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जानिए क्या है सिम स्वैपिंग, आपकी ये सावधानी साइबर ठगों को दिखाएगी ठेंगा

साइबर ठग इंटरनेट के इस जमाने में लोगों को ठगने के नए-नए रास्ते खोज रहे हैं. साइबर ठगों ने ठगी के नए-नए तिकड़म अपना लिए हैं, जिनमें से एक है सिम स्वैपिंग/क्लोनिंग. इसके माध्यम से ठग इंटरनेट पर फर्जी टोल फ्री नंबर छोड़ते हैं. साइबर ठग अलग-अलग बैंकों के नाम से इंटरनेट पर फर्जी टोल फ्री नंबर छोड़ते हैं. किसी तरह की समस्या होने पर जब कोई इन नंबर पर फोन करता है तो साइबर ठग उन्हें अपना शिकार बना लेते हैं.

सिम स्वैपिंग
सिम स्वैपिंग
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Published : Apr 12, 2021, 11:44 PM IST

शिमला : देवभूमि हिमाचल प्रदेश में साल दर साल साइबर क्राइम का जाल फैलता जा रहा है. ऐसे में अगर आप बैंक में पैसे रखकर सोचते हैं कि आपके पैसे सुरक्षित हैं, तो सावधान हो जाइये क्योंकि आपकी कमाई को बचाने की जिम्मेदारी बैंक से ज्यादा आपकी है. आपकी छोटी सी लापरवाही आपको पल भर में कंगाल कर सकती है. दरअसल साइबर ठग आपको ठगने के लिए हर पल तैयार बैठे रहते हैं. उन्हें बस आपकी एक छोटी सी गलती का इंतजार रहता है, क्योंकि आपकी मदद के बगैर साइबर ठग कुछ भी नहीं कर सकते.

कई बार हालात ऐसे होते हैं कि व्यक्ति समझ ही नहीं पाता कि उसके साथ फ्रॉड हो रहा है और जब साइबर फ्रॉड के जाल में फंस जाता है, तो उसके पास सिवाय अफसोस के कुछ समझ नहीं रह जाता है. आज हम एक ऐसे फ्रॉड के तरीके के बारे में बताने जा रहे हैं जिसे जानकर आप हैरान रह जाएंगे. ये सिम क्लोनिंग या सिम स्वैपिंग हैं. आखिर ये क्या है और इससे कैसे बचा जा सकता है.

क्या है मोबाइल सिम स्वैपिंग?

किसी व्यक्ति के मोबाइल नंबर से दूसरा सिम लेने की प्रकिया को सिम-स्वैपिंग कहते हैं. ऐसा तब होता है, जब हमारी पुरानी सिम खराब हो जाती है और उसका मोबाइल नंबर सभी दस्तावेजों में दर्ज होता है. तब सिम ऑपरेटर से उसी नंबर पर दूसरी सिम जारी करने को कहते हैं. धोखाधड़ी करने वाले लुटेरे सोशल मीडिया या डार्क वेब जहां बहुत सस्ते में सूचनाएं उपलब्ध हैं वहां से लोगों का मोबाइल नंबर हासिल करते हैंं. इसके बाद साइबर हमला कर व्यक्ति का फोन बंद कर दिया जाता है.

जिसके बाद बैंक से जुड़े तमाम मैसेज, ओटीपी या अन्य जानकारी उस नए सिम पर पहुंचती है. सिम स्वैपिंग या सिम क्लोनिंग के बाद पीड़ित का मोबाइल नंबर बंद हो जाता है, लेकिन शुरुआत में उसे लगता है कि नेटवर्क की दिक्कत है जो ठीक हो जाएगी, लेकिन जब तक उसे समझ आता है बहुत देर हो चुकी होती है.

साइबर ठगों का नया हथियार सिम स्वैपिंग/सिम क्लोनिंग

साइबर ठगों ने ठगी के नए-नए तरीके अपना लिए हैं, जिनमें से एक है इंटरनेट पर फर्जी टोल फ्री नंबर छोड़ना. साइबर ठग अलग-अलग बैंकों के नाम से इंटरनेट पर फर्जी टोल फ्री नंबर छोड़ते हैं. किसी तरह की समस्या होने पर जब कोई इन नंबर पर फोन करता है तो साइबर ठग उन्हें अपना शिकार बना लेते हैं.

साइबर ठगी से बचने के लिए क्या ना करें.
साइबर ठगी से बचने के लिए क्या ना करें.

