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जम्मू-कश्मीर : बकरीद पर कोरोना की मार, भेड़ व्यापारी परेशान

बकरीद के मौके पर श्रीनगर के बाजारों में जानवरों की काफी मांग रहती थी. लेकिन पिछले तीन साल से 5 अगस्त, 2019 के फैसले और महामारी के खिलाफ एहतियाती तौर पर लगाए गए लॉकडाउन के बाद से भेड़ व्यापारियों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है. इसी के चलते भेड़ की धुंबा नामक प्रजाति की बिक्री में भी भारी गिरावट आई है. यह प्रजाति भेड़ की सबसे महंगी प्रजाति कही जाती है, जिसके चुनिंदा खरीदार ही रहते है.

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Published : Jul 11, 2021, 11:09 AM IST

Updated : Jul 11, 2021, 1:50 PM IST

कश्मीर में मोटी पूंछ वाली भेड़ें
कश्मीर में मोटी पूंछ वाली भेड़ें

श्रीनगर : ईद-उल-अजहा (Eid-ul-Adha) यानी बकरीद के मौके पर जम्मू-कश्मीर की राजधानी श्रीनगर के बाजारों में बलि के जानवरों की काफी मांग रहती थी, लेकिन पिछले तीन साल से भेड़ व्यापारियों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है. यह स्थिति आंशिक रूप से 5 अगस्त, 2019 के अनुच्छेद 370 निरस्त करने के फैसले और महामारी के खिलाफ एहतियाती तौर पर लगाए गए लॉकडाउन के बाद की उत्पन्न हुई है.

देखें रिपोर्ट

इन सबके बावजूद घाटी के युवा अलग-अलग तरीकों से रोजी-रोटी कमाने की कोशिश कर रहे हैं. इनमें से एक श्रीनगर के काक सराय इलाके (Kak Sarai Area) के निवासी जुनैद भवानी (Junaid Bhawani) हैं. जुनैद का परिवार पिछले 25 सालों से मोटी पूंछ वाली भेड़ (धुंबा) पाल रहा है और फिर उसे श्रीनगर के बाजारों में बेचता है.

दिलचस्प बात यह है कि घाटी में इन जानवरों को पालने वाला यह अकेला परिवार है.

जुनैद ने कहा, इन भेड़ों के लिए चुनिंदा ग्राहक हैं क्योंकि वे इतने महंगे हैं और हर कोई इन्हें खरीद नहीं सकता है. हम पिछले 25 सालों से इन्हें पाल रहे हैं. इन्हें पालना आसान नहीं है.

उन्होंने कहा, इनके लिए घास, खाने वाला सामान और दवा सभी स्पेशल हैं और इन्हें दूसरे राज्यों से आयात करना पड़ता है. इन सबके बावजूद, हम इन वर्षों के दौरान अपनी कश्मीरी नस्ल को बढ़ाने में कामयाब रहे हैं, लेकिन इनके ज्यादा खरीदार नहीं हैं.

एक भेड़ की कीमत 1.20 लाख रुपये तक
जुनैद के अनुसार, इस प्रजाति की एक युवा भेड़ लगभग 35,000 रुपये में बिकती है, जबकि बलि के लिए यह 1,20,000 रुपये तक जाती है. वह कहते हैं, इस साल भी बाजार से ज्यादा उम्मीद नहीं है. लॉकडाउन की वजह से सभी को काफी नुकसान हुआ है.

श्रीनगर : ईद-उल-अजहा (Eid-ul-Adha) यानी बकरीद के मौके पर जम्मू-कश्मीर की राजधानी श्रीनगर के बाजारों में बलि के जानवरों की काफी मांग रहती थी, लेकिन पिछले तीन साल से भेड़ व्यापारियों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है. यह स्थिति आंशिक रूप से 5 अगस्त, 2019 के अनुच्छेद 370 निरस्त करने के फैसले और महामारी के खिलाफ एहतियाती तौर पर लगाए गए लॉकडाउन के बाद की उत्पन्न हुई है.

देखें रिपोर्ट

इन सबके बावजूद घाटी के युवा अलग-अलग तरीकों से रोजी-रोटी कमाने की कोशिश कर रहे हैं. इनमें से एक श्रीनगर के काक सराय इलाके (Kak Sarai Area) के निवासी जुनैद भवानी (Junaid Bhawani) हैं. जुनैद का परिवार पिछले 25 सालों से मोटी पूंछ वाली भेड़ (धुंबा) पाल रहा है और फिर उसे श्रीनगर के बाजारों में बेचता है.

दिलचस्प बात यह है कि घाटी में इन जानवरों को पालने वाला यह अकेला परिवार है.

जुनैद ने कहा, इन भेड़ों के लिए चुनिंदा ग्राहक हैं क्योंकि वे इतने महंगे हैं और हर कोई इन्हें खरीद नहीं सकता है. हम पिछले 25 सालों से इन्हें पाल रहे हैं. इन्हें पालना आसान नहीं है.

उन्होंने कहा, इनके लिए घास, खाने वाला सामान और दवा सभी स्पेशल हैं और इन्हें दूसरे राज्यों से आयात करना पड़ता है. इन सबके बावजूद, हम इन वर्षों के दौरान अपनी कश्मीरी नस्ल को बढ़ाने में कामयाब रहे हैं, लेकिन इनके ज्यादा खरीदार नहीं हैं.

एक भेड़ की कीमत 1.20 लाख रुपये तक
जुनैद के अनुसार, इस प्रजाति की एक युवा भेड़ लगभग 35,000 रुपये में बिकती है, जबकि बलि के लिए यह 1,20,000 रुपये तक जाती है. वह कहते हैं, इस साल भी बाजार से ज्यादा उम्मीद नहीं है. लॉकडाउन की वजह से सभी को काफी नुकसान हुआ है.

Last Updated : Jul 11, 2021, 1:50 PM IST
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