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त्रिपुरा में हिंसा पर सीपीएम ने की कार्रवाई की मांग, कहा प्रधानमंत्री नहीं देते कोई जवाब - त्रिपुरा में हिंसा पर सीपीएम

सीताराम येचुरी ने त्रिपुरा में हुई हिंसा को लेकर सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि इस संबंध में पीएम मोदी को लिखे गए पत्र का जवाब नहीं दिया गया है.

सीपीएम
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Published : Sep 14, 2021, 8:41 PM IST

नई दिल्ली : मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सीताराम येचुरी ने त्रिपुरा में हुई हिंसा और अराजकता पर केंद्र सरकार की दखलंदाजी और कार्रवाई की मांग को लेकर प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखा था लेकिन मंगलवार को येचुरी ने बताया कि एक हफ़्ते बीत जाने के बाद भी प्रधानमंत्री कार्यालय से जवाब आना तो दूर, एक स्वीकृति भी नहीं आई कि उनको पत्र मिला है.

बतौर सीपीएम त्रिपुरा में उनके कुल 44 पार्टी कार्यालयों को निशाना बनाया गया है जिसमें 4 कार्यालय बुल्डोजर से गिराए गए, 27 कार्यालयों को आग के हवाले कर दिया गया और 12 कार्यलयों में तोड़ फोड़ कर वहां से सामान लूटा गया है. 44 कार्यालयों में राज्य, जिला और अंचल स्तर के कार्यालय भी शामिल हैं.

सीताराम येचुरी का बयान

सीताराम येचुरी ने कहा कि इन सभी हमलों के समय जो लोग इसमें शामिल थे वह बीजेपी के झंडे भी लिये हुए दिख रहे थे और जय श्री राम के नारे लगा रहे थे. इन सबके बीच पुलिस भाजपा शासित सरकार की एजेंट की तरह काम कर रही थी और कई जगह पर तो हमलावरों को ही बचाने के प्रयास कर रही थी. जब किसी गैर बीजेपी शासित राज्य में कोई राजनीतिक हिंसा की घटना होती है तब पूरा केंद्रीय नेतृत्व सामने आता है और उस पर बोलते हैं लेकिन त्रिपुरा में हुई सिलसिलेवार घटनाओं पर केंद्रीय नेतृत्व की चुप्पी है. CPIM की तरफ से त्रिपुरा हिंसा पर एक वीडियो फ़िल्म भी जारी की गई है जिसमें हिंसक घटनाओं की सीसीटीवी फुटेज को भी दिखाया गया है.

त्रिपुरा में हुई घटना को पूर्व नियोजित बताते हुए येचुरी ने कहा कि राज्य में बीजेपी की सरकार अपने चुनावी वादों को पूरा करने में विफल रही है और लोगों में उनके प्रति असंतोष लगातार बढ़ रहा है. येचुरी ने मांग की है कि जिन लोगों की वीडियो में पहचान हो रही है उन पर तुरंत कानूनी कार्रवाई होनी चाहिये. जिन लोगों की संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया है उन्हें मुआवजे और घटनाओं में घायल लोगों के लिये भी मुआवजे की मांग सीपीएम नेता ने की है.

त्रिपुरा की घटना को एक राजनीतिक चुनौती बताते हुए येचुरी ने बीजेपी को चेतावनी दी और कहा कि इस तरह की घटनाओं को अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और राज्य की जनता बीजेपी की इस राजनीति के सामने घुटने नहीं टेक सकती.

