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Congress President election: दिग्विजय की 'एंट्री' ने ही दे दिए थे संकेत

कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव में गहलोत के एलान के बाद ये तो साफ हो गया है कि वह इस रेस से बाहर हो गए हैं. लेकिन हकीकत ये है कि गहलोत सीएम पद नहीं छोड़ना चाहते थे. हालांकि अध्यक्ष पद के चुनाव में दिग्विजय सिंह की एंट्री ने संकेत दे दिया था कि गहलोत इस रेस से बाहर होंगे. 'ईटीवी भारत' के वरिष्ठ संवाददाता अमित अग्निहोत्री की रिपोर्ट.

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दिग्विजय गहलोत
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Published : Sep 29, 2022, 5:06 PM IST

Updated : Sep 29, 2022, 5:27 PM IST

नई दिल्ली : कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव में दिग्विजय सिंह की एंट्री ने अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) की उम्मीदवारी को लेकर चल रहे विवाद को नया मोड़ दे दिया है. गहलोत मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के दबाव में थे, लेकिन राज्य में विद्रोह का तर्क देते हुए उन्होंने पार्टी अध्यक्ष पद की दौड़ से बाहर रहने का फैसला किया है.

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी (Congress chief Sonia Gandhi) से मुलाकात के फौरन बाद गहलोत ने कहा कि वह चुनाव नहीं लड़ेंगे क्योंकि वह राजस्थान में कांग्रेस के कैडरों में आ रही दिक्कतों की जिम्मेदारी लेते हैं. पहले सोनिया गांधी ने गहलोत को पार्टी के शीर्ष पद की दावेदारी के लिए चुना था. लेकिन पिछले रविवार को मुख्यमंत्री के प्रति वफादार विधायकों के विद्रोह से वह नाराज थीं.

विद्रोह इसलिए हुआ क्योंकि गहलोत मुख्यमंत्री का पद बरकरार रखना चाहते थे. पिछले दो दिनों में कुछ वरिष्ठ नेताओं ने उन्हें आलाकमान के साथ समझौता करने के लिए राजी कर लिया और अंतत: सस्पेंस खत्म हो गया क्योंकि वे खुद प्रतियोगिता से बाहर हो गए. दरअसल एआईसीसी चाहता था कि राजस्थान में अच्छी तरह से सरकार चलती रहे. इसीलिए वह गहलोत को अगले पार्टी प्रमुख बनाना और सचिन पायलट को नए मुख्यमंत्री के रूप में बढ़ावा देना चाहता था. यही समीकरण विद्रोह का कारण बना.

सूत्रों ने कहा कि अध्यक्ष पद के चुनाव के आसपास का विवाद अनावश्यक था. वास्तव में इसका असर राहुल गांधी के नेतृत्व में चल रही भारत जोड़ो यात्रा पर भी हुआ है. गहलोत के आउट होने के बाद अब ध्यान शशि थरूर के खिलाफ दिग्विजय सिंह पर जाता है. दिग्विजय सिंह ने गुरुवार को थरूर से उनके आवास पर मुलाकात की.

थरूर ने दोनों की एक दूसरे को गले लगाते हुए तस्वीर ट्वीट करते हुए लिखा, 'आज दोपहर दिग्विजय से मुलाकात हुई. मैं अपनी पार्टी के अध्यक्ष पद के लिए उनकी उम्मीदवारी का स्वागत करता हूं. हम दोनों सहमत थे कि हमारी लड़ाई प्रतिद्वंद्वियों के बीच नहीं बल्कि सहयोगियों के बीच एक दोस्ताना प्रतियोगिता है. हम दोनों चाहते हैं कि जो भी जीते ये कांग्रेस की जीत होगी.'

