन में कोविड -19 लॉकडाउन के प्रभाव को दर्शाता है. गुरुवार सुबह हांगकांग 2.5 फीसदी नीचे था, जबकि टोक्यो 2 फीसदी नीचे था. ताइवान और कोरिया के बाजार 2 फीसदी तक गिरे.

फ्रंटलोडिंग दर में वृद्धि: बुधवार को हाल ही में एमपीसी नीति समीक्षा के कार्यवृत्त जारी हुआ जो बताता है कि भविष्य में ब्याज दरों में वृद्धि से इनकार नहीं किया जा सकता है. नोमुरा इंडिया को अब जून की बैठक में 50 प्वाइंट की वृद्धि की उम्मीद है, जो पहले 35 प्वाइंट की थी. नोमुरा ने कहा, “एमपीसी की ओर से, हमारे विचार में, रेपो दर को 5.15 प्रतिशत (4.40 प्रतिशत से) पूर्व-महामारी के स्तर पर ले जाने के लिए, अधिक फ्रंट-लोडेड दरों में वृद्धि की संभावना है. पहले नोमुरा को उम्मीद थी कि अगस्त में 35 प्वाइंट की वृद्धि, इसके बाद अक्टूबर, दिसंबर, फरवरी और अप्रैल में प्रत्येक में 25 बीपीएस की वृद्धि होगी. साथ ही उम्मीद जतायी है कि जून में (75 बीपीएस) और इसके टर्मिनल दर पूर्वानुमान (6.25 प्रतिशत) दोनों में जोखिम ऊपर की तरफ ज्यादा है.

रिकॉर्ड स्तर पर रुपया और विदेशी मुद्रा का बहिर्वाह: देश में विदेशी मुद्रा के पलायन से रुपये की रिकॉर्ड गिरावट का असर दिख रहा है. आंशिक रूप से परिवर्तनीय रुपया ग्रीनबैक के मुकाबले 77.6780 पर था और अब तक के निचले स्तर के करीब कारोबार कर रहा था. कमजोर रुपया भारतीय इक्विटी में निवेश के प्रति विदेशी निवेशकों को ज्यादा आकर्षित नहीं करता है. मई 2022 में विदेशी इक्विटी बहिर्वाह 30,000 करोड़ रुपये के उच्च स्तर पर पहुंच गया. 2022 में अब तक 1,57,556 करोड़ रुपये की निकासी की है.

यह भी पढ़ें-खुलते ही शेयर मार्केट में हाहाकार, 1100 अंक से ज्यादा गिरा Sensex

नई दिल्ली : दलाल स्ट्रीट में निवेशकों को गुरुवार सुबह लगभग ₹ पांच लाख करोड़ का नुकसान हुआ है. क्योंकि वेश्विक मुद्रास्फीति की चिंता से मार्केट लहुलुहान हुआ. आंकड़ों से पता चलता है कि बीएसई का मार्केट कैपिटल एक दिन पहले यानी बुधवार को 255.7 लाख करोड़ रुपये था जो कि गुरूवार को ₹ 4.73 लाख करोड़ रुपये गिरकर 251 लाख करोड़ रुपये हो गया. यह सब कमजोर कॉर्पोरेट आय पर अमेरिकी सूचकांकों में बुधवार रात 3-4 प्रतिशत की गिरावट के कारण हुआ.

बाजार के विश्लेषक के अनुसार, चीनी इंटरनेट दिग्गज Tencent के कमजोर इनकम के कारण एशिया में मूड और मार्केट लहुलुहान का शिकार हुआ. मार्केटमैन आगामी डाउनग्रेड इनकम साइकल से डर रहे हैं, जिसे बाजार ने अब तक नजरअंदाज किया था. मल्टीपल कंप्रेशन का टॉक्सिक ट्राइफेक्टा (पी/ई एडजस्टेड लोअर या मल्टीपल डी-रेटिंग का पी), कॉस्ट-लेड मार्जिन कम्प्रेशन और सेल्स ग्रोथ में आसन्न मंदी, जहां पिछले दो कारकों का घातक संयोजन, अनुमानित कमाई की आशंका हो रही है. या पी/ई (प्राइस/अर्निंग) का 'ई' (अर्निंग) घट रहा है. आज के बाजार में गिरावट के कई कारक हैं-

