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Ranthambore Tiger Reserve: रणथम्भौर की 'नूर' ने तो सबको चौंका दिया! जानते हैं कैसे?

रणथम्भौर को नूर ने दो शावकों से नवाजा है. टाइगर रिजर्व के अधिकारियों को चौंका दिया है बाघिन टी39 ने (Ranthambore Tiger Reserve)! 15 साल की है. उम्र के इस पड़ाव पर जब माना जाता है कि बाघिन की प्रजनन क्षमता चूक जाती है तभी उसने उम्मीद से उलट दो शावकों को जन्म दे दिया. हालांकि इन नन्हें मेहमानों की साइटिंग नहीं हुई है.

Ranthambore Tiger Reserve
Ranthambore Tiger Reserve
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Published : Nov 10, 2022, 2:03 PM IST

सवाईमाधोपुर. बाघ-बाघिनों की अठखेलियों को लेकर विश्व प्रसिद्ध रणथम्भौर की बाघिन टी 39 नूर ने अपने जीवन के अंतिम पड़ाव पर मां बन कर सबको चौंका दिया. जानकारों के अनुसार उम्रदराज बाघिन के मां बनने के चांस कम होते हैं (Ranthambore Tiger Reserve). देश के अन्य अभयारण्य सहित रणथम्भौर में ऐसे कम ही मामले सामने आए हैं, जब कोई बाघिन 15 साल की उम्र में मां बनी हो. इससे पहले रणथंभौर में 13 साल की उम्र में बाघिन मछली ने तीन शावकों को जन्म दिया था.

बाघिन टी-39 को रणथम्भौर में नूर के नाम से जाना जाता है. यह बाघिन अब तक पांच बार मां बनी चुकी है (Tigress Noor Blessed with 2 Cubs). बाघिन टी-39 15+है. यह रणथम्भौर की सबसे खूबसूरत बाघिनों में एक है. इसकी खूबसूरती के चलते ही नूर नाम दिया गया था. बाघिन की टेरेटरी फिलहाल रणथम्भौर के जोन नम्बर एक में है. अमूमन बाघिन की उम्र 15 से 16 साल ही मानी जाती है , जिसमें बाघिन करीब 10 से 12 साल तक की उम्र में शावकों को जन्म देती है. बढ़ती उम्र में हार्मोन्स के बदलाव के कारण बाघिन 12 साल बाद मां नहीं बनती है, लेकिन रणथंभौर की नूर ने करीब 15 साल की उम्र में मां बनकर सभी को चौंका दिया था.

रणथम्भौर की 'नूर' ने तो सबको चौंका दिया!

5 बार बनी मां: वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार बाघिन टी 39 नूर अब तक पांच बार मां बन चुकी है. बाघिन टी 39 नूर बाघिन टी-13 की बेटी है. बाघिन टी-39 ने पहली बार मां बनने पर सुल्तान को जन्म दिया था. दूसरी बार में बाघिन टी-39 ने दो शावक कालू और धोलू को जन्म दिया. तीसरी बार इसने दो बच्चों को जन्म दिया था, लेकिन वह सरवाइव नहीं कर सके. चौथी बार में बाघिन नूर ने तीन टाइग्रेस नूरी, सुल्ताना और टी-106 को जन्म दिया. जिनमें से टी-106 को मुकुंदरा भेज दिया गया. करीब चार माह पहले बाघिन ने 15 साल की उम्र में दो शावकों को जन्म दिया है.

नहीं दिखे शावक: फिलहाल यह बाघिन अकेले घूमते हुए दिखाई दे रही है. इसके शावक लम्बे समय से किसी को दिखाई नहीं दिए हैं. रणथम्भौर की बाघिन टी-39 नूर दुनिया की एक मात्र ऐसी बाघिन है जो साल 2016 में अपने बच्चों को बचाने के लिए बाघ टी-57 से भिड़ गई थी. अक्सर बाघिन बाघ के सामने नहीं होती है, लेकिन टी-39 अपनी ममता के चलते टी-57 से भिड़ गई थी. इसने अपने बच्चे कालू और धोलू को बाघ टी-57 से बचाने के लिए अपनी टेरेटरी खुद से ही भगा दिया था.