साइबर ठग डेबिट कार्ड से लेकर बैंक खाते से जुड़ी कई जानकारियां मांगते हैं. कई बार ओटीपी और सीवीवी नंबर मांगा जाता है और कई बार साइबर ठग आपके बैंक खाते से लिंक्ड मोबाइल नंबर की जानकारी मांगते हैं. आपकी थोड़ी सी लापरवाही इन साइबर ठगों को आपके मोबाइल नंबर की स्वैपिंग या सिम क्लोनिंग कर लेते हैं. जिसके बाद आपका नंबर बंद हो जाता है और बैंक खाते से जुड़े मैसेज आपको नहीं मिल पाते. जब तक आपको इसकी जानकारी लगती है साइबर ठग आपके खाते से आपकी मेहनत की कमाई ले उड़ जाते हैं.

सिम स्वैपिंग है साइबर ठगों का हथियार

इंटरनेट के जमाने में बैंक संबंधी हर सुविधा आपके मोबाइल पर उपलब्ध है. आजकल बैंक खातों का मोबाइल नंबर से लिंक होना आम बात है, लेकिन ये मोबाइल नंबर या सिम साइबर ठगों का नया हथियार है. आपकी थोड़ी सी लापरवाही इस सिम की बदौलत आपको कंगाल कर सकती है.

सिम क्लोनिंग या सिम स्वैपिंग के जरिये आसानी से साइबर क्राइम को अंजाम दिया जा सकता है. दरअसल साइबर ठग आपके सिम का डुप्लीकेट तैयार कर लेता है. सिम स्वैप का मतलब वह सिम एक्सचेंज कर लेता है आपके फोन नंबर से एक नए सिम का रजिस्ट्रेशन करवा लिया जाता है और आपका सिम बंद हो जाता है. जिसके बाद बैंक से जुड़े तमाम मैसेज, ओटीपी या अन्य जानकारी उस नए सिम पर पहुंचती है. सिम स्वैपिंग या सिम क्लोनिंग के बाद पीड़ित का मोबाइल नंबर बंद हो जाता है, लेकिन शुरुआत में उसे लगता है कि नेटवर्क की दिक्कत है जो ठीक हो जाएगी, लेकिन जब तक उसे समझ आता है बहुत देर हो चुकी होती है.

सावधानी हटी, कमाई लुटी

साइबर ठगी से बचने के लिए सावधानी बहुत जरूरी है. बिना जांच परख या किसी के झांसे में आकर अपने बैंक खाते से जुड़ी जानकारी किसी को भी ना दें. इसके अलावा ओटीपी, सीवीवी नंबर, एटीएम पिन भी किसी के साथ शेयर ना करें.

सिम स्वैपिंग से ऐसे बचें
सिम स्वैपिंग से ऐसे बचें

इंटरनेट से लेकर किसी वेबसाइट पर ऑफर, गिफ्ट, नौकरी के बदले पैसा या सस्ती कार, सामान बेचने वालों के झांसे में ना आएं.

आजकल ऑनलाइन शॉपिंग का जमाना है जो साइबर ठगों के लिए एक मौका है. इसलिये बिना जांच परख के ऑनलाइन शॉपिंग, ट्रेडिंग या इन्वेस्टमेंट करने से बचें. अज्ञात लिंक, मेल या QR कोड को स्कैन करने से भी बचना चाहिए.

क्या है मोबाइल सिम स्वैपिंग?
क्या है मोबाइल सिम स्वैपिंग?

शिमला में साइबर क्राइम के एएसपी नरवीर सिंह राठौर कहते हैं कि विभाग की तरफ से सोशल मीडिया से लेकर प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के जरिये लोगों को जागरुक किया जाता है लेकिन लोगों को खुद से जागरूक और सावधान होने की भी जरूरत है.

अगर फिर भी कोई शख्स साइबर ठगी का शिकार हो जाता है तो जल्द से जल्द इसकी जानकारी पुलिस को दें. नरवीर सिंह के अनुसार साइबर ठगी होने पर जल्द से जल्द उसकी शिकायत करें क्योंकि ऐसे मामलों में साइबर सेल द्वारा उठाए गए शुरुआती कदम मामले को सुलझाने और रिकवरी के लिहाज से महत्वपूर्ण होते हैं.

साइबर ठगी हो तो क्या करें ?
साइबर ठगी हो तो क्या करें ?

पढ़ें : साइबर ठग ने खाते से पार किए 30 हजार, मामला दर्ज

अगर आपके साथ साइबर ठगी हो तो क्या करें ?

