नई दिल्ली : राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ सचिन पायलट ने बगावत की, जिसके कुछ घंटों बाद कांग्रेस आलाकमान ने कहा कि पार्टी इस साल गहलोत सरकार की उपलब्धियों और संगठन की ताकत को लेकर चुनाव में उतरेगी.
कांग्रेस के संचार प्रभारी जयराम रमेश ने कहा, 'अशोक गहलोत के मुख्यमंत्री के रूप में राजस्थान में कांग्रेस सरकार ने बड़ी संख्या में योजनाओं को लागू किया है और कई नई पहल की हैं, जिन्होंने लोगों को गहराई से प्रभावित किया है.'
उन्होंने कहा 'राजस्थान में 'भारत जोड़ो यात्रा' पार्टी संगठन के समर्पण और दृढ़ संकल्प से संभव हुई, यह एक उत्कृष्ट सफलता थी. आने वाले वर्ष में कांग्रेस इन ऐतिहासिक उपलब्धियों और हमारे संगठन के सामूहिक प्रयासों के बल पर लोगों से नए जनादेश की मांग करेगी.'
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The Congress Government in Rajasthan with Ashok Gehlot as CM has implemented a large number of schemes and taken many new initiatives that have impacted the people profoundly. This has given the state a leadership position in governance in our country: Congress general secretary… pic.twitter.com/a4NnsCAV9p
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— ANI (@ANI) April 9, 2023
राज्य इकाई के पूर्व प्रमुख और पूर्व उपमुख्यमंत्री पायलट ने गहलोत के खिलाफ विद्रोह किया, जिसके कुछ घंटों बाद ही पार्टी की आधिकारिक प्रतिक्रिया आई है. पायलट ने गहलोत के खिलाफ विद्रोह की शुरुआत करते हुए कहा कि वह 11 अप्रैल को एक दिन के उपवास पर बैठेंगे. क्योंकि वसुंधरा राजे सिंधिया के नेतृत्व वाली पिछली भाजपा सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों में राज्य सरकार द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई है.
पायलट ने जयपुर में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान अपने विचार व्यक्त किए थे. जिसके बाद कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे ने राजस्थान नेतृत्व पर चर्चा करने के लिए वरिष्ठ नेताओं की एक बैठक बुलाई. पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक, खड़गे ने गहलोत के साथ जाने का फैसला करने से पहले पायलट के कदम के फायदे और नुकसान पर भी चर्चा की.
पार्टी का आधिकारिक बयान पायलट के लिए स्पष्ट संकेत है कि आलाकमान अनुशासनहीनता का कोई भी कार्य बर्दाश्त नहीं करेगा. सूत्रों ने कहा आलाकमान ने स्वीकार किया कि पूर्व उपमुख्यमंत्री का विद्रोह दुर्भाग्यपूर्ण समय पर आया है, जब कुछ महीने बाद अगले विधानसभा चुनाव होने हैं.
पायलट खेमे के सूत्रों के अनुसार, युवा नेता लंबे समय से यह कहते हुए चुनावी राज्य में नेतृत्व के मुद्दे के समाधान की मांग कर रहे थे कि आलाकमान के अनिर्णय से पार्टी कार्यकर्ताओं का मनोबल प्रभावित होगा.
गहलोत-पायलट प्रतिद्वंद्विता लंबे समय से आलाकमान को चिंतित कर रही थी, लेकिन किसी तरह निर्णय नहीं लिया जा सका क्योंकि पार्टी अडाणी मुद्दे से संबंधित विभिन्न आंदोलनकारी कार्यक्रमों में शामिल हो गई. उसके साथ ही 2019 में पीएम मोदी के नाम से जुड़े मानहानि के मामले में राहुल गांधी को दोषी ठहराए जाने और सजा सुनाए जाने के बाद लोकसभा से अयोग्य घोषित कर दिया गया.
पायलट ने कहा था, आलाकमान पर है भरोसा : कुछ महीने पहले गहलोत ने पायलट को 'गद्दार' करार दिया था, लेकिन युवा नेता ने मौखिक हमले को यह कहते हुए नजरअंदाज कर दिया कि उन्हें आलाकमान पर भरोसा है.
पिछले साल राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के दौरान, गहलोत और पायलट दोनों को आलाकमान ने अपने मतभेदों को दूर करने और एक साथ काम करने के लिए कहा था. यात्रा सफल रही और फरवरी में रायपुर में पार्टी के पूर्ण अधिवेशन के बाद राजस्थान में नेतृत्व के मुद्दे पर निर्णय की उम्मीद थी, लेकिन यथास्थिति ने कथित तौर पर युवा नेता को चिंतित कर दिया.
गहलोत के लिए पार्टी का समर्थन राज्य में स्वास्थ्य का अधिकार संबंधी बिल आने के बाद आया है. इस बिल की तारीफ खड़गे, राहुल और प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी की है. स्वास्थ्य का अधिकार बिल लाने वाला राजस्थान देश का पहला राज्य है. इससे पहले, रमेश ने कहा था कि गहलोत और पायलट दोनों ही कांग्रेस के लिए असेट हैं.
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