दिसपुर : कांग्रेस असम के चाय बागान श्रमिकों का समर्थन हासिल करने के लिए पूरा जोर लगा रही है. इसी कड़ी में लुभाने के लिए पार्टी नेता प्रियंका गांधी ने महिला श्रमिकों के साथ चाय की पत्तियां चुनी थीं, जबकि राहुल ने समुदाय के सदस्यों के साथ भोजन किया था.
राज्य की 17 प्रतिशत आबादी चाय बागानों से जुड़ी है. राज्य की 126 सीटों में से 40 पर इनका प्रभाव है.
ये वर्ग आवास की खराब स्थिति, शैक्षिक और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी के कारण समस्याओं से जूझ रहा है. पारंपरिक रूप से कांग्रेस का समर्थन करने वाले इस वर्ग ने 2016 के विधानसभा चुनावों में भाजपा का समर्थन किया था.
कांग्रेस नेता पूर्व केंद्रीय मंत्री और पांच बार डिब्रूगढ़ के सांसद रहे पबन सिंह घाटोवर ने कहा कि भाजपा ने सत्ता में आने के 100 दिनों के भीतर बहुत कुछ करने का वादा किया था लेकिन वास्तव में ऐसा कुछ नहीं हुआ. पांच साल बाद समुदाय भाजपा से नाखुश है.
घाटोवर जिन्होंने दशकों तक चाय बागान श्रमिकों के साथ काम किया है, ने कहा कि समुदाय 1952 से कांग्रेस का समर्थन कर रहा था, लेकिन उनमें से लगभग 60 प्रतिशत 2016 में भाजपा में चले गए. कांग्रेस नेता ने दावा किया कि लेकिन अब वे वापस आ रहे हैं.
राहुल ने किया 365 रुपये मजदूरी का वादा
भाजपा-एजीपी (असम गण परिषद) सरकार ने चाय बागान श्रमिकों पर पकड़ मजबूत करने के लिए सीधे चावल और चीनी, रसोई गैस और वित्तीय प्रोत्साहन जैसे कल्याणकारी उपायों की शुरुआत की लेकिन अभियान जल्द ही खत्म हो गया.
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चाय बागान श्रमिक समुदाय के राजनीतिक महत्व को समझते हुए कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व ने इन्हें वापस पार्टी की ओर खींचने की कोशिश की है. इसी के तहत कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने 14 फरवरी को शिवसागर में रैली कर चुनाव अभियान की शुरुआत की. उन्होंने वादा किया कि पार्टी सत्ता में आई तो चाय बागान श्रमिकों को प्रति दिन 365 रुपये मजदूरी दी जाएगी.
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पार्टी नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने चाय बागान का दौरा कर श्रमिकों की शिकायतें सुनी थीं. सत्तारूढ़ गठबंधन पर समुदाय की उपेक्षा का आरोप लगाया था. कई महिला श्रमिकों का हवाला देते हुए प्रियंका ने कहा था कि शुरू में बैंक खातों में इन लोगों को कुछ पैसे मिले लेकिन बाद में ये हालत हो गई कि इनके सिलेंडर खाली पड़े हैं, जिन्हें भराने के लिए इन लोगों के पास पैसे नहीं हैं.
असम में मतदाताओं को कांग्रेस ने पांच गारंटी दी हैं. चाय बागान श्रमिकों के लिए मजदूरी के रूप में 365 रुपये प्रतिदिन देने का वादा उन्हीं में से एक है.
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भाजपा पर साधा था निशाना
राहुल और प्रियंका दोनों ने चाय बागानों के खराब हालात के लिए बीजेपी को जिम्मेदार ठहराते हुए निशाना साधा था. दोनों ने भगवा पार्टी के रणनीतिकारों को पिछले कुछ वर्षों में समुदाय से बाहर किए गए धन को इंगित करने के लिए जिम्मेदार ठहराया.
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पिछले महीने राज्य का दौरा करने के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने असम के साथ चाय बागान श्रमिकों के विकास को जोड़ा और आरोप लगाया था कि भारतीय चाय को बदनाम करने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय साजिश रची गई थी. पीएम ने बजट में चाय क्षेत्र के लिए 1,000 करोड़ रुपये देने और अन्य सुविधाओं का जिक्र किया था.