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कई टीकाकरण अभियानों पर पड़ी कोरोना की मार, आगामी चुनौतियों के लिए रहें तैयार : WHO

दुनियाभर में इन दिनों कोरोना टीकाकरण का अभियान चल रहा है लेकिन कोरोना का असर दुनियाभर में अन्य टीकाकरण अभियानों पर पड़ा है. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे लेकर आंकड़े जारी किए हैं. इसके असर और भविष्य की चुनौतियों को लेकर भी आगाह किया गया है. पढ़ें पूरी ख़बर

टीकाकरण अभियानों पर कोरोना का असर
टीकाकरण अभियानों पर कोरोना का असर
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Published : Apr 28, 2021, 11:56 AM IST

हैदराबाद: दुनियाभर में इन दिनों कोविड 19 महामारी को मात देने की होड़ लगी है. कई देशों ने इस महामारी के खिलाफ वैक्सीन भी इजाद की है और दुनिया के कई देशों में कोविड-19 टीकाकरण अभियान चल रहा है. भारत में भी दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण जारी है. कोविड-19 के चलते बिगड़े हुए हालात टीकाकरण की बदौलत बेहतर हो रहे हैं, हालांकि लाखों बच्चों को जानलेवा बीमारियों का खतरा बना रहता है. यानि कोरोना के खिलाफ वैक्सीनेशन तो जोर शोर से हो रहा है लेकिन कोविड 19 के चलते दूसरे टीकाकरण अभियानों की रफ्तार कम कर दी है. वो भी तब जब दुनिया के कई देश और लाखों लोगों तक जीवन रक्षक टीके पहुंच ही नहीं पाते हैं.

हर बार की तरह विश्व टीकाकरण सप्ताह 2021 अप्रैल के आखिरी सप्ताह (24-30 अप्रैल) में मनाया जा रहा है. जिसके तहत टीके के जीवनरक्षक लाभ को मनाया जाता है. इस साल विश्व टीकाकरण सप्ताह की थीम 'टीके हमें करीब लाते हैं', का मकसद ये दिखाना है कि टीकाकरण कैसे हमें लोगों, लक्ष्यों और क्षणों से जोड़ता है, जो कि जीवनभर हर जगह, हर किसी के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करता है.

अन्य टीकाकरण अभियानों पर कोरोना का असर

विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक सर्वे के मुताबिक प्रगति के बावजूद साल 2020 में क्रियाशील देशों (37%) के एक तिहाई से अधिक लोगों के नियमित टीकाकरण सेवाओं में व्यवधान आ रहा है.

सामूहिक टीकाकरण अभियान भी बाधित हुआ है. नए आंकड़ों के मुताबिक 50 देशों में 60 जीवन रक्षक टीकाकरण अभियान स्थगित कर दिए गए हैं, जिसमें लगभग 228 मिलियन लोग है. इनमें से ज्यादातर बच्चों पर खसरा, पित्त ज्वर और पोलियो जैसी बीमारियों का खतरा है. प्रभावित देशों में से आधे से अधिक अफ्रीका महाद्वीप के देश हैं, जहां महत्वपूर्ण टीकाकरण सेवाएं लोगों की पहुंच से दूर हैं.

टीकाकरण कवरेज में अंतराल के कारण, हाल ही में कॉन्गो गणराज्य, पाकिस्तान और यमन समेत कई देशों में खसरे का प्रकोप हुआ है, इसके बढ़ने की भी संभावना है क्योंकि बच्चों की बढ़ती तादाद को जीवनरक्षक टीके नहीं मिल रहे, एजेंसियों ने चेतावनी दै ही कि ये प्रकोप वो इलाके या देश झेल रहे हैं जो पहले से ही संघर्ष की स्थितियों से जूझ रहे हैं और साथ ही साथ कोविड-19 को रोकने के लिए चल रहे उपायों से भी सेवा में व्यवधान आ रहे हैं.

टीके और अन्य उपकरणों की सप्लाई भी बच्चों के टीकाकरण के लिए जरूरी है. कोविड-19 महामारी की वजह से शुरुआत में आए व्यवधानों के कारण यूनिसेफ ने 2020 में 2.01 बिलियन वैक्सीन की खुराक दी, जबकि 2019 में ये आंकड़ा 2.29 बिलियन था.