रणथम्भौर की 'नूर' ने तो सबको चौंका दिया!

ये भी पढ़ें-Special : दो साल बाद मुकुंदरा होगा आबाद, रणथंभौर से शिफ्ट किया जाएगा टाइगर...

सभी हैरान: रणथम्भौर के ACF (सहायक वन संरक्षक) मानस सिंह ने बताया कि हाल के कुछ सालों में रणथम्भौर में इस तरह उम्रदराज बाघिन के मां बनने का यह पहला मामला है. अमूमन ऐसा देखा गया है कि बाघिन 10 से 12 साल तक की उम्र में मां बनती है, लेकिन नूर के मामले में यह एक अपवाद है. जानकारी के अनुसार इससे पहले रणथम्भौर की क्वीन कही जाने बाली बाघिन मछली ने 13 साल की उम्र में साल 2011 में तीन मादा शावकों को जन्म दिया था. मछली ने टी-17 सुंदरी, टी-18 और टी-19 को जन्म दिया था. जिनमें से टी-17 सुंदरी की मौत हो गई जबकि टी-18 को सरिस्का भेज दिया. टी-19 कृष्णा की टेरिटरी फिलहाल रणथम्भौर जोन नम्बर चार में है.

रणथंभौर में बाघों का बसेरा: 1700 वर्ग किलोमीटर के एरिया में फैले दुनिया के प्रसिद्ध रणथम्भौर टाइगर रिजर्व 77 बाघ-बाघिनों सहित कई जानवरों का घर है. प्रदेश के सभी टाइगर रिजर्व रणथम्भौर के बाघ-बाघिनों से ही गुलजार हैं. अब तक रणथम्भौर से 16 टाइगर शिफ्ट किए गए हैं. रणथम्भौरसे सरिस्का, मुकुंदरा, सज्जनगढ़ और रामगढ़ विषधारी में टाइगर भेजे गए हैं. यहां से सरिस्का में 10 टाइगर, मुकुंदरा में पांच टाइगर और रामगढ़ विषधारी और सज्जनगढ़ उदयपुर के लिए एक एक टाइगर भेजा जा चुका है.

सवाईमाधोपुर. बाघ-बाघिनों की अठखेलियों को लेकर विश्व प्रसिद्ध रणथम्भौर की बाघिन टी 39 नूर ने अपने जीवन के अंतिम पड़ाव पर मां बन कर सबको चौंका दिया. जानकारों के अनुसार उम्रदराज बाघिन के मां बनने के चांस कम होते हैं (Ranthambore Tiger Reserve). देश के अन्य अभयारण्य सहित रणथम्भौर में ऐसे कम ही मामले सामने आए हैं, जब कोई बाघिन 15 साल की उम्र में मां बनी हो. इससे पहले रणथंभौर में 13 साल की उम्र में बाघिन मछली ने तीन शावकों को जन्म दिया था.

बाघिन टी-39 को रणथम्भौर में नूर के नाम से जाना जाता है. यह बाघिन अब तक पांच बार मां बनी चुकी है (Tigress Noor Blessed with 2 Cubs). बाघिन टी-39 15+है. यह रणथम्भौर की सबसे खूबसूरत बाघिनों में एक है. इसकी खूबसूरती के चलते ही नूर नाम दिया गया था. बाघिन की टेरेटरी फिलहाल रणथम्भौर के जोन नम्बर एक में है. अमूमन बाघिन की उम्र 15 से 16 साल ही मानी जाती है , जिसमें बाघिन करीब 10 से 12 साल तक की उम्र में शावकों को जन्म देती है. बढ़ती उम्र में हार्मोन्स के बदलाव के कारण बाघिन 12 साल बाद मां नहीं बनती है, लेकिन रणथंभौर की नूर ने करीब 15 साल की उम्र में मां बनकर सभी को चौंका दिया था.

