बाराबंकीः एक नानी को अपने नाती से इस कदर लगाव था कि वह उसे अपनी आंखों से एक पल के लिए भी दूर नहीं होने देती थी. यहां तक कि वह उसे घर से बाहर तक नही निकलने देती थी. नाती की मौत के बाद भी वह उसे अपने से अलग नही होने देना चाहती थी. शायद यही वजह रही कि नानी करीब पांच दिनों तक नाती के शव के साथ रहीं और पानी से शव पोंछती रहीं. जब शव की बदबू फैली तो इस मामले का खुलासा हुआ.जी हां, यह हैरतअंगेज और मन को द्रवित कर देने वाला मामला उत्तरप्रदेश के बाराबंकी का है. फिलहाल आसपास के घरों के लोगों द्वारा बदबू आने की सूचना पर पहुंची. पुलिस ने नाती के शव को कब्जे में लेकर उसे पोस्टमार्टम के लिए भेजा है.
जानकारी के मुताबिक, नगर कोतवाली के मौहरिया मोहल्ले की नई बस्ती के एक घर से दो दिनों से आ रही बदबू ने मोहल्लेवासियों को परेशान कर दिया. रविवार को जब दुर्गंध ज्यादा फैली तो मुहल्ले वालों ने पुलिस को खबर दी. सीओ सिटी बीनू सिंह,नगर कोतवाल संजय मौर्या के साथ मौके पर पहुंची. पुलिस ने जब घर का दरवाजा खुलवाना चाहा तो वहां रह रही वृद्धा ने इसका विरोध किया. आखिरकार काफी समझाने बुझाने के बाद महिला ने दरवाजा खोला. घर के अंदर पहुंचते ही पुलिसकर्मी हैरान रह गए. घर के अंदर एक किशोर का सड़ा गला शव बिस्तर पर पड़ा था. भयंकर दुर्गंध आ रही थी.शव को पुलिस ने कब्जे में ले लिया.मौके पर पहुंची फील्ड यूनिट ने मौके से साक्ष्य इकट्ठा किये. महिला के पड़ोसियों ने बताया कि महिला किसी से बात नही करती थी. बाजार से खुद ही सामान लाती थी. वह अपने नाती को घर से बाहर नही निकलने देती थी. पड़ोसियों के मुताबिक नाती की मौत हो जाने के बाद महिला उसको कपड़े से रोजाना पोंछती थी.
मौत कैसे हुई पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार
नगर कोतवाल संजय मौर्य ने बताया कि तकरीबन 17 वर्षीय प्रियांशु पिछले 10 वर्षों से अपनी नानी के साथ रहता था.नानी की मानसिक स्थिति ठीक नहीं है. शव पांच दिन पुराना है. पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही क्लियर हो सकेगा कि मौत कैसे हुई.
मार्चरी पहुंचे मौसा और मौसी
मामले की जानकारी पर प्रियांशु के मौसी-मौसा लखीमपुर से बाराबंकी पहुंचे.मौसा कमलेश त्रिपाठी लखीमपुर में 112 में तैनात हैं. मौसी ममता ने बताया कि उसके पिता सत्यनारायण मूल रूप से लखीमपुर के निघासन के रहने वाले थे. सत्यनारायण आरपीएफ में तैनात थे. संडीला में उनकी तैनाती रही फिर बरेली में उनका ट्रांसफर हो गया. उसके बाद तकरीबन 10-12 वर्ष पहले उनका ट्रांसफर लखनऊ हो गया था. लखनऊ में नौकरी के दौरान ही उन्होंने बाराबंकी में घर ले लिया था और यहीं रहते थे. प्रियांशु के पिता राजीव भी लखीमपुर के रहने वाले थे. ममता ने बताया कि प्रियांशु के पिता राजीव और मां रजनी की मौत के बाद 5 वर्ष की उम्र से ही उसकी मां मिथलेश उसे अपने साथ रख रही थी. सत्यनारायण की मौत के बाद नानी और नाती घर मे अकेले थे.
मिथलेश की मानसिक स्थिति ठीक न होने के पीछे ममता ने जो वजह बताई वह किसी भी इंसान को द्रवित करने के लिए काफी है. दरअसल सत्यनारायण के दो बेटे और दो बेटियां ममता और रजनी थी. दो बेटे न जाने कहां लापता हो गए थे. ममता ने बताया कि इसी सदमे से उसकी मां यानी मिथलेश की मानसिक स्थिति ठीक नहीं रहती थी, शायद यही वजह थी कि उसकी मां प्रियांशु से खुद को अलग नहीं होने देती थी.