नई वैश्विक टीकाकरण रणनीति

नई वैश्विक टीकाकरण रणनीति का लक्ष्य 50 मिलियन से अधिक जिंदगियां बचाने का है. इसका लक्ष्य बचपन से लेकर किशोरावस्था और बुढापे तक जीवन भर टीकाकरण है. अगर इसे पूरी तरह से लागू किया जाता है तो तकरीबन 50 मिलियन मौतों को कम किया जा सकेगा. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक इनमें से 75 फीसदी निम्न और निम्न मध्य आय वाले देश हैं

2030 तक के लक्ष्य

बचपन और किशोरावस्था में दिए गए आवश्यक टीकों के लिए 90 फीसदी कवरेज

टीकाकरण से पूरी तरह से दूर बच्चों की संख्या को आधा करना

नए या कम उपयोग वाले टीकों के पूर्ण 500 राष्ट्रीय या उप राष्ट्रीय परिचय - जैसे कि COVID-19, रोटावायरस या ह्यूमन पेपिलोमावायरस (HPV)

सभी टीकाकरण हितधारकों से तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है

विश्व नेताओं, वैश्विक स्वास्थ्य और विकास समुदाय को IA2030 (टीकाकरण एजेंडा 2030) के लिए स्पष्ट प्रतिबद्धताएं बनानी चाहिए और कमजोर, संघर्ष प्रभावित देशों के लिए निरंतर दृष्टिकोण के साथ मजबूत टीकाकरण प्रणालियों में निवेश करना चाहिए.

टीकाकरण एक प्रभावी स्वास्थ्य प्रणाली का महत्वपूर्ण तत्व है, महामारी की तैयारी और प्रतिक्रिया के केंद्र में होता है. टीकाकरण कई महामारियों के बोझ को रोकने के लिए महत्वपूर्ण है.

सभी देशों को महत्वाकांक्षी राष्ट्रीय टीकाकरण योजनाओं को विकसित और कार्यान्वित करना चाहिए जो IA2030 ढांचे के साथ चलें और सभी के लिए टीकाकरण सेवाओं को सुलभ बनाने के लिए निवेश बढ़ाएं.

सरकारों को देश की आबादी को ध्यान में रखते हुए टीके के अनुसंधान, नवाचार, विकास और वितरण के लिए निवेश बढ़ाना चाहिए.

दवा उद्योग और वैज्ञानिक, सरकारों और पूंजीदाताओं के साथ काम करते हुए वैक्सीन के अनुसंधान और विकास में लगातार तेजी लानी चाहिए, वैश्विक जरूरतों को पूरा करने के लिए सस्ते टीकों की निरंतर करें और अन्य बीमारियों के लिए कोविड-19 से सबक लें.

ये भी पढ़े: ये मामूली लक्षण हो सकते हैं कोरोना की निशानी, डॉक्टर से मिलें और बरतें सावधानियां

हैदराबाद: दुनियाभर में इन दिनों कोविड 19 महामारी को मात देने की होड़ लगी है. कई देशों ने इस महामारी के खिलाफ वैक्सीन भी इजाद की है और दुनिया के कई देशों में कोविड-19 टीकाकरण अभियान चल रहा है. भारत में भी दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण जारी है. कोविड-19 के चलते बिगड़े हुए हालात टीकाकरण की बदौलत बेहतर हो रहे हैं, हालांकि लाखों बच्चों को जानलेवा बीमारियों का खतरा बना रहता है. यानि कोरोना के खिलाफ वैक्सीनेशन तो जोर शोर से हो रहा है लेकिन कोविड 19 के चलते दूसरे टीकाकरण अभियानों की रफ्तार कम कर दी है. वो भी तब जब दुनिया के कई देश और लाखों लोगों तक जीवन रक्षक टीके पहुंच ही नहीं पाते हैं.

हर बार की तरह विश्व टीकाकरण सप्ताह 2021 अप्रैल के आखिरी सप्ताह (24-30 अप्रैल) में मनाया जा रहा है. जिसके तहत टीके के जीवनरक्षक लाभ को मनाया जाता है. इस साल विश्व टीकाकरण सप्ताह की थीम 'टीके हमें करीब लाते हैं', का मकसद ये दिखाना है कि टीकाकरण कैसे हमें लोगों, लक्ष्यों और क्षणों से जोड़ता है, जो कि जीवनभर हर जगह, हर किसी के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करता है.

अन्य टीकाकरण अभियानों पर कोरोना का असर

विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक सर्वे के मुताबिक प्रगति के बावजूद साल 2020 में क्रियाशील देशों (37%) के एक तिहाई से अधिक लोगों के नियमित टीकाकरण सेवाओं में व्यवधान आ रहा है.

