पटना : बिहार में कोविड-19 का कहर लोगों पर कहर भरपा रहा है. पिछले साल बीमारी नई और तैयारी पूरी नहीं होने का बहाना सरकार के पास था, लेकिन एक साल के बाद भी लोगों को कोविड-19 से बचाने के लिए सरकार के पास संसाधन उपलब्ध नहीं हैं. इलाज के अभाव में लोग दम तोड़ रहे हैं. सरकार की लापरवाही पर अब कोर्ट ने भी संज्ञान लिया है. 17 अप्रैल को कोरोना संक्रमण से निटपने के लिए हो रही पूरी कार्रवाई का ब्यौरा सरकार से मांगा गया हैं.
कोरोना से निपटने में सरकार विफल
बिहार के सबसे बड़े पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल की बात हो या नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल की या फिर बिहार के किसी भी अन्य सरकारी अस्पताल का जिक्र हो, हर जगह बेबसी, लाचारी और सरकारी सिस्टम की दम तोड़ती व्यवस्था ने हर आम आदमी के दिल में वह डर पैदा कर दिया है, जिससे निजात पाना मुश्किल है. वह डर है कि अगर कोरोना की वजह से हालत गंभीर हुई तो किस अस्पताल का रुख किया जाएगा. किसी भी सरकारी अस्पताल में व्यवस्था संपूर्ण नहीं है.
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बजट सत्र में ही कांग्रेस की तरफ से विधान परिषद में सरकार से सर्वदलीय बैठक बुलाकर कोविड19 पर चर्चा की मांग की गई थी, लेकिन सरकार ने तब इसे हंसी में उड़ा दिया था. अगर सरकार पहले ही गंभीर हुई होती तो ऐसी हालत नहीं होती. पिछले एक साल से आखिर सरकार क्या कर रही है. बीमारी लोगों पर कहर ढा रही है और सरकार के पास ना तो ऑक्सीजन है और ना ही अस्पतालों में पर्याप्त संख्या में बेड.- राजेश राठौड़, कांग्रेस प्रवक्ता
एक साल में भी अधूरी तैयारियां
कोरोना के खिलाफ जंग की तैयारी को पुख्ता करने के लिए सरकार के पास पूरा एक साल का समय था, लेकिन सरकार का रवैया देखकर प्रतित होता है कि इस बार कोरोना को काफी हल्के में लिया गया. तभी तो बेड, अस्पताल, डॉक्टर, दवाइयां हर चीज की कमी से बिहार जूझ रहा है. सरकारी अस्पतालों में बेड की संख्या बढ़ाने की तैयारी तक में गंभीरता नहीं दिख रही. कोविड19 के लिए अलग से अस्पताल तक ना होना दुर्भाग्यपूर्ण है.
हमारे नेता प्रतिपक्ष ने सरकार को कई पर आगाह किया कि व्यवस्थाएं सुधारिए. अस्पतालों में बेड की संख्या बढ़ाइए, डॉक्टरों और स्टाफ की भर्ती कीजिए ताकि लोगों की परेशानी ना बढ़ें, लेकिन सरकार ने कभी इस ओर गंभीरता नहीं दिखाई. आज इसका खामियाजा आम लोगों को भुगतना पड़ रहा है.- शक्ति सिंह यादव, राजद प्रवक्ता
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शुरूआत से ही लापरवाह है तंत्र
ऑक्सीजन, वेंटिलेटर, दवा, डॉक्टर, पेरा मेडिकल स्टाफ और नर्स की संख्या आज तक दुरुस्त नहीं हो पाई है. अभी तो कोरोना से निपटने का वक्त है ऐसे में तैयारियों की बात करना बेमानी सी लगती है. संसाधनों के अभाव में लोग बेमौत मर रहे हैं.
महामारी का कहर और एक बार में इतनी बड़ी संख्या में लोगों के संक्रमण से स्वास्थ्य व्यवस्था पर अतिरिक्त भार पड़ा है. ऑक्सीजन की कमी से निपटने के लिए तमाम प्रयास किए गए हैं. अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी नहीं होने दी जाएगी, इसके लिए इंडस्ट्रियल उपयोग की बजाए मेडिकल उपयोग के लिए ऑक्सीजन की उपलब्धता बढ़ाने का निर्देश दिया गया है. बोकारो से लिक्विड ऑक्सीजन की सप्लाई बढ़ाई जा रही है.- डॉ सुनील कुमार, जदयू प्रवक्ता
विपक्ष हमलावर
कोरोना के बढ़ते मामलों ने विपक्ष को एक बार फिर से सरकार पर हमला करने का मौका दे दिया है. विपक्ष का आरोप है कि सरकार अपनी नाकामी छिपाने के लिए मरीजों और मरने वालों का गलत आंकड़ा पेश कर रही है. सरकार की नाकामी का खुलासा तो पहले ही हो चुका है, जब फर्जी मोबाइल नंबर डालकर कोरोना जांच का मामला कई जिलों में उठा था और सरकार को जवाब भी देना पड़ा.