साइबर ठगों का शिकार बनने पर सबसे पहले पुलिस को जानकारी दें. खासकर ऐसे मामलों में साइबर सैल को जानकारी देना उचित होगा. हिमाचल में इसके लिए साल 2016 में शिमला में साइबर सेल बना है जहां इस तरह के मामलों की जांच होती है. इसके अलावा मेल और टोल फ्री नंबर पर भी साइबर क्राइम की शिकायत दी जा सकती है.

पढ़ें: साइबर ठगों का नया हथियार मोबाइल सिम स्वैपिंग, क्राइम का जाल बिछाकर पल भर में करते हैं कंगाल

शिमला : देवभूमि हिमाचल प्रदेश में साल दर साल साइबर क्राइम का जाल फैलता जा रहा है. ऐसे में अगर आप बैंक में पैसे रखकर सोचते हैं कि आपके पैसे सुरक्षित हैं, तो सावधान हो जाइये क्योंकि आपकी कमाई को बचाने की जिम्मेदारी बैंक से ज्यादा आपकी है. आपकी छोटी सी लापरवाही आपको पल भर में कंगाल कर सकती है. दरअसल साइबर ठग आपको ठगने के लिए हर पल तैयार बैठे रहते हैं. उन्हें बस आपकी एक छोटी सी गलती का इंतजार रहता है, क्योंकि आपकी मदद के बगैर साइबर ठग कुछ भी नहीं कर सकते.

कई बार हालात ऐसे होते हैं कि व्यक्ति समझ ही नहीं पाता कि उसके साथ फ्रॉड हो रहा है और जब साइबर फ्रॉड के जाल में फंस जाता है, तो उसके पास सिवाय अफसोस के कुछ समझ नहीं रह जाता है. आज हम एक ऐसे फ्रॉड के तरीके के बारे में बताने जा रहे हैं जिसे जानकर आप हैरान रह जाएंगे. ये सिम क्लोनिंग या सिम स्वैपिंग हैं. आखिर ये क्या है और इससे कैसे बचा जा सकता है.

क्या है मोबाइल सिम स्वैपिंग?

किसी व्यक्ति के मोबाइल नंबर से दूसरा सिम लेने की प्रकिया को सिम-स्वैपिंग कहते हैं. ऐसा तब होता है, जब हमारी पुरानी सिम खराब हो जाती है और उसका मोबाइल नंबर सभी दस्तावेजों में दर्ज होता है. तब सिम ऑपरेटर से उसी नंबर पर दूसरी सिम जारी करने को कहते हैं. धोखाधड़ी करने वाले लुटेरे सोशल मीडिया या डार्क वेब जहां बहुत सस्ते में सूचनाएं उपलब्ध हैं वहां से लोगों का मोबाइल नंबर हासिल करते हैंं. इसके बाद साइबर हमला कर व्यक्ति का फोन बंद कर दिया जाता है.

जिसके बाद बैंक से जुड़े तमाम मैसेज, ओटीपी या अन्य जानकारी उस नए सिम पर पहुंचती है. सिम स्वैपिंग या सिम क्लोनिंग के बाद पीड़ित का मोबाइल नंबर बंद हो जाता है, लेकिन शुरुआत में उसे लगता है कि नेटवर्क की दिक्कत है जो ठीक हो जाएगी, लेकिन जब तक उसे समझ आता है बहुत देर हो चुकी होती है.

साइबर ठगों का नया हथियार सिम स्वैपिंग/सिम क्लोनिंग

साइबर ठगों ने ठगी के नए-नए तरीके अपना लिए हैं, जिनमें से एक है इंटरनेट पर फर्जी टोल फ्री नंबर छोड़ना. साइबर ठग अलग-अलग बैंकों के नाम से इंटरनेट पर फर्जी टोल फ्री नंबर छोड़ते हैं. किसी तरह की समस्या होने पर जब कोई इन नंबर पर फोन करता है तो साइबर ठग उन्हें अपना शिकार बना लेते हैं.

साइबर ठगी से बचने के लिए क्या ना करें.
साइबर ठगी से बचने के लिए क्या ना करें.

साइबर ठग डेबिट कार्ड से लेकर बैंक खाते से जुड़ी कई जानकारियां मांगते हैं. कई बार ओटीपी और सीवीवी नंबर मांगा जाता है और कई बार साइबर ठग आपके बैंक खाते से लिंक्ड मोबाइल नंबर की जानकारी मांगते हैं. आपकी थोड़ी सी लापरवाही इन साइबर ठगों को आपके मोबाइल नंबर की स्वैपिंग या सिम क्लोनिंग कर लेते हैं. जिसके बाद आपका नंबर बंद हो जाता है और बैंक खाते से जुड़े मैसेज आपको नहीं मिल पाते. जब तक आपको इसकी जानकारी लगती है साइबर ठग आपके खाते से आपकी मेहनत की कमाई ले उड़ जाते हैं.