रणथम्भौर की 'नूर' ने तो सबको चौंका दिया!

5 बार बनी मां: वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार बाघिन टी 39 नूर अब तक पांच बार मां बन चुकी है. बाघिन टी 39 नूर बाघिन टी-13 की बेटी है. बाघिन टी-39 ने पहली बार मां बनने पर सुल्तान को जन्म दिया था. दूसरी बार में बाघिन टी-39 ने दो शावक कालू और धोलू को जन्म दिया. तीसरी बार इसने दो बच्चों को जन्म दिया था, लेकिन वह सरवाइव नहीं कर सके. चौथी बार में बाघिन नूर ने तीन टाइग्रेस नूरी, सुल्ताना और टी-106 को जन्म दिया. जिनमें से टी-106 को मुकुंदरा भेज दिया गया. करीब चार माह पहले बाघिन ने 15 साल की उम्र में दो शावकों को जन्म दिया है.

नहीं दिखे शावक: फिलहाल यह बाघिन अकेले घूमते हुए दिखाई दे रही है. इसके शावक लम्बे समय से किसी को दिखाई नहीं दिए हैं. रणथम्भौर की बाघिन टी-39 नूर दुनिया की एक मात्र ऐसी बाघिन है जो साल 2016 में अपने बच्चों को बचाने के लिए बाघ टी-57 से भिड़ गई थी. अक्सर बाघिन बाघ के सामने नहीं होती है, लेकिन टी-39 अपनी ममता के चलते टी-57 से भिड़ गई थी. इसने अपने बच्चे कालू और धोलू को बाघ टी-57 से बचाने के लिए अपनी टेरेटरी खुद से ही भगा दिया था.

रणथम्भौर की 'नूर' ने तो सबको चौंका दिया!

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सभी हैरान: रणथम्भौर के ACF (सहायक वन संरक्षक) मानस सिंह ने बताया कि हाल के कुछ सालों में रणथम्भौर में इस तरह उम्रदराज बाघिन के मां बनने का यह पहला मामला है. अमूमन ऐसा देखा गया है कि बाघिन 10 से 12 साल तक की उम्र में मां बनती है, लेकिन नूर के मामले में यह एक अपवाद है. जानकारी के अनुसार इससे पहले रणथम्भौर की क्वीन कही जाने बाली बाघिन मछली ने 13 साल की उम्र में साल 2011 में तीन मादा शावकों को जन्म दिया था. मछली ने टी-17 सुंदरी, टी-18 और टी-19 को जन्म दिया था. जिनमें से टी-17 सुंदरी की मौत हो गई जबकि टी-18 को सरिस्का भेज दिया. टी-19 कृष्णा की टेरिटरी फिलहाल रणथम्भौर जोन नम्बर चार में है.

रणथंभौर में बाघों का बसेरा: 1700 वर्ग किलोमीटर के एरिया में फैले दुनिया के प्रसिद्ध रणथम्भौर टाइगर रिजर्व 77 बाघ-बाघिनों सहित कई जानवरों का घर है. प्रदेश के सभी टाइगर रिजर्व रणथम्भौर के बाघ-बाघिनों से ही गुलजार हैं. अब तक रणथम्भौर से 16 टाइगर शिफ्ट किए गए हैं. रणथम्भौरसे सरिस्का, मुकुंदरा, सज्जनगढ़ और रामगढ़ विषधारी में टाइगर भेजे गए हैं. यहां से सरिस्का में 10 टाइगर, मुकुंदरा में पांच टाइगर और रामगढ़ विषधारी और सज्जनगढ़ उदयपुर के लिए एक एक टाइगर भेजा जा चुका है.

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