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पिछले साल बिहार सरकार ने बढ़िया काम किया, जिसके कारण कोरोना बिहार में काफी कंट्रोल में रहा. इस बार जो नया वायरस है, वह काफी खतरनाक है, इसलिए लोगों से अपील करते हैं कि वह खुद सावधान रहें.- दानिश रिजवान, राष्ट्रीय प्रवक्ता, हम
पटना हाईकोर्ट ने सरकार को फटकारा
विपक्ष का कहना है कि अब हालात बेकाबू हुए हैं तो नीतीश कुमार की नींद खुली है और सर्वदलीय बैठक बुलाई गई है. इन सबके बीचे हाईकोर्ट ने भी सरकार को फटकारा है. कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों को लेकर गुरुवार को एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए पटना हाईकोर्ट ने भी राज्य सरकार को जमकर फटकार लगाई.
संक्रमण रफ्तार से सभी प्रभावित हो रहे हैं. सरकार जितनी दोषी है उतने ही दोषी हम लोग भी है. संक्रमित होने के बाद खुदको होम क्वारंटीन किजिए, जिससे संक्रमण ना फैले. अगर कोई खास इंजेक्शन या प्लाज्मा नहीं मिल रहा तो इसके लिए परेशान नहीं होना है. खुद को बचाइए घर में रहकर स्टीम लेकर हम कोरोनावायरस से मुक्ति पा सकते हैं. - मुकेश हिसारिया, सामाजिक कार्यकर्ता
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सरकार से मांगा गया ब्यौरा
पटना हाईकोर्ट ने बिहार सरकार को 17 अप्रैल तक कोरोना संक्रमण से निटपने के लिए हो रही पूरी कार्रवाई का ब्यौरा मांगा है. हाईकोर्ट ने अस्पतालों में बेड की संख्या बढ़ाने, प्राइवेट अस्पताल में इलाज की व्यवस्था पुख्ता करने और ऑक्सीजन सिलेंडर की संख्या बढ़ाने का निर्देश दिया है. इसके साथ ही जांच में इन्फेक्शन का ब्यौरा देने का आदेश भी पटना हाईकोर्ट ने दिया है.
ऑक्सीजन की कमी
बिहार में कई निजी अस्पतालों में भी बेड कोविड-19 का इलाज करने के लिए रिजर्व किए गए हैं, लेकिन स्थिति यह है कि उन मरीजों के लिए ऑक्सीजन पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं हैं. ऑक्सीजन की कमी का रोना रोते हुए निजी अस्पताल, मरीजों को भर्ती नहीं कर रहे और सरकार से ऑक्सीजन की पर्याप्त व्यवस्था की मांग कर रहे हैं ताकि पहले से भर्ती मरीजों की जान बचाई जा सके. इन सब के बीच गुरुवार को पटना डीएम को विशेष बैठक बुलानी पड़ी. पटना में तीन जगहों से ऑक्सीजन की सप्लाई होती है और इन तीनों जगहों पर डीएम ने मजिस्ट्रेट की तैनाती की है. ताकि ऑक्सीजन की उपलब्धता अस्पतालों में सुनिश्चित कराई जा सके.
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इलाज, दवाई और डॉक्टर पर 927 करोड़
स्वास्थ्य बजट में से वेतन और दूसरे जरूरी खर्च घटा दिए जाएं तो योजनाओं को लागू करने के लिए सरकार ने 6,927 करोड़ की राशि आवंटित की है. इनमें से भी लगभग छह हजार करोड़ सिर्फ भवन और निर्माण पर खर्च होने हैं. ऐसे में इलाज और दवाओं के मद में और मैन पावर बढ़ाने के काम के लिए सिर्फ 927 करोड़ बचते हैं.
बिहार में कोरोना
बिहार में कोरोना का दूसरा लहर तेजी से फैल रहा है. राज्य में बीते 24 घंटों में कोरोना संक्रमितों की संख्या 6000 के पार पहुंच गया है. वहीं, निजी और सरकारी अस्पतालों में संसधानों की कमी ने लोगों को खून के आंसू रुला दिया है, जिसको लेकर दर्जन भर से ज्यादा निजी अस्पताल में पटना के जिलाधिकारी को त्राहिमाम संदेश भेजा है.