एक ही फ्लाइट से दिल्ली लौटे थे दिग्विजय और वेणुगोपाल : दिग्विजय सिंह 'भारत जोड़ो यात्रा' का पहले दिन से समन्वय कर रहे हैं. वह तमिलनाडु और केरल में पैदल मार्च के दौरान मिले अभूतपूर्व समर्थन से उत्साहित थे. पार्टी के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि पार्टी प्रमुख के चुनाव से संबंधित सस्पेंस ने पिछले दो दिनों में पार्टी के भीतर विभिन्न शक्ति समूहों को सक्रिय कर दिया है. दिग्विजय सिंह जो केरल में 'भारत जोड़ो यात्रा' पर नजर रख रहे थे, उनके नाम पर विचार किया गया. अनुभवी नेता को आलाकमान ने दिल्ली बुलाया. दिलचस्प बात यह है कि दिग्विजय सिंह और एआईसीसी महासचिव केसी वेणुगोपाल ने केरल से एक ही फ्लाइट में यात्रा की. वह बुधवार रात दिल्ली लौटे.

इससे पहले कि दिग्विजय सिंह ने केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण के कार्यालय से अपने कागजात एकत्र किए और घोषणा की कि वह 30 सितंबर को नामांकन दाखिल करेंगे. दिग्विजय के आवास पर एक अन्य वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने करीब एक घंटे बैठक की थी. लगभग उसी समय वेणुगोपाल ने सोनिया गांधी से मुलाकात की और मुकुल वासनिक समेत कई वरिष्ठ नेताओं ने गहलोत से उनके मन की बात जानने की कोशिश की.

बुधवार की रात गहलोत ने यह कहकर राजनीतिक रूप से खुद को सही ठहराने की कोशिश की थी कि सोनिया गांधी ने कांग्रेस में सभी फैसले लिए हैं और हर कोई उन फैसलों का पालन करता है.उनका कहना था कि विधायकों का ये रुख उसी तरह से जैसा कि एक बड़े परिवार में होता है. उन्होंने कहा था कि पार्टी का फोकस उन विभाजनकारी ताकतों से एकजुट होकर लड़ने पर है जिसके लिए राहुल यात्रा का नेतृत्व कर रहे हैं.

दिलचस्प बात यह है कि गहलोत ने कुछ दिनों पहले केरल में राहुल से मुलाकात के बाद पार्टी के शीर्ष पद के लिए नामांकन दाखिल करने की घोषणा की थी. इससे कुछ घंटे पहले पायलट ने भी राहुल से मुलाकात की थी. रविवार को राजस्थान के विधायकों के विद्रोह से पहले, गहलोत खेमे ने अफवाहें उड़ाई थीं कि अनुभवी नेता, मुख्यमंत्री पद छोड़ने को तैयार नहीं थे.

गुरुवार को गहलोत के पीछे हटने के बाद लग रहा है कि इन अफवाहों में कुछ सच्चाई थी. नामांकन की आखिरी तारीख 30 सितंबर को अपना पर्चा दाखिल करने की तैयारी कर रहे दिग्विजय सिंह ने स्पष्ट किया कि उन्होंने अपने दम पर मैदान में शामिल होने का फैसला किया है और इस मुद्दे पर गांधी परिवार से सलाह नहीं ली है. वहीं, पार्टी के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि दिग्विजय की सोनिया और राहुल दोनों से निकटता को देखते हुए ऐसा लग नहीं रहा है.

सूत्रों के अनुसार, दिग्विजय सिंह की इंट्री से पहले, गहलोत के तीन करीबी शांति धारीवाल, महेश जोशी और धर्मेंद्र राठौर को कारण बताओ नोटिस जारी किया जाना भी कड़ा संदेश देने के तहत एक कदम था. पार्टी के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि मुख्यमंत्री को सीधे तौर पर विद्रोह प्रकरण में आरोपित नहीं किया गया था. लेकिन एआईसीसी अनुशासन समिति के प्रमुख एके एंटनी ने सदस्य तारिक अनवर के साथ इस मुद्दे पर चर्चा की थी. राजस्थान में क्या गलत हुआ, इसे लेकर एआईसीसी प्रभारी अजय माकन ने सोनिया गांधी को रिपोर्ट सौंपी थी. इसके बाद राज्य ते तीन नेताओं को नोटिस भेजा गया था.

