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Consumer Disputes Redressal Commission: गर्भवती महिला की चिकित्सा में लापरवाही के चलते डॉक्टर पर लगा 11 लाख का जुर्माना

कर्नाटक की धारवाड़ जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने एक डॉक्टर पर 11 लाख 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है. आरोप था कि डॉक्टर ने एक माता-पिता को यह जानकारी नहीं दी थी कि गर्भ में पल रहा बच्चा विकलांग है और चिकित्सा प्रक्रिया के दौरान उसने लापरवाही दिखाई.

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Published : Feb 8, 2023, 7:44 PM IST

Doctor fined 11 lakhs
डॉक्टर पर लगा 11 लाख का जुर्माना

धारवाड़: कर्नाटक की धारवाड़ जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने एक डॉक्टर को 11 लाख 10 हजार रुपये जुर्माना भरने का आदेश जारी किया है, जिसने एक गर्भवती महिला की स्वास्थ्य जांच के दौरान माता-पिता को इस बात की जानकारी नहीं दी कि गर्भ में पल रहा बच्चा विकलांग है और इस मामले में लापरवाही दिखाई. भाविकट्टी, श्रीनगर, धारवाड़ के निवासी परशुराम घाटगे ने आयोग का दरवाजा खटखटाते हुए आरोप लगाया था कि उनकी पत्नी प्रीति, जो गर्भवती थी, उसने तीसरे महीने से नौवें महीने तक धारवाड़ की एक प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. सौभाग्य कुलकर्णी द्वारा जांच और इलाज कराया था.

डॉक्टर ने 12 जुलाई 2018 से 8 जनवरी 2019 तक 5 बार स्कैन किया था. लेकिन उन्होंने बताया कि गर्भ में बच्चे का विकास अच्छा है और बच्चा स्वस्थ है. बाद में जब वह 9वें महीने में उसी डॉक्टर के पास जांच के लिए गए तो उसने सिजेरियन डिलीवरी कराने की सलाह दी. लेकिन आर्थिक दिक्कतों के चलते उनकी पत्नी की डिलीवरी 31 जनवरी 2019 को धारवाड़ एसडीएम अस्पताल में हुई. डिलीवरी के दौरान एक कन्या का जन्म हुआ, जिसके दोनों पैर अपंग थे.

पढ़ें: Chhawla Gangrape And Murder Case: तीन दोषियों को बरी करने के खिलाफ दायर याचिका की सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट के फैसलों और अल्ट्रासाउंड स्कैन नियमों के अनुसार, बच्चे के स्वास्थ्य और उसके अंगों की जांच करने वाले डॉक्टर को 18 से 20 सप्ताह की गर्भावस्था के दौरान बच्चे के स्वास्थ्य के बारे में पता चल जाता है. शिकायतकर्ता की पत्नी का 20 हफ्ते से 36 हफ्ते के बीच स्कैन किया गया था और डॉक्टरों को बच्चे की विकलांगता के बारे में पता था, लेकिन उसने शिकायतकर्ता को इसकी जानकारी नहीं दी. शिकायतकर्ता ने आयोग से चिकित्सकीय लापरवाही और ड्यूटी में लापरवाही का आरोप लगाते हुए डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई करने का अनुरोध किया था.

धारवाड़: कर्नाटक की धारवाड़ जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने एक डॉक्टर को 11 लाख 10 हजार रुपये जुर्माना भरने का आदेश जारी किया है, जिसने एक गर्भवती महिला की स्वास्थ्य जांच के दौरान माता-पिता को इस बात की जानकारी नहीं दी कि गर्भ में पल रहा बच्चा विकलांग है और इस मामले में लापरवाही दिखाई. भाविकट्टी, श्रीनगर, धारवाड़ के निवासी परशुराम घाटगे ने आयोग का दरवाजा खटखटाते हुए आरोप लगाया था कि उनकी पत्नी प्रीति, जो गर्भवती थी, उसने तीसरे महीने से नौवें महीने तक धारवाड़ की एक प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. सौभाग्य कुलकर्णी द्वारा जांच और इलाज कराया था.

डॉक्टर ने 12 जुलाई 2018 से 8 जनवरी 2019 तक 5 बार स्कैन किया था. लेकिन उन्होंने बताया कि गर्भ में बच्चे का विकास अच्छा है और बच्चा स्वस्थ है. बाद में जब वह 9वें महीने में उसी डॉक्टर के पास जांच के लिए गए तो उसने सिजेरियन डिलीवरी कराने की सलाह दी. लेकिन आर्थिक दिक्कतों के चलते उनकी पत्नी की डिलीवरी 31 जनवरी 2019 को धारवाड़ एसडीएम अस्पताल में हुई. डिलीवरी के दौरान एक कन्या का जन्म हुआ, जिसके दोनों पैर अपंग थे.

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सुप्रीम कोर्ट के फैसलों और अल्ट्रासाउंड स्कैन नियमों के अनुसार, बच्चे के स्वास्थ्य और उसके अंगों की जांच करने वाले डॉक्टर को 18 से 20 सप्ताह की गर्भावस्था के दौरान बच्चे के स्वास्थ्य के बारे में पता चल जाता है. शिकायतकर्ता की पत्नी का 20 हफ्ते से 36 हफ्ते के बीच स्कैन किया गया था और डॉक्टरों को बच्चे की विकलांगता के बारे में पता था, लेकिन उसने शिकायतकर्ता को इसकी जानकारी नहीं दी. शिकायतकर्ता ने आयोग से चिकित्सकीय लापरवाही और ड्यूटी में लापरवाही का आरोप लगाते हुए डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई करने का अनुरोध किया था.

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