पढ़ें :- त्रिपुरा में राजनीतिक हिंसा : भाजपा कार्यकर्ताओं पर तोड़फोड़ व आगजनी के आरोप

मंगलवार को दिल्ली में त्रिपुरा के पूर्व मुख्यमंत्री और सीपीएम के वरिष्ठ नेता मानिक सरकार भी सीताराम येचुरी के साथ प्रेस कांफ्रेंस के दौरान मौजूद थे. मानिक सरकार ने कहा कि त्रिपुरा में भारत का संविधान काम नहीं करता है क्योंकि राज्य में लोकतांत्रिक नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं. स्थानिय चुनावों में 90% से ज्यादा सीटों पर विपक्षी पार्टी के उम्मीदवारों को नामांकन तक नहीं भरने दिया गया. संसदीय लोकतंत्र के मुताबिक विपक्ष की भूमिका महत्वपूर्ण होती है लेकिन त्रिपुरा में विपक्ष को लगातार दबाने का प्रयास किया जा रहा है. 60 विधानसभा सीटों वाली त्रिपुरा में सीपीएम के कुल 16 विधायक हैं जिनमें से ज्यादातर विधायकों को उनके ही निर्वाचन क्षेत्र में प्रवेश नहीं करने दिया जाता है. मानिक सरकार ने स्वयं अपना उदाहरण देते हुए कहा कि उन्हें पिछले 42 महीने की भाजपा सरकार के दौरान उनके निर्वाचन क्षेत्र और राज्य के अन्य हिस्सों में कुछ कार्यक्रमो में शामिल होने से रोक दिया गया जबकि लोग उनका इंतजार करते रहे.

भाजपा ने त्रिपुरा जैसे छोटे राज्य को अपनी प्रयोगशाला बनाया है : मानिक सरकार
त्रिपुरा के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि भाजपा ने त्रिपुरा को अपनी प्रयोगशाला बनाया है जहां वह एक पार्टी की फासीवादी कार्यशैली का प्रयोग कर रहे हैं. त्रिपुरा की आबादी 40 लाख है और यह छोटा सा राज्य है लेकिन यदि वह त्रिपुरा में सफल हो जाते हैं तो इसी तरह की हिंसक राजनीति का प्रयोग वह अन्य राज्यों में भी करेंगे और अंततः पूरे देश में यह प्रयोग किया जाएगा. इसलिये यह केवल त्रिपुरा का मुद्दा नहीं बल्कि पूरे देश और उसके लोकतंत्र का मुद्दा है. देश के लोग यहां के लोकतांत्रिक मूल्यों से प्यार करते हैं और इसलिये उन्हें इसका विरोध करना चाहिये.

नई दिल्ली : मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सीताराम येचुरी ने त्रिपुरा में हुई हिंसा और अराजकता पर केंद्र सरकार की दखलंदाजी और कार्रवाई की मांग को लेकर प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखा था लेकिन मंगलवार को येचुरी ने बताया कि एक हफ़्ते बीत जाने के बाद भी प्रधानमंत्री कार्यालय से जवाब आना तो दूर, एक स्वीकृति भी नहीं आई कि उनको पत्र मिला है.

बतौर सीपीएम त्रिपुरा में उनके कुल 44 पार्टी कार्यालयों को निशाना बनाया गया है जिसमें 4 कार्यालय बुल्डोजर से गिराए गए, 27 कार्यालयों को आग के हवाले कर दिया गया और 12 कार्यलयों में तोड़ फोड़ कर वहां से सामान लूटा गया है. 44 कार्यालयों में राज्य, जिला और अंचल स्तर के कार्यालय भी शामिल हैं.

सीताराम येचुरी का बयान

सीताराम येचुरी ने कहा कि इन सभी हमलों के समय जो लोग इसमें शामिल थे वह बीजेपी के झंडे भी लिये हुए दिख रहे थे और जय श्री राम के नारे लगा रहे थे. इन सबके बीच पुलिस भाजपा शासित सरकार की एजेंट की तरह काम कर रही थी और कई जगह पर तो हमलावरों को ही बचाने के प्रयास कर रही थी. जब किसी गैर बीजेपी शासित राज्य में कोई राजनीतिक हिंसा की घटना होती है तब पूरा केंद्रीय नेतृत्व सामने आता है और उस पर बोलते हैं लेकिन त्रिपुरा में हुई सिलसिलेवार घटनाओं पर केंद्रीय नेतृत्व की चुप्पी है. CPIM की तरफ से त्रिपुरा हिंसा पर एक वीडियो फ़िल्म भी जारी की गई है जिसमें हिंसक घटनाओं की सीसीटीवी फुटेज को भी दिखाया गया है.