पढ़ें- कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव नहीं लडूंगा, सीएम रहूंगा या नहीं आलाकमान तय करे: अशोक गहलोत

नई दिल्ली : कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव में दिग्विजय सिंह की एंट्री ने अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) की उम्मीदवारी को लेकर चल रहे विवाद को नया मोड़ दे दिया है. गहलोत मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के दबाव में थे, लेकिन राज्य में विद्रोह का तर्क देते हुए उन्होंने पार्टी अध्यक्ष पद की दौड़ से बाहर रहने का फैसला किया है.

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी (Congress chief Sonia Gandhi) से मुलाकात के फौरन बाद गहलोत ने कहा कि वह चुनाव नहीं लड़ेंगे क्योंकि वह राजस्थान में कांग्रेस के कैडरों में आ रही दिक्कतों की जिम्मेदारी लेते हैं. पहले सोनिया गांधी ने गहलोत को पार्टी के शीर्ष पद की दावेदारी के लिए चुना था. लेकिन पिछले रविवार को मुख्यमंत्री के प्रति वफादार विधायकों के विद्रोह से वह नाराज थीं.

विद्रोह इसलिए हुआ क्योंकि गहलोत मुख्यमंत्री का पद बरकरार रखना चाहते थे. पिछले दो दिनों में कुछ वरिष्ठ नेताओं ने उन्हें आलाकमान के साथ समझौता करने के लिए राजी कर लिया और अंतत: सस्पेंस खत्म हो गया क्योंकि वे खुद प्रतियोगिता से बाहर हो गए. दरअसल एआईसीसी चाहता था कि राजस्थान में अच्छी तरह से सरकार चलती रहे. इसीलिए वह गहलोत को अगले पार्टी प्रमुख बनाना और सचिन पायलट को नए मुख्यमंत्री के रूप में बढ़ावा देना चाहता था. यही समीकरण विद्रोह का कारण बना.

सूत्रों ने कहा कि अध्यक्ष पद के चुनाव के आसपास का विवाद अनावश्यक था. वास्तव में इसका असर राहुल गांधी के नेतृत्व में चल रही भारत जोड़ो यात्रा पर भी हुआ है. गहलोत के आउट होने के बाद अब ध्यान शशि थरूर के खिलाफ दिग्विजय सिंह पर जाता है. दिग्विजय सिंह ने गुरुवार को थरूर से उनके आवास पर मुलाकात की.

थरूर ने दोनों की एक दूसरे को गले लगाते हुए तस्वीर ट्वीट करते हुए लिखा, 'आज दोपहर दिग्विजय से मुलाकात हुई. मैं अपनी पार्टी के अध्यक्ष पद के लिए उनकी उम्मीदवारी का स्वागत करता हूं. हम दोनों सहमत थे कि हमारी लड़ाई प्रतिद्वंद्वियों के बीच नहीं बल्कि सहयोगियों के बीच एक दोस्ताना प्रतियोगिता है. हम दोनों चाहते हैं कि जो भी जीते ये कांग्रेस की जीत होगी.'

एक ही फ्लाइट से दिल्ली लौटे थे दिग्विजय और वेणुगोपाल : दिग्विजय सिंह 'भारत जोड़ो यात्रा' का पहले दिन से समन्वय कर रहे हैं. वह तमिलनाडु और केरल में पैदल मार्च के दौरान मिले अभूतपूर्व समर्थन से उत्साहित थे. पार्टी के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि पार्टी प्रमुख के चुनाव से संबंधित सस्पेंस ने पिछले दो दिनों में पार्टी के भीतर विभिन्न शक्ति समूहों को सक्रिय कर दिया है. दिग्विजय सिंह जो केरल में 'भारत जोड़ो यात्रा' पर नजर रख रहे थे, उनके नाम पर विचार किया गया. अनुभवी नेता को आलाकमान ने दिल्ली बुलाया. दिलचस्प बात यह है कि दिग्विजय सिंह और एआईसीसी महासचिव केसी वेणुगोपाल ने केरल से एक ही फ्लाइट में यात्रा की. वह बुधवार रात दिल्ली लौटे.

