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भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए लंबे सामय तक ग्रहण बना रहेगा कोरोना : रिपोर्ट

कोरोना ने पूरी दुनिया को प्रभावित किया, लेकिन इसकी वजह से एशिया में भारत और फिलीपींस की अर्थव्यवस्थाएं बुरी तरह से प्रभावित होंगी. यह बातें लंदन की ऑक्सफोर्ड इकोनॉमिक्स (Oxford Economics) की एक रिपोर्ट में कही गई हैं. पढ़िए ईटीवी भारत के वरिष्ठ संवाददाता कृष्णानंद त्रिपाठी की रिपोर्ट..

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Published : Jul 28, 2021, 10:27 PM IST

भारतीय अर्थव्यवस्था
भारतीय अर्थव्यवस्था

नई दिल्ली : कोविड की वजह से एशिया में भारत और फिलीपींस की अर्थव्यवस्थाएं बुरी तरह से प्रभावित होंगी, क्योंकि अनुमान के मुताबिक यहां पर जीडीपी 2025 तक 700 बिलियन डॉलर या 2.9 फीसदी से कम होने की उम्मीद है. यह बातें लंदन की ऑक्सफोर्ड इकोनॉमिक्स (Oxford Economics) की एक रिपोर्ट में कही गई हैं.

रिपोर्ट में कहा गया है कि 13 देशों पर कोविड -19 का प्रभाव काफी भिन्न होगा क्योंकि ताइवान, हांगकांग और न्यूजीलैंड की अर्थव्यवस्थाएं पूर्व-महामारी अनुमान की तुलना में 2025 में उच्च स्तर पर होंगी.

दूसरी ओर, भारत, फिलीपींस और इंडोनेशिया की अर्थव्यवस्थाओं को सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि में एक बड़ा स्थायी नुकसान होगा. ऑक्सफोर्ड इकोनॉमिक्स के वरिष्ठ एशिया अर्थशास्त्री सियान फेनर ने कहा कि 2020 में जीडीपी में रिकॉर्ड गिरावट के बाद, अगले दो वर्षों में एशिया-प्रशांत क्षेत्र में 6 फीसदी से अधिक की मजबूत रिकवरी होगी. बहरहाल, फेनर ने कहा, महामारी से उत्पादन में स्थायी नुकसान काफी बड़ा होगा क्योंकि रिपोर्ट के पूर्व-महामारी पूर्वानुमान की तुलना में क्षेत्र की जीडीपी लगभग 3 फीसदी कम हो जाएगी, लेकिन जीडीपी को आर्थिक नुकसान या स्थायी नुकसान की सीमा अलग-अलग होगी.

ताइवान की डीजीपी में होगी बढ़ोत्तरी

बहरहाल, फेनर ने कहा, महामारी से उत्पादन में स्थायी नुकसान काफी बड़ा होगा क्योंकि रिपोर्ट के पूर्व-महामारी पूर्वानुमान की तुलना में क्षेत्र की जीडीपी लगभग 3 फीसदी कम हो जाएगी, लेकिन जीडीपी को आर्थिक नुकसान या स्थायी नुकसान की सीमा अलग-अलग होगी. उन्होंने कहा कि हम अनुमान लगाते हैं कि ताइवान की जीडीपी पहले की तुलना में 7.6 फीसदी अधिक होगी. इसके विपरीत, भारत और फिलीपींस में सकल घरेलू उत्पाद का स्तर 8 फीसदी से कम होने का अनुमान है.

रिपोर्ट में विश्लेषण की गई प्रमुख एशियाई अर्थव्यवस्थाओं के बीच जीडीपी वृद्धि के रुझान में असमानता के पीछे के क्षेत्रों को भी समझाया गया है, क्योंकि ताइवान और वियतनाम को बढ़ते इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात से लाभ होगा, फलस्वरूप उच्च मांग से उच्च निवेश और उत्पादकता को बढ़ावा मिलेगा. इसके विपरीत, भारत और फिलीपींस निवेश में तेज गिरावट और उच्च बेरोजगारी दर को देखते हुए विशेष रूप से बड़े नुकसान होने की संभावना है.

