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भारत में कोविड 19 के कारण हाथ स्वच्छ रखने का चलन बढ़ा : यूनिसेफ - Covid19 increased hand hygiene

यूनीसेफ की एक रिपोर्ट के मुताबिक Covid19 की वजह से अन्य सहयोगी संगठनों और सरकार की ओर से किए गए कारगर प्रयासों से भारत में हाथों की स्वच्छता में काफी सुधार हुआ है. भारत में हाथ धोने की पहुंच और अभ्यास में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है. वरिष्ठ संवाददाता गौतम देबराय की रिपोर्ट.

हाथ स्वच्छ रखने का चलन बढ़ा
हाथ स्वच्छ रखने का चलन बढ़ा
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Published : Oct 16, 2021, 6:20 PM IST

नई दिल्ली : यूनिसेफ और डब्ल्यूएचओ से समर्थित संयुक्त निगरानी कार्यक्रम 2020 के अनुसार 30 प्रतिशत से अधिक भारतीयों के पास घर पर पानी और साबुन से हाथ धोने की सुविधा नहीं है. लगभग आधे स्कूलों में भी इसी तरह की कमी है.

यूनिसेफ के मुताबिक ' हाथ धोने की पहुंच और अभ्यास को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण लाभ विशेष रूप से पिछले दो वर्षों में हुआ है. कोविड 19 से मुकाबला करने के लिए सरकार के नेतृत्व में जो प्रयास शुरू हुए उसके बाद इसमें उल्लेखनीय वृद्धि हुई है. हालांकि बड़ी आबादी, विविधता को देखते हुए इसके लिए निरंतर प्रयास की आवश्यकता है. देश में बड़े निवेश की जरूरत है.'

'ईटीवी भारत' से बात करते हुए, राष्ट्रीय जल मिशन के अतिरिक्त सचिव और मिशन निदेशक, जी अशोक कुमार ने कहा कि भारत ने वास्तव में हाथ की स्वच्छता और हाथ धोने की पहुंच में जबरदस्त सफलता हासिल की है.

कुमार ने कहा, 'यह एक फैक्ट है कि हाथ धोने की पहुंच और अभ्यास के बारे में लोगों की जागरूकता कोविड-19 महामारी के कारण काफी बढ़ गई है.' कुमार ने कहा कि जब से देश में महामारी शुरू हुई है, तब से सरकार ने भी कई जागरूकता पहलों को अपनाया है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने हर घर में पानी उपलब्ध कराने के लिए कदम उठाए हैं.

भारत सरकार ने अगस्त 2019 से राज्यों के साथ साझेदारी में जल जीवन मिशन (JJM) की शुरुआत की है. 2024 तक देश के प्रत्येक ग्रामीण घर में नल जल आपूर्ति का प्रयास किया जा रहा है. इस पर करीब 3.60 लाख करोड़ रुपये खर्च होंगे. जिसमें केंद्र की ओर से 2.08 लाख करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं. केंद्र सरकार ने दो प्रमुख राष्ट्रीय कार्यक्रमों, स्वच्छ भारत मिशन और जल जीवन मिशन के तहत जल स्वच्छता और स्वच्छता (WASH) क्षेत्र में भारी निवेश किया है.

यूनिसेफ ने कहा कि एक तकनीकी विशेषज्ञ के रूप में वह केंद्र और राज्य सरकार के साथ काम कर रहा है ताकि संस्थानों और सार्वजनिक स्थानों पर हाथ धोने के स्टेशन (हैंड टच फ्री) स्थापित किए जा सकें. कोविड 19 से मुकाबला करने के लिए हाथ को स्वच्छ रहने पर जोर दिया जा सके. विशेष रूप से साबुन से हाथ धोने के लिए.

जानिए यूनिसेफ की रिपोर्ट में क्या
यूनिसेफ ने कहा कि वैश्विक स्तर पर 10 में से तीन लोगों या 2.3 अरब लोगों के पास घर पर उपलब्ध पानी और साबुन से हाथ धोने की सुविधा नहीं है. कम विकसित देशों में स्थिति सबसे खराब है और वहां 10 में से छह से अधिक लोगों के पास बुनियादी तौर पर हाथ की स्वच्छता को लेकर सुविधा नहीं है.

नवीनतम अनुमानों के अनुसार, दुनिया भर में पांच में से दो स्कूलों में पानी और साबुन के साथ बुनियादी स्वच्छता सेवाएं नहीं हैं, जिससे 81.8 करोड़ छात्र प्रभावित होते हैं, जिनमें से 46.2 करोड़ बिना किसी सुविधा के स्कूलों में जा रहे हैं. सबसे कम विकसित देशों में, 10 में से सात स्कूलों में बच्चों के हाथ धोने के लिए कोई जगह नहीं है.