इससे पहले कि दिग्विजय सिंह ने केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण के कार्यालय से अपने कागजात एकत्र किए और घोषणा की कि वह 30 सितंबर को नामांकन दाखिल करेंगे. दिग्विजय के आवास पर एक अन्य वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने करीब एक घंटे बैठक की थी. लगभग उसी समय वेणुगोपाल ने सोनिया गांधी से मुलाकात की और मुकुल वासनिक समेत कई वरिष्ठ नेताओं ने गहलोत से उनके मन की बात जानने की कोशिश की.

बुधवार की रात गहलोत ने यह कहकर राजनीतिक रूप से खुद को सही ठहराने की कोशिश की थी कि सोनिया गांधी ने कांग्रेस में सभी फैसले लिए हैं और हर कोई उन फैसलों का पालन करता है.उनका कहना था कि विधायकों का ये रुख उसी तरह से जैसा कि एक बड़े परिवार में होता है. उन्होंने कहा था कि पार्टी का फोकस उन विभाजनकारी ताकतों से एकजुट होकर लड़ने पर है जिसके लिए राहुल यात्रा का नेतृत्व कर रहे हैं.

दिलचस्प बात यह है कि गहलोत ने कुछ दिनों पहले केरल में राहुल से मुलाकात के बाद पार्टी के शीर्ष पद के लिए नामांकन दाखिल करने की घोषणा की थी. इससे कुछ घंटे पहले पायलट ने भी राहुल से मुलाकात की थी. रविवार को राजस्थान के विधायकों के विद्रोह से पहले, गहलोत खेमे ने अफवाहें उड़ाई थीं कि अनुभवी नेता, मुख्यमंत्री पद छोड़ने को तैयार नहीं थे.

गुरुवार को गहलोत के पीछे हटने के बाद लग रहा है कि इन अफवाहों में कुछ सच्चाई थी. नामांकन की आखिरी तारीख 30 सितंबर को अपना पर्चा दाखिल करने की तैयारी कर रहे दिग्विजय सिंह ने स्पष्ट किया कि उन्होंने अपने दम पर मैदान में शामिल होने का फैसला किया है और इस मुद्दे पर गांधी परिवार से सलाह नहीं ली है. वहीं, पार्टी के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि दिग्विजय की सोनिया और राहुल दोनों से निकटता को देखते हुए ऐसा लग नहीं रहा है.

सूत्रों के अनुसार, दिग्विजय सिंह की इंट्री से पहले, गहलोत के तीन करीबी शांति धारीवाल, महेश जोशी और धर्मेंद्र राठौर को कारण बताओ नोटिस जारी किया जाना भी कड़ा संदेश देने के तहत एक कदम था. पार्टी के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि मुख्यमंत्री को सीधे तौर पर विद्रोह प्रकरण में आरोपित नहीं किया गया था. लेकिन एआईसीसी अनुशासन समिति के प्रमुख एके एंटनी ने सदस्य तारिक अनवर के साथ इस मुद्दे पर चर्चा की थी. राजस्थान में क्या गलत हुआ, इसे लेकर एआईसीसी प्रभारी अजय माकन ने सोनिया गांधी को रिपोर्ट सौंपी थी. इसके बाद राज्य ते तीन नेताओं को नोटिस भेजा गया था.

पढ़ें- कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव नहीं लडूंगा, सीएम रहूंगा या नहीं आलाकमान तय करे: अशोक गहलोत

Last Updated : Sep 29, 2022, 5:27 PM IST
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