OMG: पांच दिनों तक नाती के शव के साथ रहीं नानी, पानी से पोंछती रही देह, दुर्गंध से हुआ खुलासा
बाराबंकी में ह्रदयविदारक घटना सामने आई है. यहां नानी अपने नाती के शव के साथ करीब पांच दिनों तक साथ रहीं. शव की दुर्गंध फैलने पर लोगों को इसकी जानकारी हुई. पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है. हालांकि नाती की मौत का कारण अभी स्पष्ट नहीं हो सका है.
बाराबंकीः एक नानी को अपने नाती से इस कदर लगाव था कि वह उसे अपनी आंखों से एक पल के लिए भी दूर नहीं होने देती थी. यहां तक कि वह उसे घर से बाहर तक नही निकलने देती थी. नाती की मौत के बाद भी वह उसे अपने से अलग नही होने देना चाहती थी. शायद यही वजह रही कि नानी करीब पांच दिनों तक नाती के शव के साथ रहीं और पानी से शव पोंछती रहीं. जब शव की बदबू फैली तो इस मामले का खुलासा हुआ.जी हां, यह हैरतअंगेज और मन को द्रवित कर देने वाला मामला उत्तरप्रदेश के बाराबंकी का है. फिलहाल आसपास के घरों के लोगों द्वारा बदबू आने की सूचना पर पहुंची. पुलिस ने नाती के शव को कब्जे में लेकर उसे पोस्टमार्टम के लिए भेजा है.
जानकारी के मुताबिक, नगर कोतवाली के मौहरिया मोहल्ले की नई बस्ती के एक घर से दो दिनों से आ रही बदबू ने मोहल्लेवासियों को परेशान कर दिया. रविवार को जब दुर्गंध ज्यादा फैली तो मुहल्ले वालों ने पुलिस को खबर दी. सीओ सिटी बीनू सिंह,नगर कोतवाल संजय मौर्या के साथ मौके पर पहुंची. पुलिस ने जब घर का दरवाजा खुलवाना चाहा तो वहां रह रही वृद्धा ने इसका विरोध किया. आखिरकार काफी समझाने बुझाने के बाद महिला ने दरवाजा खोला. घर के अंदर पहुंचते ही पुलिसकर्मी हैरान रह गए. घर के अंदर एक किशोर का सड़ा गला शव बिस्तर पर पड़ा था. भयंकर दुर्गंध आ रही थी.शव को पुलिस ने कब्जे में ले लिया.मौके पर पहुंची फील्ड यूनिट ने मौके से साक्ष्य इकट्ठा किये. महिला के पड़ोसियों ने बताया कि महिला किसी से बात नही करती थी. बाजार से खुद ही सामान लाती थी. वह अपने नाती को घर से बाहर नही निकलने देती थी. पड़ोसियों के मुताबिक नाती की मौत हो जाने के बाद महिला उसको कपड़े से रोजाना पोंछती थी.
मौत कैसे हुई पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार
नगर कोतवाल संजय मौर्य ने बताया कि तकरीबन 17 वर्षीय प्रियांशु पिछले 10 वर्षों से अपनी नानी के साथ रहता था.नानी की मानसिक स्थिति ठीक नहीं है. शव पांच दिन पुराना है. पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही क्लियर हो सकेगा कि मौत कैसे हुई.
मार्चरी पहुंचे मौसा और मौसी
मामले की जानकारी पर प्रियांशु के मौसी-मौसा लखीमपुर से बाराबंकी पहुंचे.मौसा कमलेश त्रिपाठी लखीमपुर में 112 में तैनात हैं. मौसी ममता ने बताया कि उसके पिता सत्यनारायण मूल रूप से लखीमपुर के निघासन के रहने वाले थे. सत्यनारायण आरपीएफ में तैनात थे. संडीला में उनकी तैनाती रही फिर बरेली में उनका ट्रांसफर हो गया. उसके बाद तकरीबन 10-12 वर्ष पहले उनका ट्रांसफर लखनऊ हो गया था. लखनऊ में नौकरी के दौरान ही उन्होंने बाराबंकी में घर ले लिया था और यहीं रहते थे. प्रियांशु के पिता राजीव भी लखीमपुर के रहने वाले थे. ममता ने बताया कि प्रियांशु के पिता राजीव और मां रजनी की मौत के बाद 5 वर्ष की उम्र से ही उसकी मां मिथलेश उसे अपने साथ रख रही थी. सत्यनारायण की मौत के बाद नानी और नाती घर मे अकेले थे.
मिथलेश की मानसिक स्थिति ठीक न होने के पीछे ममता ने जो वजह बताई वह किसी भी इंसान को द्रवित करने के लिए काफी है. दरअसल सत्यनारायण के दो बेटे और दो बेटियां ममता और रजनी थी. दो बेटे न जाने कहां लापता हो गए थे. ममता ने बताया कि इसी सदमे से उसकी मां यानी मिथलेश की मानसिक स्थिति ठीक नहीं रहती थी, शायद यही वजह थी कि उसकी मां प्रियांशु से खुद को अलग नहीं होने देती थी.