पटना: माकपा की पोलित ब्यूरो सदस्य सुभाषिनी अली ने पटना में ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए मोदी सरकार की मंशा पर सवाल उठाया है. उन्होंने कहा कि महिला आरक्षण का मैं समर्थक हूं लेकिन मुझे केंद्र सरकार की मंशा पर संदेह है. महिलाओं को आरक्षण का लाभ कब तक मिलेगा, यह किसी को भी पता नहीं है. इन लोगों ने जनगणना और परिसीमन की शर्तें लगा दी है. हमें तो लगता है कि 2029 लोकसभा चुनाव तक भी महिलाओं को आरक्षण का लाभ नहीं मिल पाएगा.
"ये आरक्षण बिल पास तो हो गया है लेकिन ये अभी लागू होने वाला नहीं है. कब तक लागू होगा, कोई नहीं कह सकता. 2024 में तो लागू नहीं ही होगा 2029 में भी इसका होना मुश्किल होगा, क्योंकि इसको जबरदस्ती परिसीमन और जनगणना के साथ जोड़ दिया है. मैं भारत की महिलाओं और प्रजातांत्रिक लोगों से कहूंगी कि अगर आपको इसको लागू कराना है तो इस सरकार को हटाइये, दूसरी सरकार लाइये"- सुभाषिनी अली, पोलित ब्यूरो सदस्य, माकपा
महिला आरक्षण पर ओबीसी कोटा की मांग: सुभाषिनी अली ने कहा कि विधानसभा और लोकसभा में 27 परसेंट से ज्यादा ओबीसी पहुंच चुके हैं. होना यह चाहिए कि एक तिहाई आरक्षण में एक तिहाई हिस्सा ओबीसी की महिलाओं को मिलना चाहिए. ओबीसी समुदाय से आने वाले नेताओं से आपको पूछना चाहिए कि वह एक तिहाई महिलाओं को टिकट क्यों नहीं देते हैं.
वन नेशन वन इलेक्शन पर क्या बोलीं?: वन नेशन वन इलेक्शन के सवाल पर सुहासिनी ने कहा कि वन नेशन वन इलेक्शन उनके जुमले हैं. बीजेपी ही तमाम राज्यों में सरकार गिराती है और बनाती है. अब ऐसे में चुनाव नहीं होंगे तो सरकार कैसे बनेगी. वन नेशन वन इलेक्शन कानून बना तो कई राज्यों में जम्मू कश्मीर जैसी स्थिति हो जाएगी. वहां कब चुनाव हुए थे और कब चुनाव होंगे, यह किसी को पता नहीं है.
महिला आरक्षण बिल दोनों सदनों से पास: आपको बताएं कि महिलाओं के लिए आरक्षण का रास्ता साफ हो गया है. विषेष सत्र के दौरान लोकसभा और राज्यसभा में महिला आरक्षण बिल को मंजूरी मिल चुकी है. महिलाओं की 27 साल पुरानी मांग पूरी होती दिख रही है. आने वाले समय में लोकसभा और तमाम राज्यों की विधानसभा में महिलाओं के लिए 33 फीसदी सीटें रिजर्व हो जाएंगी. हालांकि आरजेडी-कांग्रेस समेत कई पार्टियां पिछड़ी जाति की महिलाओं के आरक्षण के अंदर आरक्षण की मांग कर रही हैं.