रिटेलर का वॉल स्ट्रीट पर कब्जा: यूएस रिटेलर टारगेट के कमजोर नतीजों ने वैश्विक स्तर पर कॉरपोरेट आय में मुद्रास्फीति के खात्मे पर चिंता जताई है. अमेरिकी रिटेलर टारगेट के खराब नतीजों और कमेंट्री के बाद एक दिन में 25 फीसदी की गिरावट और बड़े प्रतिद्वंद्वी वॉलमार्ट में लगातार गिरावट एक स्पष्ट मैसेज था मुद्रास्फीति की उपेक्षा करना अब कोई विकल्प नहीं है और वैश्विक स्तर पर इनकम में भारी गिरावट की संभावना प्रबल है.

यूएस फेड ने अतीत में कहा था कि वह अमेरिकी ब्याज दरों में वृद्धि करेगा जब तक कि "स्पष्ट और ठोस" संकेत नहीं मिल जाते है कि मुद्रास्फीति नियंत्रित हो रही है. लेकिन बढ़ती ब्याज दर का अमेरिका की मांग पर भी बुरा असर पड़ सकता है और इससे दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था मंदी की चपेट में आ सकती है. डॉव (Dow) 3.6 फीसदी गिरा जबकि नैस्डैक (Nasdaq) रातोंरात 4.7 फीसदी गिर गया. S&P 500 4.04 फीसदी लुढ़का. तीन सूचकांक कम से कम छह साप्ताहिक नुकसान की एक स्ट्रिंग का विस्तार करने की गति पर थे.

Tencent एशिया के घावों बढ़ाया: अमेरिकी शेयर बाजार में बीते रात की गिरावट खराब रही तो चीन की प्रमुख इंटरनेट कंपनी टेनसेंट के शेयरों में तेज गिरावट ने स्थिति को और भी खराब कर दिया. चीन के Tencent का मार्च तिमाही का लाभ मार्च 2021 की तुलना में आधा हो गया और रेवेन्यु स्थिर हो गया, जो चीन में कोविड -19 लॉकडाउन के प्रभाव को दर्शाता है. गुरुवार सुबह हांगकांग 2.5 फीसदी नीचे था, जबकि टोक्यो 2 फीसदी नीचे था. ताइवान और कोरिया के बाजार 2 फीसदी तक गिरे.

फ्रंटलोडिंग दर में वृद्धि: बुधवार को हाल ही में एमपीसी नीति समीक्षा के कार्यवृत्त जारी हुआ जो बताता है कि भविष्य में ब्याज दरों में वृद्धि से इनकार नहीं किया जा सकता है. नोमुरा इंडिया को अब जून की बैठक में 50 प्वाइंट की वृद्धि की उम्मीद है, जो पहले 35 प्वाइंट की थी. नोमुरा ने कहा, “एमपीसी की ओर से, हमारे विचार में, रेपो दर को 5.15 प्रतिशत (4.40 प्रतिशत से) पूर्व-महामारी के स्तर पर ले जाने के लिए, अधिक फ्रंट-लोडेड दरों में वृद्धि की संभावना है. पहले नोमुरा को उम्मीद थी कि अगस्त में 35 प्वाइंट की वृद्धि, इसके बाद अक्टूबर, दिसंबर, फरवरी और अप्रैल में प्रत्येक में 25 बीपीएस की वृद्धि होगी. साथ ही उम्मीद जतायी है कि जून में (75 बीपीएस) और इसके टर्मिनल दर पूर्वानुमान (6.25 प्रतिशत) दोनों में जोखिम ऊपर की तरफ ज्यादा है.

रिकॉर्ड स्तर पर रुपया और विदेशी मुद्रा का बहिर्वाह: देश में विदेशी मुद्रा के पलायन से रुपये की रिकॉर्ड गिरावट का असर दिख रहा है. आंशिक रूप से परिवर्तनीय रुपया ग्रीनबैक के मुकाबले 77.6780 पर था और अब तक के निचले स्तर के करीब कारोबार कर रहा था. कमजोर रुपया भारतीय इक्विटी में निवेश के प्रति विदेशी निवेशकों को ज्यादा आकर्षित नहीं करता है. मई 2022 में विदेशी इक्विटी बहिर्वाह 30,000 करोड़ रुपये के उच्च स्तर पर पहुंच गया. 2022 में अब तक 1,57,556 करोड़ रुपये की निकासी की है.

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