हालांकि इस क्षेत्र के विभिन्न देशों के सकल घरेलू उत्पाद पर कोविड -19 महामारी के प्रभाव का आकलन करने के लिए एक आर्थिक स्कोरकार्ड तैयार किया और 16 चक्रीय और संरचनात्मक संकेतकों का विश्लेषण करने के साथ उन्हें पांच श्रेणियों में व्यवस्थित किया. इसमें प्रभावित वर्ष में गतिविधि में गिरावट, सकल घरेलू उत्पाद में कमी के अलावा स्वास्थ्य व अर्थव्यवस्था की संरचना पर अध्ययन शामिल है. इसमें कहा गया है कि महामारी की वजह से आने वाले वर्षों में होने वाली बढ़ोत्तरी में गिरावट होने की संभावना है.

ताइवान, चीन, वियतनाम, सिंगापुर ने कोरोना संक्रमण को जल्दी रोका

फेनर ने रिपोर्ट में लिखा है कि एक तरफ जहां ताइवान बेहतर प्रदर्शन कर रहा है वहीं भारत और फिलीपींस नुकसान को कम करने के लिए कोविड से पहले की स्थिति में वापसी के लिए कई समस्याओं से जूझ रहे हैं. वहीं ताइवान, चीन, वियतनाम, सिंगापुर जैसे देश जो पहले वर्ष में ही वायरस को जल्दी से रोकने में सक्षम थे, फलस्वरूप उन्होंने उच्च जीडीपी विकास दर को पाने में सफलता प्राप्त कर ली.

वहीं ताइवान, चीन, वियतनाम, सिंगापुर जैसे देश जो पहले वर्ष में ही वायरस को जल्दी से रोकने में सक्षम थे, जिसकी वजह से उन्होंने उच्च जीडीपी विकास दर हासिल कर ली. इसके अलावा रिपोर्ट में कहा गया है कि वास्तव में, पिछले साल कोविड -19 के प्रकोप की सफल रोकथाम ने ताइवान, वियतनाम, चीन और न्यूजीलैंड में गतिविधि में तेजी से सामान्यीकरण देखा, वहीं जीडीपी के साथ Q3 2020 तक पूर्व-कोविड -19 (Q4 2019) के स्तर पर वापस आ गया.

कोविड प्रभावित अर्थव्यवस्था को रोकने में विफलता

दूसरी ओर, रिपोर्ट के अनुसार, जो देश कोरोना वायरस को रोकने में विफल रहे और उन्होंने छोटे राजकोषीय प्रोत्साहन की भी घोषणा की, वे कोविड -19 वैश्विक महामारी के कारण बुरी तरह प्रभावित हुए. इसमें सबसे नीचे स्थान पर भारत, फिलीपींस और इंडोनेशिया हैं. महामारी ने जोर पकड़ने के बाद से तीनों ही देशों ने प्रकोप को रोकने के लिए काफी जद्दोजहद की है. रिपोर्ट में कहा गया है कि उस समय भारत और फिलीपींस दोनों में राजकोषीय गतिविधियां कम रहीं जिसकी वजह कड़े लॉकडाउन को लागू किया जाना था. हालांकि भारत में सरकार ने पिछले साल 20 लाख करोड़ रुपये के प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा की, जिसे एक आत्मनिर्भर भारत के रूप में जाना जाता है. वहीं सरकार के अनुसार, प्रोत्साहन देश के सकल घरेलू उत्पाद का 10 फीसदी से अधिक है, लेकिन कुछ अर्थशास्त्रियों ने कहा कि सकल घरेलू उत्पाद के प्रतिशत के रूप में वास्तविक वित्तीय खर्च सकल घरेलू उत्पाद का 1.2 फीसदी से 2.3 फीसदी कम था.

ऑक्सफोर्ड इकोनॉमिक्स की रिपोर्ट में भी भारत के सकल घरेलू उत्पाद के 1 फीसदी से थोड़ा अधिक आंका गया है.रिपोर्ट में कहा गया है कि निवेश कम होने के साथ ही कोरोना से सबसे बुरी तरह प्रभावित इन देशों में बेरोजगारी अधिक थी. इससे इतर फिलीपींस व दो अन्य देशों इंडोनेशिया और भारत ने थोड़ा बेहतर प्रदर्शन किया है, लेकिन इन दोनों देशों में निवेश और रोजगार भी काफी कम होने की उम्मीद है. रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन और सिंगापुर के बाहर अधिक संक्रामक कोरोनावायरस और कम टीकाकरण की दर के कारण कई लोग कोविड -19 की चपेट में आ गए. अपनी रिपोर्ट में, सियान फेनर ने चेतावनी दी कि यदि टीके भविष्य में कम प्रभावी साबित होते हैं, तो पूरे क्षेत्र में उत्पादन में नुकसान आधारभूत आंकड़े से दोगुना हो सकता है और 1.4 बिलियन के आंकड़े को छू सकता है.