सिम स्वैपिंग है साइबर ठगों का हथियार

इंटरनेट के जमाने में बैंक संबंधी हर सुविधा आपके मोबाइल पर उपलब्ध है. आजकल बैंक खातों का मोबाइल नंबर से लिंक होना आम बात है, लेकिन ये मोबाइल नंबर या सिम साइबर ठगों का नया हथियार है. आपकी थोड़ी सी लापरवाही इस सिम की बदौलत आपको कंगाल कर सकती है.

सिम क्लोनिंग या सिम स्वैपिंग के जरिये आसानी से साइबर क्राइम को अंजाम दिया जा सकता है. दरअसल साइबर ठग आपके सिम का डुप्लीकेट तैयार कर लेता है. सिम स्वैप का मतलब वह सिम एक्सचेंज कर लेता है आपके फोन नंबर से एक नए सिम का रजिस्ट्रेशन करवा लिया जाता है और आपका सिम बंद हो जाता है. जिसके बाद बैंक से जुड़े तमाम मैसेज, ओटीपी या अन्य जानकारी उस नए सिम पर पहुंचती है. सिम स्वैपिंग या सिम क्लोनिंग के बाद पीड़ित का मोबाइल नंबर बंद हो जाता है, लेकिन शुरुआत में उसे लगता है कि नेटवर्क की दिक्कत है जो ठीक हो जाएगी, लेकिन जब तक उसे समझ आता है बहुत देर हो चुकी होती है.

सावधानी हटी, कमाई लुटी

साइबर ठगी से बचने के लिए सावधानी बहुत जरूरी है. बिना जांच परख या किसी के झांसे में आकर अपने बैंक खाते से जुड़ी जानकारी किसी को भी ना दें. इसके अलावा ओटीपी, सीवीवी नंबर, एटीएम पिन भी किसी के साथ शेयर ना करें.

सिम स्वैपिंग से ऐसे बचें
सिम स्वैपिंग से ऐसे बचें

इंटरनेट से लेकर किसी वेबसाइट पर ऑफर, गिफ्ट, नौकरी के बदले पैसा या सस्ती कार, सामान बेचने वालों के झांसे में ना आएं.

आजकल ऑनलाइन शॉपिंग का जमाना है जो साइबर ठगों के लिए एक मौका है. इसलिये बिना जांच परख के ऑनलाइन शॉपिंग, ट्रेडिंग या इन्वेस्टमेंट करने से बचें. अज्ञात लिंक, मेल या QR कोड को स्कैन करने से भी बचना चाहिए.

क्या है मोबाइल सिम स्वैपिंग?
क्या है मोबाइल सिम स्वैपिंग?

शिमला में साइबर क्राइम के एएसपी नरवीर सिंह राठौर कहते हैं कि विभाग की तरफ से सोशल मीडिया से लेकर प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के जरिये लोगों को जागरुक किया जाता है लेकिन लोगों को खुद से जागरूक और सावधान होने की भी जरूरत है.

अगर फिर भी कोई शख्स साइबर ठगी का शिकार हो जाता है तो जल्द से जल्द इसकी जानकारी पुलिस को दें. नरवीर सिंह के अनुसार साइबर ठगी होने पर जल्द से जल्द उसकी शिकायत करें क्योंकि ऐसे मामलों में साइबर सेल द्वारा उठाए गए शुरुआती कदम मामले को सुलझाने और रिकवरी के लिहाज से महत्वपूर्ण होते हैं.

साइबर ठगी हो तो क्या करें ?
साइबर ठगी हो तो क्या करें ?

पढ़ें : साइबर ठग ने खाते से पार किए 30 हजार, मामला दर्ज

अगर आपके साथ साइबर ठगी हो तो क्या करें ?

साइबर ठगों का शिकार बनने पर सबसे पहले पुलिस को जानकारी दें. खासकर ऐसे मामलों में साइबर सैल को जानकारी देना उचित होगा. हिमाचल में इसके लिए साल 2016 में शिमला में साइबर सेल बना है जहां इस तरह के मामलों की जांच होती है. इसके अलावा मेल और टोल फ्री नंबर पर भी साइबर क्राइम की शिकायत दी जा सकती है.

पढ़ें: साइबर ठगों का नया हथियार मोबाइल सिम स्वैपिंग, क्राइम का जाल बिछाकर पल भर में करते हैं कंगाल

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