बिलासपुर: आज अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस है. इस मौके पर बिलासपुर के कानन पेंडारी जू में बाघों की एक झलक पाने को पर्यटकों का हुजूम देखते बन रहा (International Tiger Day at Bilaspur Kanan Pendari Zoo) था. बाघ भी अपनी मस्ती में डूबा नजर आया. 3 महीने पहले कानन पेंडारी जू में बाघिन ने चार शावकों को जन्म दिया है. अब शावक चहल-कदमी करते और मां से दुलार करते दिखने लगे हैं. बाघ दिवस के अवसर पर कानन प्रबंधन ने बाघ की चित्रकारी और निबंध प्रतियोगिता रखी थी. इस दौरान भारी संख्या में पर्यटक इसमें हिस्सा लेने पहुंचे थे.
जू में दिखी लोगों की भीड़: बता दें कि 29 जुलाई को पूरे विश्व में बाघ दिवस मनाया जाता है. इस मौके पर बाघों के संरक्षण और संवर्धन के लिए किए गए प्रयासों को बताया जाता है. बिलासपुर के कानन पेंडारी जू में लगभग 9 बाघ-बाघिन हैं, जिन्हें केज में रखा गया है. अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस 2022 के अवसर पर कानन पेंडारी जू में पर्यटकों की अच्छी खासी भीड़ देखी गई.
बाघों के संरक्षण को किये जा रहे प्रयास विफल: बाघों के संरक्षण के लिए कानन पेंडारी जू प्रबंधन ने काफी व्यवस्था कर रखी है. इसमें केज के साथ ही व्यवस्थित डार्क रम तैयार किया गया है. बाघों को रोजाना दवाइयों के साथ ही खानपान की व्यवस्था की जाती है. सरकारी आंकड़ों की अगर बात करें तो बाघों के संरक्षण के लिए किए जा रहा प्रयास उस समय विफल हो जाता हैं, जब बाघों की अचानक मौत हो जाती है. पिछले 1 साल में दो बाघों की मौत ने बाघ प्रेमियों को झकझोंर कर रख दिया. यहां बाघों की मौत के अलावा अन्य जंगली जानवरों की मौत पर लगाम लगा पाने में प्रबंधन पूरी तरह से विफल दिख रहा है. पिछले दिनों एक बाघिन को पिंजरा तोड़ कर दूसरे बाघिन ने मार डाला था. इसके पहले एक और बाघ की मौत हुई थी, जिसे लेकर प्रबंधन ने कहा था कि बाघ की उम्र अधिक हो गई है इसलिए उसकी मौत हो गई. इस मामले में कानन पेंडारी के डायरेक्टर विष्णुराज नायर का कहा कि बाघों के संरक्षण को लेकर लगातार प्रयास किया जाता रहा है. कई बार बाघों की मौत का प्राकृतिक कारण होता है, जिसे रोक पाने में किसी का प्रयास काम नहीं आता.
कराई गई पेंटिंग और निबंध प्रतियोगिता: अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस के अवसर पर बिलासपुर के कानन पेंडारी जू में कई प्रतियोगिताएं रखी गई थी. नई पीढ़ी को बाघों के प्रति जानकारी और उनके लिए प्रेम को बढ़ाने के लिए निबंध, पेंटिंग का आयोजन किया गया था. इस प्रतियोगिया में बच्चों के लिए गिफ्ट भी रखा गया था. कानन के डायरेक्टर विष्णुराज नायर ने बताया कि इस समय कानन में बाघों की संख्या बढ़ी है. कानन में अच्छे और प्रतिकूल व्यवस्था से इनका कुनबा भी बढ़ता जा रहा है.
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कानन में हुई जंगली जानवरों की मौत: कानन पेंडारी जू में पिछले 3 महीने के अंदर 7 जानवरों की मौत हो गई है. जिनमें दो नर और मादा बाघ और तीन भालू की मौत हुई थी. इसके अलावा पिछले दिनों एक बाईसन के बच्चे की मौत हो गई है. प्रबंधन ने बताया कि पहले बाघ की मौत उम्रदराज होने की वजह से तो दूसरे की मौत संघर्ष में हुई. वहीं, हिप्पोपोटामस की हार्ट अटैक से और तीन भालू की मौत खतरनाक संक्रमण से हुई. इसके अलावा बायसन के बच्चे की मौत तबीयत खराब होने की वजह से हुई थी. यानी कि लगातार जंगली जानवरों की मौत कानन में हो रही है. प्रबंधन लापरवाही मानने के बजाय मौत का कारण बता रहा है.
बाघ शावकों का हुआ नामकरण: कानन पेंडारी जूलॉजिकल गार्डन बिलासपुर में 17 अप्रैल 2022 की रात को एक मादा बाघिन रंभा ने 4 बच्चों को जन्म दिया था. जिनमें तीन मादा और एक नर हैं. इनके पिता का नाम शिवाजी है. प्रबंधन ने आज विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर वन मंत्री के साथ जलवायु परिवर्तन विभाग छत्तीसगढ़ द्वारा बाघ के शावकों का वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से नामकरण किया. मादा शावक का नाम आनंदी, रश्मि और दिशा रखा गया है तो वहीं नर शावक का नाम मितान रखा गया है.