नई दिल्ली : कांग्रेस (Congress) ने अडानी समूह की कंपनियों में बड़ी हिस्सेदारी रखने वाले तीन विदेशी निवेशक फंडों के खातों को फ्रीज करने के मामले पर चुप्पी तोड़ने और सच्चाई सामने लाने के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से जांच कराने की मांग की है.
एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कांग्रेस प्रवक्ता (Congress spokesperson) गौरव वल्लभ ( Gourav Vallabh) ने एक मीडिया रिपोर्ट का हवाला दिया जिसमें कहा गया था कि एनएसडीएल ने अल्बुला इन्वेस्टमेंट फंड, क्रेस्टा फंड और एपीएमएस इन्वेस्टमेंट फंड के तीन विदेशी फंडों के खातों को फ्रीज कर दिया है. इन तीनों फंडों के पास अडानी समूह की चार कंपनियों में 43,500 करोड़ रुपये से अधिक के शेयर हैं.
सेबी के पास क्या जानकारी है : गौरव वल्लभ
गौरव वल्लभ ने मांग की कि 'सेबी (SEBI) और नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड (एनएसडीएल) को इन तीन विदेशी फंडों की प्रकृति और पृष्ठभूमि के विवरण का खुलासा करना चाहिए, जो इन फंडों के अंतिम लाभकारी मालिक हैं. जिनकी कुल संपत्ति का 95% से अधिक केवल अदानी शेयरों के कारण है और सेबी के पास क्या है ?'
अडानी समूह ने रिपोर्टों के भ्रामक बताया
एनएसडीएल द्वारा इन तीनों फंडों के खातों को फ्रीज करने की खबरों के बीच अडानी समूह के शेयरों में 25 फीसदी तक की गिरावट के एक दिन बाद यह बयान आया है. हालांकि, अडानी समूह ने इन रिपोर्टों को 'स्पष्ट रूप से गलत और भ्रामक' बताया है.
'कंपनियों की तरफ से नहीं आए बयान'
गौरव वल्लभ ने सवाल उठाया कि 'इन तीन फंडों ने अभी तक इन घटनाओं पर स्पष्टीकरण क्यों नहीं दिया है? केवल अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड स्पष्टीकरण के साथ क्यों आ रहा है और अन्य तीन अडानी समूह की कंपनियां, जहां इन फंडों में निवेश है, एक भी बयान क्यों नहीं आए हैं?'
कांग्रेस नेता ने गिनाई हिस्सेदारी
कांग्रेस नेता ने कहा कि 'ये सभी फंड मॉरीशस के पोर्ट लुइस में एक ही पते पर पंजीकृत हैं और उनकी कोई वेबसाइट नहीं है. साथ ही, इन फंडों की अडानी एंटरप्राइजेज में 6.82%, अदानी ट्रांसमिशन में 8.03%, अदानी टोटल गैस में 5.92% और अदानी ग्रीन में 3.58% की हिस्सेदारी है. वे अडानी समूह की कंपनियों में अपने निवेश से 95% से अधिक की कुल संपत्ति प्राप्त करते हैं.'
इक्विटी हिस्सेदारी का बताया नियम
कांग्रेस नेता ने कहा कि 'सेबी के दिशानिर्देशों के अनुसार, एक विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (FPI) किसी भी सूचीबद्ध भारतीय फर्म में 10% से अधिक इक्विटी हिस्सेदारी नहीं रख सकता है. इन फंडों के अंतिम लाभकारी स्वामित्व को समझना महत्वपूर्ण है क्योंकि इन फंडों का एक ही पता है और वेबसाइटें भी नहीं हैं जो संदेह को और बढ़ा रही हैं.
12 महीने में किस कंपनी के शेयर कितने बढ़े
मीडिया रिपोर्ट ने यह भी कहा गया है कि पिछले 12 महीनों में अडानी समूह की कंपनियों के शेयर की कीमतों में जबरदस्त वृद्धि हुई है. यह बताते हुए कि पिछले 12 महीनों में अडानी ट्रांसमिशन शेयरों में 669% की वृद्धि हुई है.
अडानी गैस के शेयरों में 349%, अडानी इंटरप्राइजेज के शेयर में 972% और अडानी ग्रीन के शेयर में 254% की तेजी आई है. जबकि अडानी समूह की दो कंपनियां अडानी पोर्ट्स और अडानी पावर जहां इन 3 फंडों का निवेश नहीं है, पिछले 12 महीनों में क्रमशः 147% और 295% की वृद्धि की है.
सरकार कराए जांच : कांग्रेस प्रवक्ता
प्रोफेसर वल्लभ ने कहा, 'कांग्रेस पार्टी मांग करती है कि सेबी और एनएसडीएल इन फंडों की प्रकृति, इन फंडों के अंतिम लाभकारी स्वामित्व, उनकी जांच के निष्कर्षों (यदि कोई हो), इन फंडों में कौन सी प्रतिभूतियां हैं और क्यों? के बारे में पूर्ण खुलासा करें. और बताएं कि क्या उनके खाते फ्रीज कर दिए गए?'
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कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि 'समाचार रिपोर्ट के निष्कर्षों के आधार पर हम यह भी मांग करते हैं कि अगर सेबी (SEBI) की जांच में अडानी समूह के शेयरों के दाम में हेरफेर के संबंध में कोई अनियमितताएं सामने आई हैं तो भारत सरकार को पूरे मामले की जांच प्रवर्तन निदेशालय को स्थानांतरित करनी चाहिए.'