त्रिपुरा में हुई घटना को पूर्व नियोजित बताते हुए येचुरी ने कहा कि राज्य में बीजेपी की सरकार अपने चुनावी वादों को पूरा करने में विफल रही है और लोगों में उनके प्रति असंतोष लगातार बढ़ रहा है. येचुरी ने मांग की है कि जिन लोगों की वीडियो में पहचान हो रही है उन पर तुरंत कानूनी कार्रवाई होनी चाहिये. जिन लोगों की संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया है उन्हें मुआवजे और घटनाओं में घायल लोगों के लिये भी मुआवजे की मांग सीपीएम नेता ने की है.

त्रिपुरा की घटना को एक राजनीतिक चुनौती बताते हुए येचुरी ने बीजेपी को चेतावनी दी और कहा कि इस तरह की घटनाओं को अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और राज्य की जनता बीजेपी की इस राजनीति के सामने घुटने नहीं टेक सकती.

पढ़ें :- त्रिपुरा में राजनीतिक हिंसा : भाजपा कार्यकर्ताओं पर तोड़फोड़ व आगजनी के आरोप

मंगलवार को दिल्ली में त्रिपुरा के पूर्व मुख्यमंत्री और सीपीएम के वरिष्ठ नेता मानिक सरकार भी सीताराम येचुरी के साथ प्रेस कांफ्रेंस के दौरान मौजूद थे. मानिक सरकार ने कहा कि त्रिपुरा में भारत का संविधान काम नहीं करता है क्योंकि राज्य में लोकतांत्रिक नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं. स्थानिय चुनावों में 90% से ज्यादा सीटों पर विपक्षी पार्टी के उम्मीदवारों को नामांकन तक नहीं भरने दिया गया. संसदीय लोकतंत्र के मुताबिक विपक्ष की भूमिका महत्वपूर्ण होती है लेकिन त्रिपुरा में विपक्ष को लगातार दबाने का प्रयास किया जा रहा है. 60 विधानसभा सीटों वाली त्रिपुरा में सीपीएम के कुल 16 विधायक हैं जिनमें से ज्यादातर विधायकों को उनके ही निर्वाचन क्षेत्र में प्रवेश नहीं करने दिया जाता है. मानिक सरकार ने स्वयं अपना उदाहरण देते हुए कहा कि उन्हें पिछले 42 महीने की भाजपा सरकार के दौरान उनके निर्वाचन क्षेत्र और राज्य के अन्य हिस्सों में कुछ कार्यक्रमो में शामिल होने से रोक दिया गया जबकि लोग उनका इंतजार करते रहे.

भाजपा ने त्रिपुरा जैसे छोटे राज्य को अपनी प्रयोगशाला बनाया है : मानिक सरकार
त्रिपुरा के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि भाजपा ने त्रिपुरा को अपनी प्रयोगशाला बनाया है जहां वह एक पार्टी की फासीवादी कार्यशैली का प्रयोग कर रहे हैं. त्रिपुरा की आबादी 40 लाख है और यह छोटा सा राज्य है लेकिन यदि वह त्रिपुरा में सफल हो जाते हैं तो इसी तरह की हिंसक राजनीति का प्रयोग वह अन्य राज्यों में भी करेंगे और अंततः पूरे देश में यह प्रयोग किया जाएगा. इसलिये यह केवल त्रिपुरा का मुद्दा नहीं बल्कि पूरे देश और उसके लोकतंत्र का मुद्दा है. देश के लोग यहां के लोकतांत्रिक मूल्यों से प्यार करते हैं और इसलिये उन्हें इसका विरोध करना चाहिये.

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