नई दिल्ली : कोविड की वजह से एशिया में भारत और फिलीपींस की अर्थव्यवस्थाएं बुरी तरह से प्रभावित होंगी, क्योंकि अनुमान के मुताबिक यहां पर जीडीपी 2025 तक 700 बिलियन डॉलर या 2.9 फीसदी से कम होने की उम्मीद है. यह बातें लंदन की ऑक्सफोर्ड इकोनॉमिक्स (Oxford Economics) की एक रिपोर्ट में कही गई हैं.

रिपोर्ट में कहा गया है कि 13 देशों पर कोविड -19 का प्रभाव काफी भिन्न होगा क्योंकि ताइवान, हांगकांग और न्यूजीलैंड की अर्थव्यवस्थाएं पूर्व-महामारी अनुमान की तुलना में 2025 में उच्च स्तर पर होंगी.

दूसरी ओर, भारत, फिलीपींस और इंडोनेशिया की अर्थव्यवस्थाओं को सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि में एक बड़ा स्थायी नुकसान होगा. ऑक्सफोर्ड इकोनॉमिक्स के वरिष्ठ एशिया अर्थशास्त्री सियान फेनर ने कहा कि 2020 में जीडीपी में रिकॉर्ड गिरावट के बाद, अगले दो वर्षों में एशिया-प्रशांत क्षेत्र में 6 फीसदी से अधिक की मजबूत रिकवरी होगी. बहरहाल, फेनर ने कहा, महामारी से उत्पादन में स्थायी नुकसान काफी बड़ा होगा क्योंकि रिपोर्ट के पूर्व-महामारी पूर्वानुमान की तुलना में क्षेत्र की जीडीपी लगभग 3 फीसदी कम हो जाएगी, लेकिन जीडीपी को आर्थिक नुकसान या स्थायी नुकसान की सीमा अलग-अलग होगी.

ताइवान की डीजीपी में होगी बढ़ोत्तरी

बहरहाल, फेनर ने कहा, महामारी से उत्पादन में स्थायी नुकसान काफी बड़ा होगा क्योंकि रिपोर्ट के पूर्व-महामारी पूर्वानुमान की तुलना में क्षेत्र की जीडीपी लगभग 3 फीसदी कम हो जाएगी, लेकिन जीडीपी को आर्थिक नुकसान या स्थायी नुकसान की सीमा अलग-अलग होगी. उन्होंने कहा कि हम अनुमान लगाते हैं कि ताइवान की जीडीपी पहले की तुलना में 7.6 फीसदी अधिक होगी. इसके विपरीत, भारत और फिलीपींस में सकल घरेलू उत्पाद का स्तर 8 फीसदी से कम होने का अनुमान है.

रिपोर्ट में विश्लेषण की गई प्रमुख एशियाई अर्थव्यवस्थाओं के बीच जीडीपी वृद्धि के रुझान में असमानता के पीछे के क्षेत्रों को भी समझाया गया है, क्योंकि ताइवान और वियतनाम को बढ़ते इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात से लाभ होगा, फलस्वरूप उच्च मांग से उच्च निवेश और उत्पादकता को बढ़ावा मिलेगा. इसके विपरीत, भारत और फिलीपींस निवेश में तेज गिरावट और उच्च बेरोजगारी दर को देखते हुए विशेष रूप से बड़े नुकसान होने की संभावना है.

हालांकि इस क्षेत्र के विभिन्न देशों के सकल घरेलू उत्पाद पर कोविड -19 महामारी के प्रभाव का आकलन करने के लिए एक आर्थिक स्कोरकार्ड तैयार किया और 16 चक्रीय और संरचनात्मक संकेतकों का विश्लेषण करने के साथ उन्हें पांच श्रेणियों में व्यवस्थित किया. इसमें प्रभावित वर्ष में गतिविधि में गिरावट, सकल घरेलू उत्पाद में कमी के अलावा स्वास्थ्य व अर्थव्यवस्था की संरचना पर अध्ययन शामिल है. इसमें कहा गया है कि महामारी की वजह से आने वाले वर्षों में होने वाली बढ़ोत्तरी में गिरावट होने की संभावना है.

