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अदालत ने अनुसंधान के लिए खून के नमूने एकत्र करने पर आचार समिति से फैसला करने को कहा

केरल उच्च न्यायालय ने तिरुवनंतपुरम के सरकारी मेडिकल कॉलेज में संस्थागत आचार समिति को एक वैज्ञानिक की याचिका पर विचार करने का निर्देश दिया है.

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Published : Sep 14, 2021, 7:21 PM IST

कोच्चि : केरल उच्च न्यायालय में दाखिल याचिका में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों से बुखार से पीड़ित मरीजों के रक्त के नमूने एकत्र करने की अनुमति देने का अनुरोध किया गया है. ताकि संक्रामक बीमारियों की पहचान के लिए एक जांच किट विकसित की जा सके.

उच्च न्यायालय ने वैज्ञानिक से कहा कि वह समिति के समक्ष एक सप्ताह के भीतर आवश्यक विवरण और दस्तावेज प्रस्तुत करे. समिति को भी इन दस्तावेजों पर विचार करने और उसके बाद 10 दिन के भीतर सिफारिशें जारी करने का निर्देश दिया गया है.

अदालत ने राज्य सरकार से कहा है कि वह समिति से मिलने वाली सिफारिशों पर दो सप्ताह के भीतर उचित निर्णय ले. न्यायमूर्ति पी बी सुरेश कुमार ने इन निर्देशों के साथ डॉक्टर विल्स जनार्दन की याचिका का निपटारा कर दिया.

वैज्ञानिक ने बेकार हो चुके रक्त के नमूने एकत्र करने का अनुरोध सरकार द्वारा खारिज किए जाने के बाद अदालत का रुख किया. अदालत ने सरकार के रवैये पर पूछा कि अगर कोई कुछ नवोन्मेषी शोध कर रहा है तो आप अवरोधक क्यों बन रहे हैं? हमेशा यह विरोधी रवैया क्यों अपनाते हैं?

जनार्दन, टाइगर मोथ रोग की पहचान के लिए एक किट तैयार करना चाहते हैं और इसके लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों से रक्त के नमूने एकत्र करने की अनुमति चाहते थे. समान लक्षणों के कारण टाइगर मोथ बीमारी को कई बार डेंगू या चिकनगुनिया का मामला मान लिया जाता है.

यह भी पढ़ें-पदोन्नति में एससी और एसटी को आरक्षण देने के फैसले पर दोबारा सुनवाई नहीं : SC

अदालत ने अपने आदेश में उल्लेख किया कि डॉ जनार्दन जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद (बीआईआरएसी) की मदद से यह प्रयोग कर रहे हैं.

(पीटीआई-भाषा)

कोच्चि : केरल उच्च न्यायालय में दाखिल याचिका में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों से बुखार से पीड़ित मरीजों के रक्त के नमूने एकत्र करने की अनुमति देने का अनुरोध किया गया है. ताकि संक्रामक बीमारियों की पहचान के लिए एक जांच किट विकसित की जा सके.

उच्च न्यायालय ने वैज्ञानिक से कहा कि वह समिति के समक्ष एक सप्ताह के भीतर आवश्यक विवरण और दस्तावेज प्रस्तुत करे. समिति को भी इन दस्तावेजों पर विचार करने और उसके बाद 10 दिन के भीतर सिफारिशें जारी करने का निर्देश दिया गया है.

अदालत ने राज्य सरकार से कहा है कि वह समिति से मिलने वाली सिफारिशों पर दो सप्ताह के भीतर उचित निर्णय ले. न्यायमूर्ति पी बी सुरेश कुमार ने इन निर्देशों के साथ डॉक्टर विल्स जनार्दन की याचिका का निपटारा कर दिया.

वैज्ञानिक ने बेकार हो चुके रक्त के नमूने एकत्र करने का अनुरोध सरकार द्वारा खारिज किए जाने के बाद अदालत का रुख किया. अदालत ने सरकार के रवैये पर पूछा कि अगर कोई कुछ नवोन्मेषी शोध कर रहा है तो आप अवरोधक क्यों बन रहे हैं? हमेशा यह विरोधी रवैया क्यों अपनाते हैं?

जनार्दन, टाइगर मोथ रोग की पहचान के लिए एक किट तैयार करना चाहते हैं और इसके लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों से रक्त के नमूने एकत्र करने की अनुमति चाहते थे. समान लक्षणों के कारण टाइगर मोथ बीमारी को कई बार डेंगू या चिकनगुनिया का मामला मान लिया जाता है.

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अदालत ने अपने आदेश में उल्लेख किया कि डॉ जनार्दन जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद (बीआईआरएसी) की मदद से यह प्रयोग कर रहे हैं.

(पीटीआई-भाषा)

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