दुनिया भर में एक तिहाई स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं में देखभाल के बिंदुओं पर हाथ की स्वच्छता की सुविधा नहीं है, जहां रोगी, स्वास्थ्य देखभाल कार्यकर्ता और उपचार में रोगी के साथ संपर्क शामिल है.

पढ़ें- कोविड-19 से मुकाबले के लिए 75 फीसदी लोग धो रहे हाथ : सर्वे

नई दिल्ली : यूनिसेफ और डब्ल्यूएचओ से समर्थित संयुक्त निगरानी कार्यक्रम 2020 के अनुसार 30 प्रतिशत से अधिक भारतीयों के पास घर पर पानी और साबुन से हाथ धोने की सुविधा नहीं है. लगभग आधे स्कूलों में भी इसी तरह की कमी है.

यूनिसेफ के मुताबिक ' हाथ धोने की पहुंच और अभ्यास को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण लाभ विशेष रूप से पिछले दो वर्षों में हुआ है. कोविड 19 से मुकाबला करने के लिए सरकार के नेतृत्व में जो प्रयास शुरू हुए उसके बाद इसमें उल्लेखनीय वृद्धि हुई है. हालांकि बड़ी आबादी, विविधता को देखते हुए इसके लिए निरंतर प्रयास की आवश्यकता है. देश में बड़े निवेश की जरूरत है.'

'ईटीवी भारत' से बात करते हुए, राष्ट्रीय जल मिशन के अतिरिक्त सचिव और मिशन निदेशक, जी अशोक कुमार ने कहा कि भारत ने वास्तव में हाथ की स्वच्छता और हाथ धोने की पहुंच में जबरदस्त सफलता हासिल की है.

कुमार ने कहा, 'यह एक फैक्ट है कि हाथ धोने की पहुंच और अभ्यास के बारे में लोगों की जागरूकता कोविड-19 महामारी के कारण काफी बढ़ गई है.' कुमार ने कहा कि जब से देश में महामारी शुरू हुई है, तब से सरकार ने भी कई जागरूकता पहलों को अपनाया है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने हर घर में पानी उपलब्ध कराने के लिए कदम उठाए हैं.

भारत सरकार ने अगस्त 2019 से राज्यों के साथ साझेदारी में जल जीवन मिशन (JJM) की शुरुआत की है. 2024 तक देश के प्रत्येक ग्रामीण घर में नल जल आपूर्ति का प्रयास किया जा रहा है. इस पर करीब 3.60 लाख करोड़ रुपये खर्च होंगे. जिसमें केंद्र की ओर से 2.08 लाख करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं. केंद्र सरकार ने दो प्रमुख राष्ट्रीय कार्यक्रमों, स्वच्छ भारत मिशन और जल जीवन मिशन के तहत जल स्वच्छता और स्वच्छता (WASH) क्षेत्र में भारी निवेश किया है.

यूनिसेफ ने कहा कि एक तकनीकी विशेषज्ञ के रूप में वह केंद्र और राज्य सरकार के साथ काम कर रहा है ताकि संस्थानों और सार्वजनिक स्थानों पर हाथ धोने के स्टेशन (हैंड टच फ्री) स्थापित किए जा सकें. कोविड 19 से मुकाबला करने के लिए हाथ को स्वच्छ रहने पर जोर दिया जा सके. विशेष रूप से साबुन से हाथ धोने के लिए.

जानिए यूनिसेफ की रिपोर्ट में क्या
यूनिसेफ ने कहा कि वैश्विक स्तर पर 10 में से तीन लोगों या 2.3 अरब लोगों के पास घर पर उपलब्ध पानी और साबुन से हाथ धोने की सुविधा नहीं है. कम विकसित देशों में स्थिति सबसे खराब है और वहां 10 में से छह से अधिक लोगों के पास बुनियादी तौर पर हाथ की स्वच्छता को लेकर सुविधा नहीं है.

नवीनतम अनुमानों के अनुसार, दुनिया भर में पांच में से दो स्कूलों में पानी और साबुन के साथ बुनियादी स्वच्छता सेवाएं नहीं हैं, जिससे 81.8 करोड़ छात्र प्रभावित होते हैं, जिनमें से 46.2 करोड़ बिना किसी सुविधा के स्कूलों में जा रहे हैं. सबसे कम विकसित देशों में, 10 में से सात स्कूलों में बच्चों के हाथ धोने के लिए कोई जगह नहीं है.

दुनिया भर में एक तिहाई स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं में देखभाल के बिंदुओं पर हाथ की स्वच्छता की सुविधा नहीं है, जहां रोगी, स्वास्थ्य देखभाल कार्यकर्ता और उपचार में रोगी के साथ संपर्क शामिल है.

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