ताइवान, चीन, वियतनाम, सिंगापुर ने कोरोना संक्रमण को जल्दी रोका

फेनर ने रिपोर्ट में लिखा है कि एक तरफ जहां ताइवान बेहतर प्रदर्शन कर रहा है वहीं भारत और फिलीपींस नुकसान को कम करने के लिए कोविड से पहले की स्थिति में वापसी के लिए कई समस्याओं से जूझ रहे हैं. वहीं ताइवान, चीन, वियतनाम, सिंगापुर जैसे देश जो पहले वर्ष में ही वायरस को जल्दी से रोकने में सक्षम थे, फलस्वरूप उन्होंने उच्च जीडीपी विकास दर को पाने में सफलता प्राप्त कर ली.

वहीं ताइवान, चीन, वियतनाम, सिंगापुर जैसे देश जो पहले वर्ष में ही वायरस को जल्दी से रोकने में सक्षम थे, जिसकी वजह से उन्होंने उच्च जीडीपी विकास दर हासिल कर ली. इसके अलावा रिपोर्ट में कहा गया है कि वास्तव में, पिछले साल कोविड -19 के प्रकोप की सफल रोकथाम ने ताइवान, वियतनाम, चीन और न्यूजीलैंड में गतिविधि में तेजी से सामान्यीकरण देखा, वहीं जीडीपी के साथ Q3 2020 तक पूर्व-कोविड -19 (Q4 2019) के स्तर पर वापस आ गया.

कोविड प्रभावित अर्थव्यवस्था को रोकने में विफलता

दूसरी ओर, रिपोर्ट के अनुसार, जो देश कोरोना वायरस को रोकने में विफल रहे और उन्होंने छोटे राजकोषीय प्रोत्साहन की भी घोषणा की, वे कोविड -19 वैश्विक महामारी के कारण बुरी तरह प्रभावित हुए. इसमें सबसे नीचे स्थान पर भारत, फिलीपींस और इंडोनेशिया हैं. महामारी ने जोर पकड़ने के बाद से तीनों ही देशों ने प्रकोप को रोकने के लिए काफी जद्दोजहद की है. रिपोर्ट में कहा गया है कि उस समय भारत और फिलीपींस दोनों में राजकोषीय गतिविधियां कम रहीं जिसकी वजह कड़े लॉकडाउन को लागू किया जाना था. हालांकि भारत में सरकार ने पिछले साल 20 लाख करोड़ रुपये के प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा की, जिसे एक आत्मनिर्भर भारत के रूप में जाना जाता है. वहीं सरकार के अनुसार, प्रोत्साहन देश के सकल घरेलू उत्पाद का 10 फीसदी से अधिक है, लेकिन कुछ अर्थशास्त्रियों ने कहा कि सकल घरेलू उत्पाद के प्रतिशत के रूप में वास्तविक वित्तीय खर्च सकल घरेलू उत्पाद का 1.2 फीसदी से 2.3 फीसदी कम था.

ऑक्सफोर्ड इकोनॉमिक्स की रिपोर्ट में भी भारत के सकल घरेलू उत्पाद के 1 फीसदी से थोड़ा अधिक आंका गया है.रिपोर्ट में कहा गया है कि निवेश कम होने के साथ ही कोरोना से सबसे बुरी तरह प्रभावित इन देशों में बेरोजगारी अधिक थी. इससे इतर फिलीपींस व दो अन्य देशों इंडोनेशिया और भारत ने थोड़ा बेहतर प्रदर्शन किया है, लेकिन इन दोनों देशों में निवेश और रोजगार भी काफी कम होने की उम्मीद है. रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन और सिंगापुर के बाहर अधिक संक्रामक कोरोनावायरस और कम टीकाकरण की दर के कारण कई लोग कोविड -19 की चपेट में आ गए. अपनी रिपोर्ट में, सियान फेनर ने चेतावनी दी कि यदि टीके भविष्य में कम प्रभावी साबित होते हैं, तो पूरे क्षेत्र में उत्पादन में नुकसान आधारभूत आंकड़े से दोगुना हो सकता है और 1.4 बिलियन के आंकड़े को छू सकता है.

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