नई दिल्ली : कांग्रेस ने पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के परिणाम और वर्तमान राजनीतिक स्थिति पर चर्चा करने के लिए रविवार को सीडब्ल्यूसी (Congress Working Committee meeting) की अहम बैठक बुलाई है. कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक रविवार शाम 4 बजे दिल्ली में पार्टी कार्यालय में होगी. कयास लगाए जा रहे हैं कि बैठक में कांग्रेस के बागी नेता (G-23), जिन्होंने पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखा था, संगठनात्मक बदलाव की अपनी मांग को दोहरा सकते हैं. साथ ही राहुल गांधी के नेतृत्व पर भी सवाल उठ सकते हैं.
G-23 समूह के नेताओं में से कुछ ने विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित होने के एक दिन बाद शुक्रवार की शाम को पार्टी की हार पर मंथन करने के लिए गुलाम नबी आजाद के आवास पर बैठक की थी. इसमें कपिल सिब्बल, अखिलेश सिंह, मनीष तिवारी और कुछ अन्य नेता शामिल थे. हालांकि, इन 'असंतुष्टों' के अलावा, पार्टी के अन्य नेताओं ने भी कांग्रेस नेतृत्व और इसकी कार्यप्रणाली पर सवाल उठाना शुरू कर दिया है. इस मसले पर ऑफ-रिकॉर्ड बात करते हुए, कई कांग्रेस नेताओं ने कहा है कि पार्टी के पास कोई 'चेहरा' नहीं है, जिस पर चुनावों में वोट मांगा जा सके.
पंजाब विधानसभा चुनाव के नतीजों पर कांग्रेस के एक नेता ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि यह पार्टी में अंदरूनी कलह और एकता की कमी का नतीजा है कि कांग्रेस को एक ऐसे राज्य में बड़ी हार का सामना करना पड़ा, जहां उसकी मजबूत पकड़ थी. नेता ने यह भी कहा कि यह कांग्रेस नेतृत्व की गलती है, जो सही समय पर पंजाब कांग्रेस प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू को 'नियंत्रित' करने में विफल रहा. कांग्रेस नेता ने ईटीवी भारत से कहा कि यह बहुत ही निराशाजनक परिदृश्य है. पंजाब में अनुशासन का पूरा अभाव था. केंद्रीय नेतृत्व ने सिद्धू के खिलाफ समय पर कार्रवाई नहीं की.
कांग्रेस के एक अन्य सूत्र ने कहा, 'भाजपा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर वोट मिले, 'आप' को अरविंद केजरीवाल के चेहरे पर लोगों का समर्थन मिला, लेकिन कांग्रेस के पास कोई चेहरा नहीं था.'
दिलचस्प बात यह है कि पंजाब में कांग्रेस की करारी हार के बाद भी पार्टी की प्रदेश इकाई में अंदरूनी कलह जारी है. चुनाव नतीजे आने के बाद मीडिया से अपनी पहली बातचीत में, सिद्धू ने कहा, 'मैं पंजाब के लोगों को एक नई प्रणाली की शुरुआत करने के इस उत्कृष्ट निर्णय के लिए बधाई देता हूं.'
पंजाब में कांग्रेस महज आठ साल पुरानी पार्टी 'आप' से चुनावी जंग हार गई, जबकि उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में वह बीजेपी को कड़ी टक्कर देने में भी नाकाम रही है. पार्टी के लिए और चिंता की बात यह है कि वह अब केवल दो राज्यों यानी छत्तीसगढ़ और राजस्थान तक सिमट कर रह गई है.
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