सामूहिक टीकाकरण अभियान भी बाधित हुआ है. नए आंकड़ों के मुताबिक 50 देशों में 60 जीवन रक्षक टीकाकरण अभियान स्थगित कर दिए गए हैं, जिसमें लगभग 228 मिलियन लोग है. इनमें से ज्यादातर बच्चों पर खसरा, पित्त ज्वर और पोलियो जैसी बीमारियों का खतरा है. प्रभावित देशों में से आधे से अधिक अफ्रीका महाद्वीप के देश हैं, जहां महत्वपूर्ण टीकाकरण सेवाएं लोगों की पहुंच से दूर हैं.

टीकाकरण कवरेज में अंतराल के कारण, हाल ही में कॉन्गो गणराज्य, पाकिस्तान और यमन समेत कई देशों में खसरे का प्रकोप हुआ है, इसके बढ़ने की भी संभावना है क्योंकि बच्चों की बढ़ती तादाद को जीवनरक्षक टीके नहीं मिल रहे, एजेंसियों ने चेतावनी दै ही कि ये प्रकोप वो इलाके या देश झेल रहे हैं जो पहले से ही संघर्ष की स्थितियों से जूझ रहे हैं और साथ ही साथ कोविड-19 को रोकने के लिए चल रहे उपायों से भी सेवा में व्यवधान आ रहे हैं.

टीके और अन्य उपकरणों की सप्लाई भी बच्चों के टीकाकरण के लिए जरूरी है. कोविड-19 महामारी की वजह से शुरुआत में आए व्यवधानों के कारण यूनिसेफ ने 2020 में 2.01 बिलियन वैक्सीन की खुराक दी, जबकि 2019 में ये आंकड़ा 2.29 बिलियन था.

नई वैश्विक टीकाकरण रणनीति

नई वैश्विक टीकाकरण रणनीति का लक्ष्य 50 मिलियन से अधिक जिंदगियां बचाने का है. इसका लक्ष्य बचपन से लेकर किशोरावस्था और बुढापे तक जीवन भर टीकाकरण है. अगर इसे पूरी तरह से लागू किया जाता है तो तकरीबन 50 मिलियन मौतों को कम किया जा सकेगा. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक इनमें से 75 फीसदी निम्न और निम्न मध्य आय वाले देश हैं

2030 तक के लक्ष्य

बचपन और किशोरावस्था में दिए गए आवश्यक टीकों के लिए 90 फीसदी कवरेज

टीकाकरण से पूरी तरह से दूर बच्चों की संख्या को आधा करना

नए या कम उपयोग वाले टीकों के पूर्ण 500 राष्ट्रीय या उप राष्ट्रीय परिचय - जैसे कि COVID-19, रोटावायरस या ह्यूमन पेपिलोमावायरस (HPV)

सभी टीकाकरण हितधारकों से तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है

विश्व नेताओं, वैश्विक स्वास्थ्य और विकास समुदाय को IA2030 (टीकाकरण एजेंडा 2030) के लिए स्पष्ट प्रतिबद्धताएं बनानी चाहिए और कमजोर, संघर्ष प्रभावित देशों के लिए निरंतर दृष्टिकोण के साथ मजबूत टीकाकरण प्रणालियों में निवेश करना चाहिए.

टीकाकरण एक प्रभावी स्वास्थ्य प्रणाली का महत्वपूर्ण तत्व है, महामारी की तैयारी और प्रतिक्रिया के केंद्र में होता है. टीकाकरण कई महामारियों के बोझ को रोकने के लिए महत्वपूर्ण है.

सभी देशों को महत्वाकांक्षी राष्ट्रीय टीकाकरण योजनाओं को विकसित और कार्यान्वित करना चाहिए जो IA2030 ढांचे के साथ चलें और सभी के लिए टीकाकरण सेवाओं को सुलभ बनाने के लिए निवेश बढ़ाएं.

सरकारों को देश की आबादी को ध्यान में रखते हुए टीके के अनुसंधान, नवाचार, विकास और वितरण के लिए निवेश बढ़ाना चाहिए.

दवा उद्योग और वैज्ञानिक, सरकारों और पूंजीदाताओं के साथ काम करते हुए वैक्सीन के अनुसंधान और विकास में लगातार तेजी लानी चाहिए, वैश्विक जरूरतों को पूरा करने के लिए सस्ते टीकों की निरंतर करें और अन्य बीमारियों के लिए कोविड-19 से सबक लें.

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