नई दिल्ली : आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के आबादी पर आए बयान पर सियासत तेज़ हो गई है. भागवत ने कहा था कि आबादी बढ़ाना और खाना सिर्फ एक पशु का काम है. समय-समय पर जनसंख्या नियंत्रण पर संसद के प्राइवेट मेंबर बिल के तहत सवाल उठाने वाले भाजपा के राज्यसभा सांसद राकेश सिन्हा ने मोहन भागवत के बयान का समर्थन करते हुए कहा है कि जनसंख्या नियंत्रण किसी भी देश के लिए और उसके संसाधनों के लिए बहुत जरूरी है.
ईटीवी भारत की वरिष्ठ संवाददाता अनामिका रत्ना से बात करते हुए उन्होंने कहा कि जनसंख्या नियंत्रण इसलिए आवश्यक है क्योंकि हम विस्फोटक स्थिति में पहुंच गए हैं. जो लोग इसके विरोध की बात करते हैं, वो 11 और 2 बच्चे अलग-अलग पैदा करते हैं और कुल मिलाकर आबादी 13 की होती है. बीजेपी सांसद राकेश सिन्हा ने कहा कि कुछ देशों में खासतौर पर विकसित देशों में जनसंख्या नियन्त्रण में होने की वजह से संसाधनों का भी उचित इस्तेमाल होता है और इस मुद्दे पर कुछ विकासशील देशों में भी महत्व दिया जा रहा है.
भाजपा सांसद राकेश सिन्हा ने कहा कि मोहन भागवत का कथन कुछ और था. दरअसल उन्होंने ये कहा था कि ये सर्वाइवल ऑफ फिटेस्ट है. यानि जो शक्तिशाली है, वही जीवित रहेगा. लेकिन यह मनुष्य पर लागू नहीं होता. यह जानवरों पर लागू होता है जो सिर्फ खाना खाते हैं और बच्चे पैदा करते हैं. इसमें जो भी सबसे शक्तिशाली होता है वो ही जीवित रहता है. जो मनुष्य कमजोर होता है, शक्तिशाली मनुष्य उसकी रक्षा करता है, इसलिए मुझे समझ में नहीं आता है वह अपने आप को पशु क्यों समझ रहे हैं.
सिन्हा ने कि मनुष्य और पशुओं के बीच का बुनियादी अंतर ये है कि मनुष्य चिंतन और सरोकारों के नज़रिये से पशु से अलग होता है. अखिलेश यादव के बयान पर जिसमें जनसंख्या नियन्त्रण की बात पर उन्होंने आपत्ति की थी, राकेश सिन्हा ने कहा कि कांग्रेस पार्टी भूल गई है कि उसी के शासन के दौरान 70 के दशक में जनसंख्या को विस्फोटक कहा गया था. उस समय कांग्रेस के स्वास्थ्य मंत्री थे एमएल फोतेदार, जिन्होंने जनसंख्या नियंत्रण के लिए कानून बनाने की बात कही थी. इसमें दो बच्चों की बात कही गई थी, मगर दृष्टिहीन कांग्रेस और विपक्ष दूरगामी राजनीति पर नहीं सोच रहे.
उन्होंने कहा कि जहां तक जनसंख्या पर कानून बनाने की बात है, दूसरी पार्टियों के जो बड़े नेता हैं, खास कर कांग्रेस के, वो भी जनसंख्या नियंत्रण चाहते हैं. लेकिन विपक्ष होने की वजह से मात्र विरोध करना और विपक्ष का साथ देना उनकी मजबूरी बन गई है. राकेश सिन्हा का कहना ये भी था कि कांग्रेस को देश हित में सोचना चाहिए और आने वाली पीढ़ी के फायदे की सोचना चाहिए, ताकि हमारा संसाधन लंबे समय तक हमारी पीढ़ियों के काम आता रहे.
राकेश सिन्हा के मुताबिक यूनिफॉर्म सिविल कोड भारतीय जनता पार्टी के मेनिफेस्टो में नहीं था, लेकिन हम इसका समर्थन करते रहे हैं और संविधान में रखे जाने की बात भी करते रहे हैं. जब यूरोप के देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू हो सकता है तो भारत में क्यों नहीं.
संसदीय और मर्यादित भाषाओं को लेकर बनाई गई लिस्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए बीजेपी सांसद ने कहा कि संसदीय जनतंत्र तभी सफल होता है जब हम मर्यादा में रहें और कानून बनाते समय और नीतियों पर बहस करते समय भाषा और शब्दों की मर्यादा बनी रहे. साथ ही व्यवहार की मर्यादा भी होनी चाहिए जो संसदीय जनतंत्र में जरूरी होता है और संसदीय जनतंत्र का प्रभाव बुलेट से नहीं बल्कि बोली से होता है. सोशल मीडिया के शब्दों को संसद में इस्तेमाल करना बिल्कुल ही गलत है और संसदीय मर्यादा के खिलाफ है.
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