नई दिल्ली : दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण के खतरे को लेकर शुक्रवार को केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) ने लोगों को घरों से बाहर जाने से बचने की सलाह दी. साथ ही सरकारी और निजी कार्यालयों को राष्ट्रीय राजधानी में गंभीर वायु प्रदूषण के कारण वाहनों के उपयोग को 30 प्रतिशत तक कम करने का निर्देश दिया.
सीपीसीबी ने एक आदेश में कहा कि दिन में पहले हुई एक समीक्षा बैठक में यह देखा गया कि 18 नवंबर तक रात के दौरान कम हवाओं के कारण प्रदूषकों के छितराने के लिए मौसम संबंधी स्थितियां अत्यधिक प्रतिकूल रहेंगी.
दरअसल ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) पर उप-समिति की सातवीं बैठक शुक्रवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बुलाई गई थी. बैठक की अध्यक्षता केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के सदस्य सचिव और उप-समिति के अध्यक्ष डॉ. प्रशांत गर्गव ने की, जिसके बाद ये निर्देश दिए गए.
दिल्ली में 24 घंटे का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) शाम चार बजे तक 471 दर्ज किया गया, जो इस मौसम में अब तक का सबसे खराब है. गुरुवार को यह 411 था. शाम चार बजे तक फरीदाबाद में एक्यूआई 460, गाजियाबाद में 486, ग्रेटर नोएडा में 478, गुरुग्राम में 448 और नोएडा में 488 दर्ज किया गया जो गंभीर श्रेणी में था.
उल्लेखनीय है कि एक्यूआई शून्य से 50 के बीच 'अच्छा', 51 से 100 के बीच 'संतोषजनक', 101 से 200 के बीच 'मध्यम', 201 से 300 के बीच 'खराब', 301 से 400 के बीच 'बेहद खराब' और 401 से 500 के बीच 'गंभीर' माना जाता है.
सीपीसीबी ने कहा, 'सरकारी और निजी कार्यालयों और अन्य प्रतिष्ठानों को सलाह दी जाती है कि वे वाहन के उपयोग को कम से कम 30 प्रतिशत (घर से काम करके, कार-पूलिंग, बाहरी गतिविधियों को सीमित करके, आदि) तक कम करें.'
सीपीसीबी ने कहा कि कार्यान्वयन एजेंसियों को, उचित स्तर पर की गई कार्रवाइयों की बारीकी से निगरानी करनी चाहिए. इसके साथ ही प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों और संबंधित समितियों को दैनिक रिपोर्ट प्रस्तुत करनी चाहिए जो वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) और सीपीसीबी को रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी.
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उसने कहा, 'संबंधित एजेंसियों को जीआरएपी (श्रेणीबद्ध प्रतिक्रिया कार्य योजना) के अनुसार 'आपातकालीन' श्रेणी के तहत उपायों के कार्यान्वयन के लिए पूरी तरह से तैयार रहना चाहिए.'