नई दिल्ली : किसानों ने तीन केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ अपने आंदोलन को और मजबूत करने के लिए सोमवार यानी 27 सितंबर को भारत बंद का आह्वान किया है. वहीं किसानों के प्रदर्शन को RJD ने भी समर्थन दिया है, जिसके बाद कांग्रेस ने भारत बंद के लिए किसान संघों को अपना समर्थन दिया.
कांग्रेस के प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि, 'किसानों के साथ चर्चा की उचित प्रक्रिया शुरू की जाए, क्योंकि वे पिछले 9 महीनों से दिल्ली की सीमाओं पर बैठे हैं. तीन कृषि कानून बिना किसी परामर्श के लागू किए गए थे, उन्हें वापस लिया जाना चाहिए."
उन्होंंने कहा कि हर किसान को कानूनी अधिकार के तौर पर एमएसपी दिया जाए, क्योंकि हमें जुमले ही नहीं चाहिए. अगले 5 महीनों में कट-ऑफ तारीख तब आएगी जब प्रधानमंत्री ने वादा किया था कि वह किसानों की आय दोगुनी करने जा रहे हैं, लेकिन दुर्भाग्य से 2012-13 की तुलना में 2018-19 तक किसानों की आय 10 प्रतिशत कम हो गई. 48 प्रतिशत से 38 प्रतिशत. उन्होंने कहा कि सरकार मंडियों को खत्म कर रही है और कृषि विरोधी कानूनों के जरिये किसानों को तबाह करने की योजना पर काम कर रही है, इसलिए कांग्रेस किसानों के साथ में खड़ी है और उनके भारत बंद का समर्थन कर उसे सफल बनाने के लिए पुरजोर कोशिश करेगी.
वहीं राजनीतिक दलों के अलावा, अखिल भारतीय बैंक अधिकारी के परिसंघ ने भी सोमवार को बंद को अपना समर्थन दिया है.
'भारत की रैंकिंग लोकतांत्रिक देशों में गिरी'
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे के दौरान अमेरिकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने उनसे लोकतंत्र पर खतरे को लेकर बात की थी. उन्होंने पीएम मोदी से कहा कि दुनिया भर के लोकतंत्र खतरे में हैं, इसलिए यह जरूरी है कि हम अपने-अपने देशों के भीतर लोकतांत्रिक सिद्धांतों और संस्थानों की रक्षा करें. इस सवाल पर गौरव वल्लभ ने कहा कि, "जब प्रधानमंत्री किसी अन्य देश की यात्रा पर जाते हैं, तो वह हम सभी का प्रतिनिधित्व करते हैं. यह वास्तव में हमारे लिए चिंता का विषय है कि एक बाहरी व्यक्ति हमें बता रहा है, भारत कौन सी भूमि है, लोकतंत्र की रक्षा के लिए महात्मा गांधी की. हालांकि, इसे सकारात्मक तरीके से लिया जाना चाहिए."
उन्होंने कहा कि कमला हैरिस ने ये बातें पीएम मोदी से इसलिए कही, क्योंकि हाल ही में स्वतंत्र एजेंसी फ्रीडम हाउस के सर्वे में, भारत की रैंकिंग लोकतांत्रिक देशों में गिर गई है. साथ ही 'आंशिक रूप से स्वतंत्र लोकतंत्र' के खंड में भी भारत का उल्लेख किया गया है. पीएम मोदी को इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए."
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