नई दिल्ली : कांग्रेस ने शुक्रवार को दावा किया कि पार्टी शासित राजस्थान की स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली (Rajasthan healthcare model) न केवल राष्ट्रीय मॉडल बन गई है, बल्कि विदेशी विश्वविद्यालयों में भी इसकी चर्चा की जा रही है. कांग्रेस ने केंद्र से इसका पालन करने का आग्रह किया.
कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा (Congress spokesperson Pawan Khera) ने कहा कि, 'राजस्थान सरकार द्वारा हाल ही में स्वास्थ्य का अधिकार विधेयक पारित किए जाने के बाद राज्य में उत्सव का माहौल है. राजस्थान ऐसा बिल पास करने वाला देश का पहला राज्य है जिसकी चर्चा अन्य राज्यों में भी हो रही है.'
उन्होंने कहा कि 'राज्य की स्वास्थ्य सेवा देश के लिए मॉडल बन चुकी है और विदेशी विश्वविद्यालयों में केस स्टडी के रूप में इसकी चर्चा हो रही है. हमें इस पर बहुत गर्व है.'
राजस्थान के स्वास्थ्य मंत्री परसादी लाल मीणा ने कहा, 'स्वास्थ्य का अधिकार विधेयक विधानसभा द्वारा पारित किया गया है और राज्यपाल को उनकी मंजूरी के लिए भेजा गया है. पहले से ही राज्य के 8 करोड़ निवासी चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना के लाभार्थी हैं, जिसके लिए सरकार ने हाल ही में सीमा को 10 लाख रुपये से बढ़ाकर 25 लाख रुपये कर दिया है. अब, प्रत्येक निवासी लागत की चिंता किए बिना राज्य में मुफ्त निदान और उपचार का लाभ उठा सकता है.'
उन्होंने कहा कि 'राजस्थान स्वास्थ्य सेवा में मॉडल राज्य बन गया है. हम करीब 1800 तरह की दवाएं मुफ्त मुहैया करा रहे हैं. हमने देखा था कि कैसे देश भर के लोग कोविड के दौरान ऑक्सीजन और स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं के लिए संघर्ष कर रहे थे. हम चाहते हैं कि केंद्र राजस्थान मॉडल पर चले.'
मीणा के अनुसार, भारत जोड़ो यात्रा के दौरान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राहुल गांधी को आश्वासन दिया था कि राज्य के सभी निवासियों को स्वास्थ्य कवर दिया जाएगा. जिसके बाद स्वास्थ्य विधेयक पेश किया गया.
मीणा ने कहा कि राज्य सरकार ने महामारी के दौरान सभी निवासियों को मुफ्त उपचार प्रदान किया था और वह इस बात से अवगत थी कि स्वास्थ्य देखभाल की भारी लागत लोगों को कैसे प्रभावित करती है.
मीणा ने कहा कि 'जब राज्य में भाजपा सत्ता में थी तब स्वास्थ्य बजट महज 3 प्रतिशत था. अब कांग्रेस सरकार में यह 7 फीसदी है.' पड़ोसी राज्य गुजरात से तुलना करते हुए पवन खेड़ा ने कहा कि गुजरात के कई निवासी वास्तव में गहलोत सरकार के तहत मुफ्त स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ उठाने के लिए पिछले वर्षों में राजस्थान आ रहे थे.
पवन खेड़ा ने कहा कि 'राजस्थान में बिना डॉक्टर के कोई भी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र नहीं है. हम चाहते हैं कि गुजरात सरकार हमें बताए कि उनके कितने पीएचसी में डॉक्टर नहीं हैं, नहीं तो हम तथ्यों के साथ सामने आएंगे. गुजरात मॉडल की हकीकत यह है कि उस राज्य से बहुत से लोग बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ उठाने के लिए राजस्थान आते हैं. प्रसिद्ध गुजरात मॉडल और राजस्थान मॉडल के बीच यही अंतर है.'
मीणा के मुताबिक राज्य सरकार हेल्थ नेटवर्क बढ़ाने के लिए हर जिले में मेडिकल और नर्सिंग कॉलेज खोल रही है. मीणा ने स्वीकार किया कि 50 बिस्तरों से कम वाले निजी अस्पतालों ने स्वास्थ्य अधिकार विधेयक का विरोध किया था, लेकिन उन्होंने कहा कि उनकी चिंताओं का समाधान किया जाएगा.
उन्होंने कहा कि 'हम अपनी स्वास्थ्य देखभाल योजना में शामिल होने के लिए किसी को बाध्य नहीं कर रहे हैं. हम चाहते हैं कि राज्य के लोगों को मुफ्त स्वास्थ्य सेवा का लाभ मिले. इस योजना में लगभग 1000 अस्पताल खुशी-खुशी भाग ले रहे हैं. एक बार राज्यपाल द्वारा बिल को मंजूरी मिलने के बाद, हम उन नियमों को तैयार करेंगे जिनमें निजी अस्पतालों द्वारा व्यक्त की गई चिंताओं को दूर किया जाएगा. इसके बाद वे खुद इस योजना से जुड़ेंगे.'
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